रूस-यूक्रेन War पर पुतिन के "बिहारी विधायक" बोले- ये जंग नहीं भारत के सर्जिकल स्ट्राइक जैसा, यूक्रेन ले रहा भारतीयों से बदला

punjabkesari.in Wednesday, Mar 02, 2022 - 10:56 AM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः यूक्रेन-रूस जंग  छठे दिन भी जारी है। रूस ने यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर खारकीव में जमकर गोलीबारी की। रूसी हमले की जद में अब यूक्रेन के करीब सभी अहम शहर आ गए हैं। इसी बीच अमेरिकी रक्षा विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि यूक्रेन की राजधानी कीव की ओर रूसी सैन्य बलों की आवाजाही फिलहाल 'ठप्प' हो गई है। पूरी दुनिया टेंशन में है कि आखिर इस जंग का अंजाम क्या होगा। इस बीच रूस सरकार में  पुतिन की पार्टी के भारतीय मूल के डेप्यूतात (विधायक) अभय सिंह का एक इंटरव्यू सामने आया है जिसमें रूस के इरादे जाहिर किए गए हैं।


रूस और यूक्रेन के बीच कोई जंग है ही नहीं
 इस जंग की क्या स्थिति है। रूस कहां खड़ा है? सवाल पर अभय सिंह ने बेबाकी से कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच कोई जंग है ही नहीं। ये एक तरह से रूस की सेना का ऑपरेशन है, जैसे भारत ने पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक की थी, ये उसी तरह का ऑपरेशन है। इस ऑपरेशन के तहत यूक्रेन की जनता या जान-माल को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जा रहा है। इसके मद्देनजर रूस की सेना धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है। अगर इसका ध्यान न रखा जाता तो ये अभियान एक दिन में ही खत्म हो सकता था। ये रूस के लिए एक ही दिन का युद्ध था।


यूक्रेन को जीतना रूस के लिए केवल एक दिन का काम
अभय सिंह जो 1991 में रूस पढ़ने गए और अब वहां दवा कारोबारी व विधायक है का कहना है कि यूक्रेन को जीतना रूस जैसे देश के लिए केवल एक दिन का काम है। सारी दुनिया इसे युद्ध कह रही है, लेकिन रूस इसे केवल अपनी सेना का ऑपरेशन बता रहा है। उन्होंने कहा कि  यूक्रेन में मारे गए भारतीय छात्र की तो रूस सीधे तौर पर इसे यूक्रेन की भारत के खिलाफ बदले की कार्रवाई  है। लाखों रूसी सैनिकों की यूक्रेन उपस्थिति व हमलों को लेकर अभय सिंह ने कहा कि   ये एक सैन्य अभियान है, अगर हमला होता तो दोनों तरफ से बमबारी हो रही होती, गोलीबारी हो रही होती। ऐसा नहीं हो रहा है।जितने भी रूस के सैनिक हैं उन्हें निर्देश दिए गए हैं। उनसे कहा गया है कि यूक्रेन के नागरिकों को नुकसान नहीं पहुंचाना है। नागरिकों को सुरक्षित रखते हुए अपना ऑपरेशन पूरा करना है। इसे सर्जिकल स्ट्राइक जैसा ही ऑपरेशन कहेंगे, युद्ध नहीं।

 

यूक्रेन ले रहा भारतीय छात्रों से बदला
एक भारतीय छात्र की मौत और  यूक्रेन में फँसे हजारों भारतीय छात्रों को लेकर  उन्होंने कहा कि ये बहुत दुख की बात है कि भारत के एक होनहार छात्र की मौत हुई है। छात्र जो बाहर जाकर मेडिकल की पढ़ाई कर रहा था, उसके साथ ऐसा हुआ। मैं केवल इस छात्र की बात नहीं कर रहा हूं। आप देखिए यूक्रेनी सैनिकों का या बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स का कितना खराब व्यवहार भारतीय छात्राओं के प्रति रहा है। लड़कियों को जूते और लातों से मारा गया है। यूक्रेन का भारत के प्रति रवैया बहुत खराब है। मेरे ख्याल से इस छात्र की मौत के पीछे जरूर कोई कारण है। हो सकता है कि भारत ने यूक्रेन का समर्थन नहीं किया है, जिसका बदला वो बच्चों से ले रहा है।
 
