ईरान परमाणु समझौते के तहत मिल रही रियायतों को समाप्त करेगा अमेरिका

punjabkesari.in Thursday, May 28, 2020 - 12:33 PM (IST)

 

वाशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप नीत प्रशासन '2015 के ईरान परमाणु समझौते' के तहत अमेरिकी प्रतिबंधों से   मिल रही लगभग सभी रियायतों को समाप्त करने जा रहा है। अमेरिका के मौजदा और पूर्व अधिकारियों समेत संसद के सलाहकारों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बुधवार को बताया कि विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ इस समझौते से जुड़ी केवल एक रियायत को छोड़कर बाकी सभी रियायतें समाप्त करेंगे । इन रियायतों के तहत रूस, यूरोपीय और चीनी कंपनियों को ईरान के नागरिक परमाणु प्रतिष्ठानों में बिना अमेरिकी जुर्माने के काम जारी रखने की छूट थी। इन रियायतों का मार्च में नवीनीकरण किया गया था और यह इस सप्ताह के अंत में समाप्त होने वाला है।

 

अधिकारियों के अनुसार इस रियायत को समाप्त किए जाने के बाद कंपनियों को अपना कामकाज समेटने के लिए 60 दिन का समय दिया जाएगा। ये अधिकारी सार्वजनिक तौर पर इस मामले पर बात करने के लिए अधिकृत नहीं हैं और इन्होंने नाम न जाहिर करने की शर्त पर यह जानकारी दी। इस संबंध में औपचारिक घोषणा बृहस्पतिवार को हो सकती है। पोम्पिओ ने रियायत को आगे बढ़ाने का विरोध मार्च में किया था। परमाणु समझौते से जुड़ी हुई यह कुछ वैसी रियायतें हैं जिसे ट्रंप प्रशासन ने रद्द नहीं किया था। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2018 में अमेरिका को इस परमाणु समझौते से अलग कर लिया था और ईरान पर वे प्रतिबंध फिर से लागू कर दिए गए थे जिसमें इस समझौते के तहत उसे थोड़ी रियायत दी गई थी या प्रतिबंध पूरी तरह से हटा लिए गए थे।

 

‘नागरिक परमाणु सहयोग’ रियायत विदेशी कंपनियों को ईरान के कुछ घोषित परमाणु प्रतिष्ठानों में बिना अमेरिकी प्रतिबंध का सामना किए हुए काम करने की मंजूरी देता है। ईरान परमाणु समझौते के समर्थकों का कहना है कि इस रियायत से अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों को ईरान की परमाणु नीति के बारे में जरूरी जानकारी मिलती है और इसके बिना ऐसा नहीं हो पाएगा। उनका कहना है कि ईरान में इस संबंध में हो रहे कुछ कार्य जैसे कि तेहरान परमाणु भट्ठी में परमाणु समस्थानिकों से जुड़े कार्य का इस्तेमाल चिकित्सा क्षेत्र में हो सकता है और यह मानवीय कार्य से जुड़ा है। वहीं संसद में ईरान की आलोचना करने वालों ने पोम्पिओ पर दबाव डाला है कि वह सभी तरह की छूटों को समाप्त करें क्योंकि इससे ईरान को वैसे तकनीक हासिल होती हैं जिसका इस्तेमाल वह हथियार के लिए कर सकता है।

 


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Tanuja

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