Live: नार्वे दूतावास पर तालिबान का कब्जा; शराब की बोतलें फोड़ीं व किताबें फाड़ी, नया शासनादेश किया जारी
punjabkesari.in Thursday, Sep 09, 2021 - 11:58 AM (IST)
इंटरनेशनल डेस्कः अफगानिस्तान में तालिबान का तालिबान के लिए तालिबान द्वारा शासन शुरू हो गया है । नई सरकार के ऐलान के एक दिन बाद ही तालिबान का असली चेहरा फिर दुनिया के सामने आ गया है। बाजारों पर उनके खौफ के साये और हिजाब में पूरी तरह से ढकी महिलाएं इस बात की गवाही दे रही हैं कि तालिबान बिलकुल भी बदला नहीं है। वह सिर्फ दुनिया को बरगलाने के लिए बदली-बदली बातें कर रहा हैं। अफगानिस्तान की हर खबर पढ़ने के लिए जुड़ें punjabkesari.in के साथ...
Live Updates:-
- अफगानिस्तान की जनता पर पहरे लगा रहे तालिबानी आतंकियों ने अब काबुल स्थित नार्वे के दूतावास को अपने कब्जे में ले लिया है। तालिबानियों ने कहा है कि वे नार्वे के दूतावास से तभी निकलेंगे जब वहां पर रखी शराब की सारी बोतलें तोड़ दी जाएंगी। यही नहीं तालिबानी दूतावास के अंदर रखी बच्चों की किताबों को फाड़ दिया है। ईरान में नार्वे के राजदूत सिगवाल्ड हेग ने बुधवार को ट्वीट करके इसकी जानकारी दी है।
- दूतावास के अंदर तालिबानियों के बंदूक लेकर घुसने की तस्वीरें सोशल मीडिया में जमकर शेयर की जा रही हैं। इससे पहले अफगानिस्तान के हेरात शहर पर कब्जे के बाद वहां गवर्नर हाउस में रखी मंहगी-मंहगी शराब की बोतलें तालिबानियों ने तोड़ डाली थीं। बोतलें तोड़ने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था। वीडियो के साथ कहा गया था कि तालिबान को हेरात गवर्नर के ऑफिस में शराब की बोतलें मिली हैं, जिन्हें वह फेंक रहा है। तालिबानी भले ही शराब पर बैन लगा रहे हैं लेकिन वे खुद दुनियाभर में अफीम, हेरोइन जैसे ड्रग्स की तस्करी करके करोड़ों रुपये कमा रहे हैं। तालिबानी सरकार में गृहमंत्री और आईएसआई का पिट्ठू सिराजुद्दीन हक्कानी ड्रग्स के व्यापार को देखता है।
- संयुक्त राज्य अमेरिका तालिबान को पिछले 15 सालों से अफगानिस्तान के अफीम और हेरोइन ट्रेड से मुनाफा कमाने से रोकने की कोशिश कर रहा है। इस पर अमेरिका ने 8 अरब डॉलर भी खर्च कर डाले। अमेरिका की ओर से उठाए गए कदमों में पोस्ता उन्मूलन से लेकर हवाई हमले और संदिग्ध प्रयोगशालाओं पर छापे तक शामिल रहे लेकिन नतीजा कोई नहीं निकला। अफगानिस्तान से होने वाले अफीम और हेरोइन के गैरकानूनी ट्रेड का तलिबान आज भी और भरपूर फायदा उठा रहा है।
- अफगानिस्तान मेंलोग तालिबान के इस क्रूर शासन के खिलाफ उठ खड़े हुए हैं और सड़कों पर उतर आए हैं। इस पर भड़की नयी तालिबान सरकार के आंतरिक(गृह) मंत्रालय ने अफगानिस्तान में कई दिनों से जारी प्रदर्शनों को समाप्त कराने के लिए शासनादेश जारी किया है। आंतरिक मंत्री ने देश में सभी तरह के प्रदर्शनों को समाप्त कराने के लिए यह आदेश जारी किया है जिसके तहत प्रदर्शनकारियों को किसी भी तरह का प्रदर्शन करने के लिए पूर्व में अनुमति लेनी होगी। इसके अनुसार उन्हें प्रदर्शन में लगने वाले नारों और बैनरों के लिए भी पहले ही मंजूरी लेनी होगी।
- इस बात की संभावना बहुत कम है कि देश के कट्टरपंथी इस्लामी शासकों से अपने अधिकारों की मांग को लेकर लगभग रोजाना हो रहे प्रदर्शनों की अगुवाई कर रही महिलाओं को नये नियमों के तहत प्रदर्शन करने की इजाजत होगी। मंत्रालय के बयान के मुताबिक, ‘‘सभी नागरिकों के लिए घोषणा की जाती है कि वे मौजूदा वक्त में किसी तरह का प्रदर्शन किसी भी नाम के तहत करने का प्रयास न करें।” देश में जारी प्रदर्शनों में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ क्रूरतापूर्ण कार्रवाई की गई है।
- अमेरिका के एक सांसद ने अफगानिस्तान के पंजशीर में तालिबान के हमले में कथित तौर पर मदद करने के लिए पाकिस्तान पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। इलिनोइस के सांसद एडम किन्ज़िंगर ने कहा,‘‘ अगर पुष्टि हो जाती है तो हमें न सिर्फ सभी सहायताएं बंद कर देनी चाहिए, बल्कि हमें प्रतिबंध भी लगाने चाहिए। पाकिस्तान अब हमें दिखा रहा है कि उसने वर्षों हमसे झूठ बोला, उन्होंने तालिबान को बनाया और उन्हें संरक्षण भी दिया। '' सांसद का यह बयान ‘फॉक्स न्यूज' की उस खबर के बाद आया, जिसमें कहा गया है कि पाकिस्तानी सेना पंजशीर में तालिबान के हमलों में सहयोग कर रही है, जिनमें पाकिस्तानी विशेष बलों के 27 विमानों से हमले और उसके द्वारा किए ड्रोन हमले शामिल हैं।
- संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतारेस ने बुधवार को अंतरराष्ट्रीय समुदाय का आह्वान किया कि वो अफगानिस्तान में वैश्विक आतंकवादी खतरे से निपटने के लिये अपने पास मौजूद सभी संसाधनों का इस्तेमाल करें और युद्ध प्रभावित देश में एक “समावेशी” सरकार की स्थापना का समर्थन करें। तालिबान ने एक दिन पहले ही अंतरिम सरकार की घोषणा की है जिसमें विद्रोही समूह के शीर्ष नेताओं का वर्चस्व है। गुतारेस ने अफगानिस्तान की स्थिति और अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए इसके निहितार्थ पर यहां जारी एक रिपोर्ट में कहा, “अफगानिस्तान को फिर कभी किसी देश को धमकी देने या उसपर हमला करने के लिए आतंकवादी संगठनों के एक मंच या सुरक्षित पनाहगाह के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।