अफगानिस्तान की बर्बादी तय! तालिबान सरकार में 17 खूंखार आतंकी, 14 संयुक्त राष्ट्र की काली सूची में

punjabkesari.in Thursday, Sep 09, 2021 - 11:16 AM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः कल तालिबान की सरकार के जिन 33 सदस्यों का ऐलान हुआ, उनमें से 17 सदस्य ऐसे हैं, जिन्हें संयुक्त राष्ट्र (UN) ने अपनी प्रतिबंधित सूची में रखा है  ये वो 17 खतरनाक आतंकवादी हैं जिन पर कई तरह के आर्थिक, कारोबारी और राजनीतिक प्रतिबंध हैं। इस सरकार में पांच ऐसे आतंकवादी भी मंत्री बने हैं  जिनके पिता, भाई और चाचा तालिबान में रहे हैं यानि यहां भी भाई भतीजावाद है।  विशेषज्ञों का कहना है कि आंतकियों की सरकार बनने से ज्यादा दुनिया के लिए शर्मनाक और कुछ नहीं हो सकता है। उनका कहना है कि अब अफगानिस्तान की बर्बादी तय है।

 

तालिबान की इस सरकार में 4 मंत्री ऐसे भी हैं, जिन्हें वर्ष 2015 में अमेरिका ने अपने एक सैनिक को हक्कानी नेटवर्क के कब्जे से छुड़ाने के लिए दुनिया की सबसे खतरनाक जेल ग्वांतानामो बे से छोड़ दिया था, जो क्यूबा में है लेकिन आज 6 साल बाद ये चारों आतंकवादी मंत्री बन गए हैं। अब्दुल हक वासीक को खुफिया मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली है। मुल्ला नूरुल्लाह नूरी को आदिवासी मामलों का मंत्री बनाया गया है। मुल्ला मोहम्मद फजल उप रक्षा मंत्री बना है और खैरुल्लाह खैरख्वाह को सूचना एवं प्रसारण मंत्री बनाया गया है।

 

अफगानिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री मुल्ला हसन अखुंद, उनके दो उपप्रधानमंत्रियों समेत तालिबान की अंतरिम सरकार के कम से कम 14 सदस्य संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की काली सूची में हैं जिससे अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंता बढ़ गई है। वैश्विक आतंकवादी घोषित सिराजुद्दीन हक्कानी को कार्यवाहक गृहमंत्री बनाया गया है वहीं सिराजुद्दीन हक्कानी के चाचा खलील हक्कानी को शरणार्थी मामलों का कार्यवाहक मंत्री नामित किया गया है। सिराजुद्दीन के सिर पर पर एक करोड अमेरिकी डॉलर का इनाम घोषित है। कार्यवाहक रक्षामंत्री मल्ला याकूब, कार्यवाहक विदेश मंत्री मुल्ला अमीर खान मुत्ताकी, उपविदेश मंत्री शेर मोहम्मद अब्बास स्टेनिकजई भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद 1988 प्रतिबंध समिति के तहत सूचीबद्ध है। इसे तालिबान प्रतिबंध समिति के नाम से भी जाना जाता है। 

 

तालिबान की अंतरिम सरकार के कम से कम 14 सदस्य संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की काली सूची में हैं।'' अफगानिस्तान के 33 सदस्यीय मंत्रिमंडल में चार ऐसे नेता शामिल हैं जो ‘तालिबान फाइव' में शामिल थे। उन्हें गुआंतानामो जेल में रखा गया था। उनमें मुल्ला मोहम्मद फाजिल (उप रक्षामंत्री), खैरूल्लाह खैरख्वा (सूचना एवं संस्कृति मंत्री), मुल्ला नूरुल्लाह नूरी (सीमा एवं जनजातीय विषयक मंत्री) तथा मुल्ला अब्दुल हक वासिक (खुफिया निदेशक) शामिल हैं। इस समूह के पांचवें सदस्य मोहम्मद नबी उमरी को हाल में पूर्वी खोस्त प्रांत का गवर्नर नियुक्त किया गया। ‘तालिबान फाइव' नेताओं को 2014 में ओबामा प्रशासन ने रिहा किया था। फाजिल और नूरी पर 1998 में शिया हजारा, ताजिक और उज्बेक समुदायों के नरसंहार का आदेश देने का आरोप है।

 

तालिबान ने एक ऐसी समावेशी सरकार का वादा किया था जो अफगानिस्तान की जटिल जातीय संरचना का परिचायक हो लेकिन मंत्रिमंडल में कोई हजारा सदस्य नहीं है। मंगलवार को घोषित किये गये सारे मंत्री पहले से ही स्थापित तालिबान नेता हैं जिन्होंने 2001 से अमेरिकी नीत गठबंधन सेना के विरूद्ध लड़ाई लडी। अंतरिम मंत्रिमंडल में किसी महिला को भी जगह नहीं मिली है। कार्यवाहक प्रधानमंत्री मुल्ला हसन को संयुकत राष्ट्र प्रतिबंध रिपोर्ट में तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर का करीबी बताया गया है। वह फिलहाल निर्णय लेने वाले शक्तिशाली निकाय रहबरी सूरा के प्रमुख हैं। दोनों उपप्रधानमंत्री मुल्ला अब्दुल गनी बरादर और मौलवी अब्दुल सलाक हनाफी भी संयुक्त राष्ट्र की काली सूची में हैं और उन पर मादक पदार्थों की तस्करी में शामिल रहने के आरोप हैं। 


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Content Writer

Tanuja

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