आतंकियों को वैध बनाने की खतरनाक मिसाल बन सकती है तालिबान की ओस्लो वार्ता: विशेषज्ञ

punjabkesari.in Tuesday, Jan 25, 2022 - 04:42 PM (IST)

तेल अवीव: तालिबान प्रतिनिधिमंडल की नॉर्वे की राजधानी ओस्लो दौरे की दुनिया भर में बड़े पैमाने पर आलोचना हो रही है। एक राजनीतिक शोधकर्ता, सलाहकार और उद्यमी वास शेनॉय, जिन्होंने दो दशकों तक यूरोप, मध्य पूर्व और अफ्रीका में काम किया है, ने द टाइम्स ऑफ इज़राइल में एक ब्लॉग पोस्ट में कहा कि  आतंकवादियों को वैध ठहराने के लिए तालिबान प्रतिनिधिमंडल की ओस्लो यात्रा एक खतरनाक मिसाल कायम कर सकती है। 

 

 क तालिबान प्रतिनिधिमंडल के साथ औपचारिक बैठक बुलाने वाले नॉर्वेजियन ने इस बात को रेखांकित करते हुए कहा कि इस तरह की बैठक मान्यता का संकेत नहीं है, मिश्रित संकेतों के साथ एक भ्रमित करने वाला कदम है। नॉर्वे के विदेश मंत्री एनिकेन हुइटफेल्ड ने जोर देकर कहा कि यह यात्रा "तालिबान की वैधता या मान्यता नहीं थी। लेकिन हमें उन लोगों से बात करनी चाहिए जो आज देश पर शासन करते हैं।" यह बयान अपने आप में विरोधाभासी है। शेनॉय ने कहा कि यह स्वीकार करके कि तालिबान देश पर शासन करता है, विदेश मंत्री ने पहले ही मौन मान्यता प्रदान कर दी है।

 

शेनॉय ने कहा कि तालिबान एक आतंकवादी संगठन है, जो पाकिस्तान द्वारा समर्थित और नियंत्रित है, जिसका कोई स्पष्ट रियायत देने का कोई इरादा नहीं है।बता दें कि अफगानिस्तान पर पिछले साल अगस्त में कब्जे के बाद तालिबानी प्रतिनिधिमंडल देश में खराब होते मानवीय हालात पर चर्चा के लिए पहली बार यूरोप पहुंचा। अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी के नेतृत्व में तालिबानी प्रतिनिधिमंडल की नार्वे की राजधानी ओस्लो में रविवार को पश्चिमी अधिकारियों और अफगानी सिविल सोसायटी के प्रतिनिधियों के साथ वार्ता की  जिसके बाद मान्यता को लेकर नई बहस छिड़ गई है। 

 

पहले दिन की वार्ता के बाद तालिबानी प्रतिनिधिमंडल के सदस्य शफीउल्ला आजम ने खास बातचीत में कहा, 'पश्चिमी अधिकारियों के साथ तीन दिवसीय वार्ता तालिबान सरकार को मान्यता की दिशा में पहला कदम है। ऐसी पहल और संवाद यूरोपीय समुदाय, अमेरिका और अन्य देशों को अफगानिस्तान सरकार की खराब छवि को सुधारने में मदद करेंगे।' हालांकि, तालिबान का यह बयान मेजबान नार्वे को परेशान कर सकता है। वार्ता के विरोध में अफगानिस्तान मूल के 200 से ज्यादा लोगों ने नार्वे के विदेश मंत्रालय के समक्ष प्रदर्शन किया और आरोप लगाया कि तालिबान में कोई बदलाव नहीं हुआ है।

 

जैसे वे वर्ष 2001 में थे, वैसे ही अब भी हैं, तालिबानी नहीं बदल सकते हैं।तालिबानी प्रतिनिधिमंडल ने महिला अधिकार व मानवाधिकार संगठनों के प्रतिनिधियों से भी मुलाकात की। अफगानिस्तान के कार्यवाहक संस्कृति व सूचना उप मंत्री जबीउल्ला मुजाहिद ने एक संयुक्त बयान ट्वीट किया, 'वार्ता में शामिल प्रतिभागियों ने कहा कि साझा सहयोग ही अफगानिस्तान की सभी समस्याओं का निदान है। राजनीतिक, आर्थिक व सुरक्षा की बेहतर स्थितियों को हासिल करने के लिए सभी अफगानियों को मिलकर काम करना होगा।'


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Content Writer

Tanuja

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