तिब्बती विचारक अपनी संस्कृति और अधिकार बचाने के लिए कर रहे चीन के क्रोध का सामना

punjabkesari.in Saturday, Jul 02, 2022 - 03:19 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क: तिब्बत पर अपनी पकड़ और मजबूत करने के लिए  चीनी अधिकारी तिब्बती विचारकों को गिरफ्तार कर रहे हैं। ये तिब्बती विचारक अपनी संस्कृति और अधिकारों के पक्ष में बोल रहे हैं और बीजिंग इसे देशद्रोह के कार्य के रूप में देखता है। चीन इन  तिब्बती विचारकों को  अपनी "सांस्कृतिक अस्मिता" नीति के हिस्से के रूप में उन्हें गुप्त जेलों में बंद कर रहा है। तिब्बत प्रेस ने बताया कि चीनी सरकार द्वारा तिब्बती भाषा और संस्कृति को संरक्षित करने के लिए विचार व्यक्त करने वाले  तिब्बती विचारकों पर निरंतर निगरानी रखी जा रही है ।

 

केंद्रीय तिब्बत प्रशासन की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक मशहूर कवि और लेखक रोंगवो गेंदुन लुंडुप को चार साल की सजा सुनाई गई है जबकि लेखक थुप्टेन लोदो उर्फ ​​साबुचे को चार साल की सजा सुनाई गई है। विशेष रूप से, गेंडुन लुंडुप को तिब्बती बौद्ध धर्मग्रंथों का चीनी भाषा में अनुवाद करने का काम सौंपा गया था। एक अन्य विचारक रोंगवो गंगकर चीनी हिरासत में है।

 

रिपोर्ट के मुताबिक चीन की इन हरकतों से  स्पष्ट है कि इन निर्णयों का उद्देश्य उन तिब्बती बुद्धिजीवियों का दमन करना है जो अपनी पहचान की रक्षा करना चाहते हैं। इसी तरह, गो शेरब ग्यात्सो, धी ल्हादेन, रोंगवो गेंदुन लुंडुप, पेमा त्सो, सेयनम, रिनचेन त्सुल्ट्रिम और कुनसांग ग्यालत्सेन समान अपराधों के लिए सीसीपी के क्रोध का सामना कर रहे हैं,  ।

 

 बता दें आजादी के लिए पिछले छह दशकों से जारी संघर्ष के बीच तिब्बतियों के सामने अब अपनी भाषा और संस्कृति बचाने की चुनौती खड़ी हो गई है। चीन ने तिब्बत में शिक्षण संस्थान तोड़ने के बाद अपने प्रयास तेज कर दिए हैं, जिससे तिब्बत में भाषायी व सांस्कृतिक पहचान को ही मिटा दिया जाए। चीन इस नई रणनीति पर काम कर रहा है, जिसमें तिब्बत की नई पीढ़ी आजादी की बात करना ही छोड़ देगी। हालांकि चीन की इस नीति के खिलाफ अब तिब्बतियों का प्रयास है कि चीन से भी ज्यादा तेजी से वे अपनी भाषा और संस्कृति की रक्षा के लिए प्रयास करेंगे, ताकि तिब्बत की आजादी का संघर्ष अपने अंजाम तक पहुंच सके।


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Content Writer

Tanuja

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