रूस की ये फोर्स बना सकती है जेलेंस्की को अपना निशाना, मंसूबे नाकाम करने के लिए US-UK की स्पेशल फोर्स तैयार

punjabkesari.in Sunday, Mar 06, 2022 - 03:26 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क: रूस व यूक्रेन के बीच जारी जंग का आज 11वां दिन जारी है। रूसी सेना खारकीव शहर पर ताबड़तोड़ मिसाइलों के साथ अटैक कर रही है। रूस ने दावा किया है कि उसने यूक्रेन के एयर डिफेंस सिस्टम एस-300 को नष्ट कर दिया है। वहीं, यूक्रेन का कहना है कि उसने 11 हजार सैनिकों को मार गिराया है। इसी बीच खबरें है कि, अमेरिका और ब्रिटेन की स्पेशल फोर्सेस राष्ट्रपति व्लोदिमीर जेलेंस्की को खतरे से पहले ही सुरक्षित बाहर निकालने के लिए रिस्क रेस्क्यू ऑपरेशन की तैयारी में लगे हुए हैं। अमेरिका की स्पेशल फोर्स और ब्रिटेन के SAS कमांडो यूक्रेनी सैनिकों के साथ इस स्पेशल मिशन का प्लान बनाने के लिए लिथुआनिया में एक साथ प्रैक्टिस कर रहे हैं।

बता दें कि, रूस की स्पेट्सनाज स्पेशल फोर्स जेलेंस्की को निशाना बना सकती है। अभी हाल ही में ऐसी खबरें आईं थी कि यूक्रेनी राष्ट्रपति को एक हफ्ते में तीन बार मारने की नाकाम कोशिसें हो चुकी हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच अमेरिका ने राष्ट्रपति जेलेंस्की को सुरक्षित बाहर निकालने का ऑफर दिया था लेकिन उन्होंने बाहर निकालने की पेशकश को ठुकर दिया था। उन्होंने कहा थाकि उन्हें गोला-बारूद की जरूरत है, सवारी की नहीं।  स्पेशल फोर्स की तैयारियों की जानकारी ऐसे समय में बाहर आई है, जब जेलेंस्की ने अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडेन से यूक्रेन के लिए अमेरिकी सैन्य, मानवीय तथा आर्थिक सहयोग बढ़ाने और रूस पर प्रतिबंध लगाने को लेकर बातचीत की।

लड़ाकू विमान भेजने की अपील 
अपने देश के अस्तित्व के लिए लड़ रहे यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने अमेरिका से और लड़ाकू विमान भेजने और रूस से तेल आयात कम करने की ‘भावुक' अपील की है ताकि उनका देश रूसी सैन्य कार्रवाई का मुकाबला कर सके। जेलेंस्की ने शनिवार को अमेरिकी सांसदों को निजी तौर पर किए गए वीडियो कॉल में कहा कि संभव है कि वे उन्हें आखिरी बार जिंदा देख रहे हों।

यूक्रेन के राष्ट्रपति राजधानी कीव में ही मौजूद हैं जिसके उत्तर में रूसी बख्तरबंद टुकड़ियों का जमावड़ा है। सेना की हरे रंग की शर्ट में सफेद दीवार की पृष्ठभूमि में यूक्रेन के झंडे के साथ नजर आ रहे जेलेंस्की ने कहा कि यूक्रेन को अपनी हवाई सीमा की सुरक्षा करने की जरूरत है और यह या तो उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) द्वारा उड़ान वर्जित क्षेत्र लागू करने से या अधिक लड़ाकू विमानों के भेजे जाने से ही हो सकता है।


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Content Editor

rajesh kumar

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