अमेरिकी जासूसी एजेंसियों की नजर चीन पर, बढ़ सकती है चीनी-अमेरिकियों की मुसीबत

punjabkesari.in Thursday, Jun 16, 2022 - 10:32 AM (IST)

वाशिंगटन: राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर नागरिकों के समूहों के खिलाफ अमेरिका सरकार के भेदभाव का एक लंबा इतिहास रहा है। अमेरिकी जासूसी एजेंसियों की नजर  चीन पर  है जिसचीनी-अमेरिकियों की मुसीबत से  बढ़ सकती है । अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के चीन के खिलाफ अपने प्रयासों को तेज करने के बीच नागरिक स्वतंत्रता को प्रभावित करने वाली जासूसी के बारे में नई चिंताएं बढ़ रही हैं। अमेरिका के राष्ट्रीय खुफिया निदेशक के कार्यालय की एक नयी रिपोर्ट में कई सिफारिशें की गई हैं।

 

परमाणु हथियारों, भू-राजनीति और कोविड-19 महामारी की उत्पत्ति सहित विभिन्न मुद्दों पर चीन के निर्णय को बेहतर ढंग से समझने के लिए अमेरिकी खुफिया एजेंसियों पर लगातार दबाव है जिन्होंने बीजिंग पर ध्यान केंद्रित करने वाले नए केंद्रों और कार्यक्रमों को विस्तारित किया है। चीन को लेकर अमेरिकी दृष्टिकोण को जहां द्विदलीय समर्थन है प्राप्त है, वहीं नागरिक अधिकार समूह और पैरोकार चीनी मूल के लोगों पर बढ़ी हुई निगरानी के असमान प्रभाव के बारे में चिंतित हैं। उदाहरण के रूप में, जो लोग चीन में रिश्तेदारों या संपर्कों से बात करते हैं, उन पर निगरानी की संभावना अधिक हो सकती है।

 

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापानी-अमेरिकियों को नजरबंदी शिविरों में रखा गया था, 1960 के नागरिक अधिकार आंदोलन के दौरान अश्वेत नेताओं की जासूसी की गई थी, और 11 सितंबर के हमलों के बाद मस्जिदों की जासूसी की गई। संगठन ‘एशियन अमेरिकन फेडरल एम्प्लॉइज फॉर नॉन डिस्क्रिमिनेशन’ की सह-संस्थापक आर्यानी ओंग ने कहा कि एशियाई मूल के लोगों पर कभी-कभी "वफादार अमेरिकियों के रूप में पूरी तरह से भरोसा नहीं किया जाता।"
 


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Content Writer

Tanuja

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