दुनिया पर धौंस जमा रहे चीन में बगावत की बू, जिनपिंग को सता रहा तख्तापलट का डर

punjabkesari.in Sunday, Sep 13, 2020 - 06:04 PM (IST)

बीजिंगः दुनिया पर चीन का कब्जा करने का सपने देख रहे राष्ट्रपति शी जिनपिंग को अब अपनी कुर्सी खतरे में नजर आने लगी है। जिनपिंग को देश में उठ रहे बगावती सुरों के चलते राजनीतिक तख्तापलट का डर सता रहा है इसलिए उसने कड़े कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। जिनपिंग ने इस खतरे को भांपने के लिए पुलिस ऑफिसर, जज और स्टेट सिक्यॉरिटी एजेंट की जवाबदेही सिर्फ उनके प्रति तय कर दी है।

 

वॉशिंगटन डीसी में उइगर टाइम्स एजेंसी के संस्थापक ताहिर इमीन ने बताया कि जिनपिंग धरती पर अकेले ऐसे नेता हैं जो किसी केंद्रीय सरकार में सारी 11 पोजिशन ले सकते हैं।' पूर्व CCP पार्टी स्कूल प्रफेसर चाई शिया ने FRA चाइनीज से पिछले महीने बताया, 'CCP के अंदर शी के लिए बड़ी चुनौती है। उन्हें इस बारे में पता है और अगर अमेरिका चीनी अर्थव्यवस्था पर दबाव बनाता रहा तो CCP की केंद्रीय समिति उन्हें रिप्लेस करने के बारे में सोच सकती है।' इसके अलावा जिनपिंग 2022 में होने वाली नैशनल कांग्रेस से पहले देश के सुरक्षातंत्र को मजबूत करना चाहते हैं। ऐसे अधिकारी जिनकी वफादारी से जिनपिंग को संतुष्टि नहीं होती है, उन्हें माओ-स्टाइल में सबक दिया जाता है।

 

हर एजेंसी में एक ही मंत्र चल रहा है कि हर बात पर शी का कहा माना जाए। जुलाई में जिनपिंग के वफादार शेन यिशिन ने एक कैंपेन चलाया था जिसका मकसद ऐसे लोगों को खोजना था जो पार्टी के प्रति वफादार और ईमानदार नहीं हैं। माना जा रहा है कि ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि पार्टी का अंदरूनी खेमा घरेलू और विदेशी मामलों में सैन्य दखल से खुश नहीं है। एशिया रिसर्च इंस्टिट्यूट के सीनियर फेलो ऐंड्रियस फुल्डा का कहना है कि शी को चीन के बाहर से भी खतरा है। बाहर से लगता है कि CCP काफी स्थिर है लेकिन ऐसा नहीं है। जिनपिंग के कंट्रोल में आने से ताकत का केंद्रीकरण होने के बाद CCP में उथल-पुथल शुरू हो गई है।

 

ऐसे अधिकारियों के खिलाफ बढ़ती कार्रवाई से समझा जा सकता है कि राजनीतिक केंद्र में स्थानीय अधिकारियों को कंट्रोल करना और शी के लिए वफादारी सुनिश्चित करना केंद्र के लिए मुश्किल हो गया है। पार्टी के जमीनी कार्यकर्ताओं में भी इस बात की नाराजगी है कि उनके मुकाबले सीनियर CCP अधिकारियों को ज्यादा संरक्षण मिलता है। इन सब की वजह से चीन में राजनीतिक अस्थिरता और पतन का दौर शुरू होता दिख रहा है। 2018 में जिनपिंग ने राष्ट्रपति पद की अधिकतम सीमा खत्म कर हमेशा के लिए खुद को सुप्रीम लीडर घोषित कर लिया था।

 

माना जा रहा था कि जिनपिंग ने यह इसीलिए किया था ताकि उनके खिलाफ तख्तापलट की कोशिश को टाला जा सके। जिनपिंग ने अपने विरोधी धड़े के खिलाफ भ्रष्टाचार को लेकर अभियान भी चलाया है। कम्युनिस्ट पार्टी में जिनपिंग के आने से दो दशक पहले तक सबसे ताकतवर खेमा जियांग गठबंधन का था। इसका नाम पूर्व चीनी राष्ट्रपति जियांग जेमिन पर रखा गया था और इसमें CCP के इलीट सदस्य हैं। ये जिनपिंग के हमेशा राष्ट्रपति रहने के खिलाफ हैं। 2012 में सत्ता में आने के बाद से ही शी इस धड़े के साथ लड़ाई में हैं


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Tanuja

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