सऊदी अरब भारत की ऊर्जा सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध: सऊदी राजदूत

punjabkesari.in Sunday, Sep 22, 2019 - 09:07 PM (IST)

नई दिल्लीः सऊदी अरब ने अपने तेल संयंत्रों पर हुए अब तक के सबसे बड़े हमलों के बाद वैश्विक तेल आपूर्ति बाधित होने के बीच कहा है कि वह भारत की ऊर्जा सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। साथ ही, वह बाजार की स्थिरता बनाये रखने के लिए अन्य तेल उत्पादकों के साथ रचनात्मक रूप से काम करेगा।

सऊदी अरब के राजदूत डा. सऊद बिन मोहम्मद अल साती ने कहा कि उनका देश जमीनी स्थिति देखने और हमलों की जांच में शामिल होने के लिए संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों को आमंत्रित करेगा। यह पूछे जाने पर कि ईरान से तेल आयात पर प्रतिबंध के चलते उसकी भरपाई के लिए क्या सऊदी अरब भारत को तेल की आपूर्ति बढ़ाएगा, राजदूत ने कहा, ‘‘उनका देश भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और अन्य स्रोतों से बाधाओं के चलते पैदा होने वाली किसी भी कमी को वह पूरा करेगा।''

लऊदी अरब ने की भारत की तारीफ
सऊदी तेल संयंत्रों पर हुए अब तक के सबसे बड़े हमले पर उन्होंने कहा कि सऊदी अरब में स्वयं की रक्षा करने तथा ‘‘इन आक्रमणों'' का पूरी ताकत से जवाब देने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि उनका देश हमले के बाद रियाद का समर्थन करने और उसके साथ एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए भारत की प्रशंसा करता है। उन्होंने कहा कि ये हमले एक तरह से ‘‘पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय के खिलाफ थे।'' सऊदी अरब की राष्ट्रीय पेट्रोलियम कंपनी सऊदी अरामको के तेल संयंत्रों पर गत 14 सितम्बर को किये गए ड्रोन और मिसाइल हमलों के चलते उसका दैनिक तेल उत्पादन तकरीबन आधा ठप हो गया। इससे वैश्विक तेल बाजार पर गंभीर प्रभाव पड़ा और सऊदी अरब और ईरान के बीच तनाव उत्पन्न हो गया। सऊदी अरब भारत की ऊर्जा सुरक्षा का एक प्रमुख आधार है।
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सऊदी अरब भारत के कच्चे तेल का 17 प्रतिशत या उससे अधिक और भारत की एलपीजी आवश्यकताओं का 32 प्रतिशत का स्रोत है। अरामको के अबकैक और खुरैस संयंत्रों पर हमलों से शीर्ष तेल निर्यातक द्वारा तेल आपूर्ति में बाधा के चलते गत सप्ताह वैश्विक तेल कीमतों में 15 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो गई थी। अल साती ने कहा कि वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति के लिए जरूरी सऊदी पेट्रोलियम संयंत्रों पर ‘‘अभूतपूर्व हमले'' से सऊदी अरामको का उत्पादन करीब 50 प्रतिशत बाधित हुआ।

हमले की जांच जारी है
राजदूत ने कहा, ‘‘जांच चल रही है। सऊदी अरब संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों को जमीनी स्थिति देखने और जांच में शामिल होने के लिए आमंत्रित करेगा।'' उन्होंने कहा, ‘‘सऊदी अरब अपनी सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए उपुयक्त कदम उठाएगा। सऊदी अरब का यह दृढ़ता के साथ कहना है कि उसमें अपनी सरजमीं, अपने लोगों की रक्षा करने और इन हमलों का जोरदार तरीके से जवाब देने की क्षमता और संकल्प है।''

यमन के हूती आतंकवादी समूह ने सऊदी अरब के तेल संयंत्रों पर हुए अब तक के सबसे बड़े हमलों की जिम्मेदारी ली है। इस हमले से वैश्विक तेल आपूर्ति काफी प्रभावित हुई है। सऊदी अरब और उसके सहयोगी देश अमेरिका ने इन हमलों के लिए ईरान को जिम्मेदार ठहराया है लेकिन तेहरान ने आरोपों से इनकार किया है। राजदूत ने कहा, ‘‘सऊदी अरामको के खिलाफ यह हालिया हमला केवल सऊदी अरब के खिलाफ नहीं, बल्कि एक तरह से पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय के खिलाफ था और यह वैश्विक अर्थव्यवस्था में बाधा उत्पन्न करने का जानबूझकर किया गया प्रयास था। इसलिए दोषियों को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।''

उन्होंने कहा, ‘‘सऊदी अरामको का भारत के ऊर्जा क्षेत्र में प्रस्तावित निवेश हमारे द्विपक्षीय संबंध में रणनीतिक मील का पत्थर है, जैसे महाराष्ट्र में पश्चिमी तट रिफाइनरी और पेट्रोकेमिकल परियोजना में 44 अरब अमेरिकी डालर और रिलायंस के साथ दीर्घकालिक साझेदारी।'' उन्होंने कहा कि विश्व के शीर्ष तेल उत्पादकों में शामिल सऊदी अरब बाजार की स्थिरता बनाये रखने के लिए ‘ओपेक' के भीतर और उसके बाहर अन्य उत्पादकों के साथ रचनात्मक रूप से काम करना जारी रखेगा। इस तरह से उत्पादकों और उपभोक्ताओं दोनों के हितों की रक्षा होगी। ओपेक (आर्गेनाइजेशन ऑफ पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्रीज) 14 तेल उत्पादक देशों का समूह है।
 

 


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Yaspal

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