वायुसेना कर्मियों की हत्या: 30 साल बाद यासीन मलिक सहित सात पर आरोप तय
punjabkesari.in Sunday, Mar 15, 2020 - 02:31 PM (IST)
जम्मू: जम्मू कश्मीर में 30 साल पहले साल 1990 में कश्मीर में हुए वायु सेना के पांच अधिकारियों की हत्या के मामले में टाडा कोर्ट जम्मू ने जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के संस्थापक यासीन मलिक सहित सात अन्य पर आरोप तय कर दिए हैं। इस मामले में कोर्ट ने यासीन मलिक के अलावा अली मुहम्मद मीर, मंजूर अहमद सोफी उर्फ मुश्तफा, जावेद अहमद मीर उर्फ नालका, नाना जी उर्फ सलीम, जावेद अहमद जरगर व शौकत अहमद बख्शी पर आरोप तय किए हैं।
Jammu and Kashmir: A TADA (Terrorist & anti-disruptive activities Act) court finds sufficient grounds to frame charges against Yasin Malik and six others in the case of killing of Indian Air Force officer Ravi Khanna & three others in 1990. (File photo of Yasin Malik) pic.twitter.com/D4Lb0JXQ30
— ANI (@ANI) March 14, 2020
ऐसे रची थी साजिश
कोर्ट में अभियोजन की ओर से सीबीआई जांच में सामने आए तथ्यों का रखा। तथ्यों के अनुसार आरोपित शौकत अहमद बख्शी अप्रैल-मई 1989 और सितंबर-अक्टूबर 1989 में पाकिस्तान गया। वहां उसने आतंकी अमानतुल्लाह खान के साथ एयरफोर्स अधिकारियों व अन्य सुरक्षाबलों पर हमला करने की साजिश रची। वापस आने के बाद शौकत ने यासीन मलिक, जावेद अहमद मीर, मुश्ताक अहमद, नाना जी, मुहम्मद रफीक डार, मंजूर अहमद, जावेद अहमद व अन्य के साथ बैठक कर सुरक्षाबलों पर हमला करने की साजिश रची थी।
वारदात को दिया अंजाम
साल 1990 में 25 जनवरी की सुबह करीब 7.30 बजे रावलपोरा में वायुसेना कर्मी व अधिकारी गाड़ी के इंतजार में सनत नगर क्रॉसिंग पर खड़े थे। यासीन व जावेद ने गाड़ी का इंतजार कर रहे एयरफोर्स अधिकारियों पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। एयरफोर्स अधिकारी एमएल नथियान, यूएस रजवार, एससी गुप्ता, वीके शर्मा, ए अहमद, वीयू शेखर व बीएस धोनी को गोलियां लगीं। ए अहमद, वीयू शेखर व बीएस धोनी ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। जबकि दो ने अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था। इस हमले में एक महिला सहित 40 वायुसेना कर्मी गंभीर रुप से घायल हुए थे। इसके बाद उस वक्त की सरकार ने इस मामले की जांच को सीबीआई के हवाले किया था।
टाडा कोर्ट में मामले में आरोपी बनाए गए शौकत अहमद बख्शी, अली मोहम्मद मीर, जावेद अहमद जरगर और मोहम्मद रफीक डार के इकबालिया बयान और सुबूतों को अभियोजन का आधार बताया। इस पर कोर्ट ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ 164 और टाडा एक्ट की धारा 15 के तहत बयान दर्ज हैं। ऐसे में दर्ज बयानों के तहत आरोप तय करने के लिए पर्याप्त आधार माना जाता है।