बालकनी में समय गुजारने की अल जवाहिरी की आदत उसकी मौत का कारण बनी

punjabkesari.in Tuesday, Aug 02, 2022 - 10:19 PM (IST)

वाशिंगटन, दो अगस्त (एपी) अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में रविवार को सूरज उगने के साथ ही अमेरिकी ड्रोन से दागी गई दो हेलफायर मिसाइलों ने अल-कायदा के सरगना के तौर पर अयमान अल-जवाहिरी के एक दशक लंबे कार्यकाल का अंत कर दिया।

इस बड़े आतंकवाद निरोधी अभियान की तैयारी कई महीने पहले ही कर ली गई थी।

अमेरिकी अधिकारियों ने अल-जवाहिरी की पनाहगाह का वृहद मॉडल तैयार कर उसे व्हाइट हाउस के ‘सिचुएशन रूम’ में राष्ट्रपति जो बाइडन के समक्ष पेश किया था। उन्हें पता था कि अल-जवाहिरी अक्सर अपने घर की बालकनी में बैठता है।

एक अधिकारी के मुताबिक, अमेरिकी खुफिया विभाग ने अल-जवाहिरी की जीवनशैली का विस्तृत खाका तैयार किया था और जब मिसाइलों ने उड़ान भरी, तब अधिकारियों को यकीन था कि अल-कायदा सरगना बालकनी में होगा।

अल-जवाहिरी अमेरिका में 9/11 को हुए आतंकी हमले के षड्यंत्रकारियों में शामिल था। मई 2011 में अमेरिकी नेवी सील के खुफिया अभियान में ओसामा बिना लादेन के मारे जाने तक वह अल-कायदा में नंबर दो की हैसियत रखता था।

अल-कायदा सरगना के ठिकाने का सुराग मिलने के बाद बाइडन ने कहा था कि अल-जवाहिरी और उसके सहयोगियों तक पहुंचने के लिए खुफिया अधिकारियों द्वारा चार राष्ट्रपतियों के कार्यकाल में किए गए प्रयास इस साल की शुरुआत में रंग ले आए।

अमेरिका ने रविवार सुबह 6.18 बजे काबुल के सुदूर इलाके में मिसाइलें दागकर अल-जवाहिरी को मौत की नींद सुला दिया।

हक्कानी नेटवर्क के सहयोग से अल-जवाहिरी का परिवार पिछले साल इस घर में तब रहने पहुंचा था, जब तालिबान ने अफगानिस्तान की हुकूमत अपने हाथों में ले ली थी।
अधिकारियों ने बताया कि अल-जवाहिरी के ठिकाने का सुराग मिलना काफी नहीं था, उसकी पहचान की पुष्टि करना, भीड़भाड़ वाले इलाके में ऐसे हमले की योजना बनाना, जिसमें आम नागरिकों को नुकसान न पहुंचे और यह सुनिश्चित करना कि अभियान से अमेरिका की अन्य प्राथमिकताओं को झटका न लगे, बेहद अहम था और यही कारण है कि इसमें महीनों का समय लग गया।

अधिकारियों के मुताबिक, अभियान की तैयारियों में विश्लेषकों की स्वतंत्र टीम का अल-जवाहिरी की मौजूदगी की संभावनाओं को लेकर समान निष्कर्ष पर पहुंचना, आसपास मौजूद लोगों को होने वाले खतरे के आकलन के लिए इमारत की संरचना का अध्ययन करना और मॉक अभियान चलाना तथा बाइडन के सलाहकारों की आम सहमति हासिल करना शामिल था।
बाइडन ने सुराग को ‘स्पष्ट एवं भरोसेमंद’ करार दिया। उन्होंने कहा, “मैंने इस सटीक हमले को अधिकृत किया, जो अल-जवाहिरी को युद्ध के मैदान से हमेशा के लिए हटा देगा। इस अभियान की योजना बहुत ध्यान और सख्ती से बनाई गई थी, ताकि आम नागरिकों को नुकसान पहुंचने का जोखिम कम से कम हो जाए।”
अधिकारियों के मुताबिक, बाइडन ने अधिकारियों को ऐसे हवाई हमले का खाका तैयार करने का निर्देश दिया था, जिसमें दोनों मिसाइलें सिर्फ अल-जवाहिरी की पनाहगाह की बालकनी को निशाना बनाएं और इमारत के अन्य हिस्सों में मौजूद लोगों को कोई नुकसान न पहुंचे।

अमेरिकी प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया कि अल-जवाहिरी को ‘कई मौकों पर लंबी अवधि के लिए’ उस बालकनी में देखा गया था, जहां उसकी मौत हुई।

अधिकारी के अनुसार, ‘कई स्तर पर मिली खुफिया जानकारियों’ ने अमेरिकी विश्लेषकों को उसकी मौजूदगी के प्रति आश्वस्त किया।

