एक्सपर्ट की रायः रूस-यूक्रेन जंग का फायदा उठा सकता है चीन, ताइवान को बनाएगा निशाना !

punjabkesari.in Monday, Feb 28, 2022 - 06:36 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः रूस-यूक्रेन युद्ध से  जहां पूरी दुनिया भयभीत है वहीं चीन कहीं न कहीं खुश नजर आ रहा है।  फ्रांस में मिलिट्री अटैची रहे लेफ्टिनेंट जनरल (रिटा.) राज कादयान का कहना है कि इस जंग सबसे अधिक लाभ चीन को ही होने वाला है। ताइवान पर गिद्ध दृष्टि जमाए बैठा चीन  यूक्रेन की हार होते ही तइपे पर हमला बाेल सकता है। चीन कई सालों से ताइवान पर कब्जे के फिराक में है। रूस-यूक्रेन युद्ध को वह बेहतर मौके के रूप में देख रहा है। वह चाहता है कि यूक्रेन को रूस पूरी तरह अपने प्रभाव में ले ले। इससे पूरी दुनिया में यह संदेश जाएगा कि रूस आज भी सुपर पावर है।

 

यूक्रेन की हार से नाटो में शामिल सभी देशों का मनोबल कमजोर होगा। सभी के द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के आगे भी रूस नहीं झुका।यूक्रेन की हार से यह संदेश जाएगा कि पूरा यूरोप और पश्चिमी देश मिलकर भी उसे नहीं बचा सके। वैसे में ताइवान के ऊपर चीन जब हमला बोलेगा फिर कौन सामने आएगा क्योंकि यूरोप और पश्चिमी देशों से ताइवान काफी दूर भी है।रूस-यूक्रेन विवाद पर दैनिक जागरण से बातचीत में लेफ्टिनेंट जनरल (रिटा.) राज कादयान ने कहा कि चीन कई बार ताइवान में अपना फाइटर प्लेन भेज चुका है।

 

दरअसल, रूस के राष्ट्रपति किसी भी कीमत पर झुकने वाले नहीं हैं। यूक्रेन नाटो में शामिल नहीं होगा, यह लिखित में लेना चाहते हैं। यूक्रेन को यह लिखित में देना ही होगा। इसके अलावा दूसरा कोई चारा नहीं है। सोवियत संघ के विघटन के बाद यह तय हुआ था कि नाटो जर्मनी के पूर्व में नहीं जाएगा लेकिन रूस के एतराज के बाद भी कई देशों को उसमें शामिल कर लिया गया। यूक्रेन और रूस एक-दूसरे से सटे हुए हैं।

 

पश्चिमी देश चाहते हैं कि यूक्रेन और रूस के बीच लंबा संघर्ष चले। यूक्रेन की हार के बाद भी रूसी सेना वहां मौजूद रहेगी। इससे आंतरिक संघर्ष जारी रहेगा। इससे रूस की आर्थिक हालत धीरे-धीरे कमजोर हो जाएगी। आर्थिक हालत कमजोर होने पर ही रूस दबेगा अन्यथा उसे कोई दबा नहीं सकता। आज भी वह बहुत ताकतवर देश है। सबसे बड़ी बात यह है कि उसके पास पुतिन जैसा लीडर है, जिसके ऊपर वहां की जनता जान देती है। जहां तक यूक्रेन का सवाल है तो वह रूस के सामने बहुत कमजोर है लेकिन उसके पास यूरोप की दूसरी सबसे बड़ी सेना है। बहुत बड़े भू-भाग में फैला है।

 

उस पर कब्जा करने में कुछ दिन लग सकते हैं क्योंकि रूस नहीं चाहता है कि आम लोगों की जान जाए। वह केवल सैन्य ठिकानों को निशाना बना रहा है। कुल मिलाकर यह युद्ध पावर प्ले है। रूस अपनी ताकत का अहसास यूरोप और पश्चिमी देशों को कराना चाहता है। अहसास कराना उसकी मजबूरी है। उसे दबाने के लिए कई वर्षों से लगातार प्रयास जारी हैं। अमेरिका सहित कई देश चाहते थे कि रूस हमला करे ताकि उसके ऊपर प्रतिबंध लगाने का मौका मिले। प्रतिबंधों की वजह से उसकी आर्थिक स्थिति कमजोर होगी।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Tanuja

Recommended News

Related News