युद्ध में रूस की स्थिति
 रूस ने एक स्वतंत्र देश पर हमला किया है। इस युद्ध में रूस की स्थिति पूछने पर अभय  का कहना है कि देश तो सभी स्वतंत्र ही हैं। गुलाम देश आज कोई नहीं है, ये सिर्फ बोलने की बात है। रूस काफी देर तक बर्दाश्त करता रहा। जब सोवियत संघ टूटा तब NATO देशों के साथ एक समझौता हुआ था कि आप रूस की सीमाओं तक नहीं आएंगे। रूस की बॉर्डर से दूर रहेंगे। NATO पिछले 30 सालों में धीरे-धीरे बिलकुल रूस की बॉर्डर तक चला आया है। यही वजह है कि हमें ये संकट देखना पड़ रहा है। इसे ऐसे समझा जा सकता है कि भारत के बगल में बांग्लादेश छोटा सा देश है। उसे प्रभावित करके अगर चीन वहां अपने सैन्य अड्डे बना ले तो भारत के लिए परेशानी खड़ी हो जाएगी।

 

NATO की वजह से यूक्रेन संकट में 
इसी तरह अगर यूक्रेन-रूस की बॉर्डर पर आप NATO को आने देता है तो समस्या तो खड़ी होनी ही थी। रूस एक मजबूत देश है इसलिए हमारे राष्ट्रपति ने ये कड़ा कदम उठाया है। हमारी संसद ने इसे अनुमति दी है। उन्होंने कहा कि इसकी  कोई प्लानिंग नहीं थी। जब बातचीत से रास्ता नहीं निकला तब रूस को ये फैसला लेना पड़ा। एक महीने से अधिक तक रूस की सेना घेरकर बैठी हुई थी। हम कुछ नहीं कर रहे थे। बर्फबारी में रूस की सेना मुश्किल हालात में वहां थी। शून्य से दस डिग्री नीचे तापमान था, लेकिन हमारी किसी ने सुनी ही नहीं। रूस की सेना इंतजार कर ही थी कि वार्ता से कोई नतीजा निकले, जब वार्ता से कुछ नहीं हुआ तो रूस को ऐसा फैसला लेना पड़ा।

 

तीसरे विश्वयुद्ध की शुरुआत दावों को किया खारिज
सुरक्षा विश्लेषक के तीसरे विश्वयुद्ध की शुरुआत दावों को खारिज करते हुए कहा कि  हालात वहां तक जाएंगे। मेरे खयाल से अगले एक सप्ताह में सब कुछ ठीक हो जाएगा।  पश्चिमी देशों के रूस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंधों पर अभय सिंह ने कहा कि  ये जो प्रतिबंध हैं, ये आज या कल के नहीं है, ये पिछले आठ- दस सालों से लगाए जा रहे हैं। इस प्रतिबंध का नतीजा रूस के लिए तो अच्छा ही होने वाला है और ऐसा नजर भी आ रहा है। जो अभी प्रतिबंध लगाए गए हैं,  हमारा वित्तीय विभाग इसके लिए पहले से तैयार था।   रूबल जो अभी गिर रहा है, ये समय की बात है, कुछ समय में सब कुछ बिलकुल ठीक हो जाएगा।


कुछ लोग तो विरोध करेंगे ही
 कुछ शहरों में राष्ट्रपति पुतिन के खिलाफ प्रदर्शन उन्होंने बताया कि रूस में यूक्रेन के दस लाख से अधिक प्रवासी रहते हैं, और उनमें से अधिकतम को अब तक रूस की नागरिकता दी जा चुकी है। वो लोग राष्ट्रपति पुतिन का समर्थन करते हैं। कुछ लोग हैं जो विरोध कर रहे हैं, लेकिन इनकी संख्या बहुत कम है। दुनिया में कोई भी ऐसा नेता नहीं है जिसे अपने सौ प्रतिशत नागरिकों का समर्थन प्राप्त हो। कुछ लोग तो विरोध करेंगे ही।


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Content Writer

Tanuja

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