उन्होंने बताया कि अप्रैल की शुरुआत में दो शीर्ष राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारियों को खुफिया जानकारी से अवगत कराया गया। इसके तुरंत बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने राष्ट्रपति बाइडन को संबंधित जानकारी दी।

अधिकारी के मुताबिक, मई और जून में चुनिंदा सरकारी अधिकारियों के एक समूह ने खुफिया जानकारियों का विश्लेषण किया और बाइडन को सुझाए जाने वाले उपाय खंगाले।

उन्होंने बताया कि एक जुलाई को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारियों ने पांच दिवसीय यूरोप दौरे से लौटे बाइडन को व्हाइट हाउस के ‘सिचुएशन रूम’ में प्रस्तावित हवाई हमले से अवगत कराया।

अधिकारी के अनुसार, इस बैठक में बाइडन ने अल-जवाहिरी की पनाहगाह का मॉडल देखा और वहां अल-कायदा सरगना की मौजूदगी के निष्कर्षों को लेकर सीआईए निदेशक विलियम बर्न्स, राष्ट्रीय खुफिया निदेशक एवरिल हैंस और राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधी केंद्र की निदेशक क्रिस्टी अबिजेद से कुछ सवाल किए।

अधिकारी के मुताबिक, बाइडन ने अधिकारियों को हमले से अमेरिकी नागरिक मार्क फ्रेरिक्स और दो दशक लंबे युद्ध में अमेरिका की मदद करने वाले अफगान नागरिकों की सुरक्षा को होने वाले खतरे पर विचार करने का निर्देश भी दिया। फ्रेरिक्स दो साल से अधिक समय से तालिबान के कब्जे में हैं।

अधिकारी के अनुसार, इस बीच अमेरिकी अधिवक्ताओं ने हमले की कानूनी वैधता पर अध्ययन किया और इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि अल-कायदा का नेतृत्व करने और आतंकी संगठन द्वारा किए गए हमलों को समर्थन देने के कारण अल-जवाहिरी कानूनी रूप से वैध निशाना है।

अधिकारी के मुताबिक, कोविड-19 संक्रमण के चलते व्हाइट हाउस में पृथकवास में रह रहे बाइडन को 25 जुलाई को अभियान का अंतिम ब्योरा दिया गया।

उन्होंने बताया कि अभियान में शामिल सभी अधिकारियों ने इसे मंजूरी देने की जबरदस्त वकालत की। इसके बाद बाइडन ने मौका मिलते ही हमले को अंजाम देने की स्वीकृति दे दी।

अधिकारियों के अनुसार, रविवार सुबह बाइडन जब एक बार फिर कोरोना वायरस से संक्रमित पाए जाने के कारण व्हाइट हाउस में पृथकवास में थे, तब यह मौका आया।

उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति को अभियान की शुरुआत से लेकर इसके अंत तक की जानकारी दी गई। हालांकि, इसकी सूचना सार्वजनिक करने में 36 घंटे लगे।

दरअसल, अमेरिकी अधिकारी पूरी तरह से आश्वस्त होना चाहते थे कि अल-जवाहिरी मारा जा चुका है। हक्कानी नेटवर्क और तालिबान द्वारा अल-जवाहिरी की पनाहगाह में लोगों के प्रवेश पर रोक लगाने तथा उसके परिवार को दूसरी जगह स्थानांतरित करने के बाद अधिकारियों को पूरी तरह से यकीन हो गया कि अल-जवाहिरी मारा गया है।

अधिकारियों के मुताबिक, तालिबान की इस कवायद का मकसद काबुल में अल-जवाहिरी की मौजूदगी के तथ्य को छिपाना था।

विश्लेषकों के अनुसार, पिछले साल अफगानिस्तान से सैन्य बलों की पूर्ण वापसी के बाद क्षेत्र में सक्रिय आतंकी संगठनों के बारे में खुफिया जानकारी जुटाने और हमले करने के लिए अमेरिका के पास बहुत कम ठिकाने बचे थे। ऐसे में फिलहाल यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि अमेरिकी ड्रोन ने मिसाइलों के साथ कहां से उड़ान भरी और क्या उन देशों को इस अभियान की जानकारी थी, जहां से यह ड्रोन होकर गुजरा।

अमेरिकी अधिकारी के अनुसार, तालिबान को हमले की भनक तक नहीं लगने दी गई थी।

एबीसी को दिए साक्षात्कार में सुलिवन ने कहा कि हमले के दौरान जमीन पर कोई भी वर्दीधारी कर्मी मौजूद नहीं था और ‘हम इस अभियान को लेकर तालिबान के साथ सीधे संवाद कर रहे हैं।’
एपी पारुल दिलीप दिलीप 0208 2218 वाशिंगटन

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PTI News Agency

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