विशेषज्ञों ने पाक के भारत से शांति वार्ता प्रस्तावों के सच से उठाया पर्दा, चीन के दखल का खोला राज

punjabkesari.in Sunday, Jun 20, 2021 - 01:30 PM (IST)

लंदन: राजनितिक विशेषज्ञों ने पिछले चंद महीनो में पाकिस्तान के भारत से शांति वार्ता प्रस्तावों के कड़वे सच से पर्दा उठाते हुए चीन की दखलअंदाजी का भी राज खोला है। ब्रिटेन में द डेमोक्रेसी फोरम (TDF) द्वारा आयोजित एक वर्चुअल वैबीनार में अकादमिक, पत्रकारिता और कूटनीति के वैश्विक विशेषज्ञों के एक पैनल ने भारत के साथ शांति के लिए पाकिस्तान के प्रयासों और इस परिदृश्य में चीन की भूमिका की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर चर्चा की। वैबीनार दौरान टीडीएफ के अध्यक्ष लॉर्ड ब्रूस ने पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष जनरल बाजवा के बारे में बात की, जिन्होंने फरवरी में कहा था कि पाकिस्तान भारत के साथ आपसी सम्मान और शांतिपूर्ण वार्ता के लिए प्रतिबद्ध है।

 

लॉर्ड ब्रूस ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच इस तरह के प्रस्ताव कई महीनों से चल रहे हैं लेकि किसी अंजाम तक नहीं पहुंचे। इस दौरान पाकिस्तान ने भारत के साथ बातचीत, क्षेत्रीय शांति और बेहतर संबंधों के कई प्रयासों का दिखावा किया लेकिन मौका आने पर पाक ने स्टैंड बदल लिया । लार्ड ब्रूस ने कहा कि इस बार चीजें अलग दिख रही हैं क्योंकि पाकिस्तान की शांति पहल इसके निरंतर अलगाव की दुर्बल नीति  को  प्रतिबिंबित कर रही है। लॉर्ड ब्रूस ने कहा कि पाकिस्तान की भारत नीति की साजिश में चीन की कूटनीतिक भूमिका को समझना अति आवश्यक है क्योंकि पाक में बड़े पैमाने पर चीनी निवेश और ड्रैगन की महत्वकांशी योजनाएं चल रही हैं।

 

इस दौरान एसओएएस साउथ एशिया इंस्टीट्यूट, लंदन विश्वविद्यालय में राजनीतिक वैज्ञानिक, लेखक और शोध सहयोगी डॉ आयशा सिद्दीका ने तीन प्रमुख मुद्दों पर प्रकाश डाला। उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच शांति की स्थिति, चीन-पाकिस्तान संबंधों की प्रकृति, भारत और पाकिस्तान के बीच शांति पहल में  चीन की भूमिका पर चर्चा की ।पाकिस्तान में चीन की भूमिका के बारे में सिद्दीका ने कहा कि पाकिस्तान चीन और अमेरिका दोनों के साथ अपने संबंध बनाए रखना चाहता है और अगर इंडो-पैसिफिक एक कमरा होता तो पाकिस्तान कमरे में खड़ा होना चाहेगा इसके बाहर नहीं। यदि पाकिस्तान को भू-राजनीतिक केंद्र बनना है तो उसके राजनीतिक संस्थानों में सुधार करने की आवश्यकता है। उसके लिए शांति आवश्यक है जिस पर पाक का कोई ध्यान नहीं है।

 


हडसन इंस्टीट्यूट में दक्षिण और मध्य एशिया के निदेशक और संयुक्त राज्य अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत राजदूत हुसैन हक्कानी ने वैबीनार दौरान इस बात पर ध्यान केंद्रित किया कि चीन ने किस तरह से 'फ्रेंड इन नीड' कार्ड खेलकर भारत के खिलाफ पाकिस्तान का इस्तेमाल  करता है। राजदूत हुसैन हक्कानी ने कहा, "चीन पाकिस्तान और भारत के बीच युद्ध नहीं चाहता है क्योंकि यह भारत के साथ व्यापार करना जारी रखना चाहता है । वजह यह है कि पाकिस्तान के मुकाबले भारत के साथ  चीनी व्यापार को सबसे अधिक फायदा है और वह अपना नुकसान नहीं करना चाहता। लेकिन दूसरी तरफ चीन भारत-पाकिस्तान को सीमा विवाद में फंसाए रखना चाहता है ताकि भारत की अधिकांश सेना पाकिस्तान के साथ सीमा पर तैनात रहे और उसका ध्यान लद्दाख के बजाय कश्मीर मुद्दे पर केंद्रित रहे।

 

हक्कानी ने कहा भारत के लिए पाकिस्तान का शांति प्रस्ताव आमतौर पर तब आता है जब देश के नेताओं को लगता है कि उन्हें चीन के अलावा अन्य दोस्तों की जरूरत है। और इन देशों में से ज्यादातर  पाकिस्तान को लगातार चुनौती देने के बजाय भारत से दोस्ती करने की सलाह देते हैं। उन्होंने कहा कि विडंबना यह है कि चीन पाकिस्तान को सुरक्षा प्रदान किए बिना ही पाकिस्तान के भीतर कट्टरपंथियों को प्रोत्साहित करता है और उसे भारत के खिलाफ उकसाता रहा है।  उदाहरण के लिए पाकिस्तानियों का मानना ​​​​है कि कारगिल युद्ध के दौरान चीन ने पाकिस्तान का समर्थन नहीं किया था।  इस अवसर पर टिम विलसी-विल्सी, विजिटिंग प्रोफेसर, युद्ध अध्ययन विभाग, किंग्स कॉलेज लंदन, और एक पूर्व ब्रिटिश राजनयिक ने भारत, चीन और पाकिस्तान के बीच जटिल त्रिकोणीय संबंधों पर विचार किया 


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Content Writer

Tanuja

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