तालिबानी के लिए बड़ी चुनौती साबित हो रहा सरकार को अंतरराष्ट्रीय मान्यता दिलाना

punjabkesari.in Saturday, Sep 18, 2021 - 01:43 PM (IST)

 काबुल: अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद तालिबान बेशक सरकार बनाने में कामयाब रहे, लेकिन उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती  सरकार को दुनिया से मान्यता दिलाने की है जिसके लिए उन्हें कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।  अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकारों के मुताबिक पहली बड़ी चुनौती तो संयुक्त राष्ट्र संघ में मान्यता का होगा। 

 

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अफगानिस्तान पर कब्जा करने और अशांत देश में सरकार की घोषणा करने के बाद तालिबान शासन को मान्यता प्राप्त करने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।  तालिबान ने पिछले हफ्ते अंतरिम "इस्लामिक अमीरात" का गठन किया और अपनी नई सरकार में ऐसे कट्टरपंथियों को नियुक्त किया जिन्होंने अमेरिका के  सैन्य गठबंधन के खिलाफ 20 साल की लड़ाई की देखरेख की। डेली टाइम्स ने बताया कि इस्लामिक अमीरात की बहाली तालिबान सरकार की दुनिया की मान्यता में  बड़ी बाधा हो सकती है।


मीडिया रिपोर्ट के अनुसार दुनिया इस बात का इंतजार करेगी कि क्या तालिबान अल-कायदा सहित विदेशी आतंकवादी समूहों को अमेरिका और उसके सहयोगियों के खिलाफ अफगान धरती का उपयोग करने से रोकने की गारंटी पर अपनी प्रतिबद्धता का सम्मान करता है या नहीं।  इससे पहले  तालिबान अधिकारियों ने राष्ट्रपति भवन से अफगानिस्तान के राष्ट्रीय ध्वज को हटा दिया और महल के ऊपर अपना झंडा फहराया। इस बीच, रूस,  अमेरिका, जापान, कनाडा, फ्रांस, यूके ने साफ कर दिया है कि उनकी तालिबान द्वारा गठित सरकार को मान्यता देने की  फिलहाल कोई योजना नहीं है।

 

बता दें कि नियम अनुसार किसी भी देश में यदि गैर लोकतांत्रिक तरीके से शासन व्यवस्था बदलती भी है तो आने वाली सरकार अपने नए प्रतिनिधिमंडल के नामों की सूची यूएन को भेजती है। हालांकि मामला ऐसे में पेचीदा हो जाता है जब एक ही देश के लिए दो समानांतर सरकार हैं अपने दावे पेश करें। विशेषज्ञों के मुताबिक ऐसे में मामला फैसले के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा के पास जाता है और इस प्रक्रिया में समय लग सकता है।

 

संयुक्त राष्ट्र महासभा का सत्र इसी माह है और अभी तक अफगानिस्तान में नई सरकार ने औपचारिक तौर पर कामकाज नहीं सम्भाला है। ऐसे में यदि तालिबान सरकार के साथ साथ रेजिस्टेंस फोर्स भी अपने प्रतिनिधिमंडल की सूची यूएन को भेज देता है तो मामला संयुक्त राष्ट्र की मान्यता समिति के स्तर पर हल होना मुश्किल है। इतना ही नहीं प्रतिस्पर्धी और समानांतर दावों के बीच विभिन्न देशों के लिए भी अफगानिस्तान की नई सरकार को मान्यता देने का सवाल उनका होगा।


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Content Writer

Tanuja

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