अमेरिका ने अलकायदा सरगना अल जवाहिरी को किया ड्रोन हमले में ढेर

punjabkesari.in Tuesday, Aug 02, 2022 - 08:59 PM (IST)

वाशिंगटन, दो अगस्त (भाषा) अमेरिका ने अफगानिस्तान के काबुल में छिपे अलकायदा सरगना अयमान अल-ज़वाहिरी को एक ड्रोन हमले में ढेर कर दिया।

अमेरिका पर 11 सितंबर 2001 को हुए आतंकी हमलों की साजिश अल-ज़वाहिरी और ओसामा बिन-लादेन ने मिलकर रची थी। ओसामा बिन-लादेन को ‘यूएस नेवी सील्स’ ने दो मई 2011 को पाकिस्तान के ऐबटाबाद में एक अभियान में मार गिराया था। ज़वाहिरी अमेरिकी कार्रवाई में ओसामा बिन-लादेन के मारे जाने के बाद अल-कायदा का सरगना बना था।

लादेन के मारे जाने के बाद यह वैश्विक आतंकवादी नेटवर्क को सबसे बड़ा झटका है। ज़वाहिरी ने भारतीय उपमहाद्वीप में अलकायदा का क्षेत्रीय संगठन बनाने में भी भूमिका निभाई थी।

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने सोमवार को बताया कि केंद्रीय खुफिया एजेंसी (सीआईए) द्वारा काबुल में शनिवार शाम किए गए ड्रोन हमले में ज़वाहिरी मारा गया। ज़वाहिरी काबुल स्थित एक मकान में अपने परिवार के साथ छिपा था।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ न्याय हुआ और यह आतंकवादी मारा गया।’’
मिस्र के 71 वर्षीय सर्जन जवाहिरी पर 2.5 करोड़ डॉलर का इनाम था। उसने पहले ओसामा बिन लादेन की छत्रछाया में काम किया और बाद में उसके उत्तराधिकारी के तौर पर अलकायदा की बागडोर संभाली। 2011 में लादेन के मारे जाने के करीब 11 साल बाद ज़वाहिरी मारा गया।

बाइडन ने व्हाइट हाउस से सोमवार की शाम एक संबोधन में कहा, ‘‘ मैंने ही उस हमले की अनुमति दी थी, ताकि उसे हमेशा के लिए खत्म किया जा सके।’’
अधिकारियों के अनुसार, ज़वाहिरी एक मकान की बालकनी में था कि तभी ड्रोन से उस पर दो मिसाइल दागी गईं। उसके परिवार के बाकी सदस्य भी वहां मौजूद थे, लेकिन उन्हें कोई चोट नहीं आई है और केवल ज़वाहिरी मारा गया है।

बाइडन ने कहा, ‘‘ 9/11 हमलों की साजिश रचने में उसकी महत्वपूर्ण भूमिका थी..अमेरिकी सरजमीं पर हुए सबसे घातक इस हमले में 2,977 लोग मारे गए थे। दशकों तक उसने अमेरिकियों के खिलाफ कई हमलों की साजिश रची।’’
अमेरिका के राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ अब, न्याय हुआ और यह आतंकवादी सरगना मारा गया है। दुनिया को अब इस दरिंदे हत्यारे से डरने की जरूरत नहीं है।’’
‘सीएनएन’ ने बाइडन के हवाले से कहा, ‘‘ अमेरिका उन लोगों से अमेरिकियों की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध रहेगा, जो हमें नुकसान पहुंचाना चाहते हैं। हम आज रात एक बार फिर यह स्पष्ट करते हैं कि भले ही कितना ही समय लग जाए, भले ही तुम कहीं भी छिपे हो, अगर तुम हमारे लोगों के लिए खतरा हो तो अमेरिका तुम्हें ढूंढे़गा और तुम्हारा खात्मा करेगा।’’
बाइडन ने कहा कि यह हमला अमेरिकी खुफिया समुदाय की ‘‘असाधारण दृढ़ता और कौशल’’ का ही परिणाम है।

उन्होंने कहा, ‘‘ हमारे खुफिया विभाग को इस साल की शुरुआत में ज़वाहिरी का पता चला था.. वह अपने परिवार से मिलने काबुल गया था।’’
बाइडन ने कहा कि 2001 के हमले का शिकार बने लोगों के परिवार वालों को आखिरकार अब सुकून मिला होगा।

उन्होंने कहा कि अक्टूबर 2000 में अदन में ‘यूएसएस कोल’ पर आत्मघाती बमबारी सहित ज़वाहिरी ने कई अन्य हिंसक घटनाओं की भी साजिश रची थी।

‘यूएसएस कोल’ पर हुए हमले में अमेरिका के 17 नौसैनिक मारे गए थे।

अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि अलकायदा के सरगना अयमान अल जवाहिरी के मारे जाने के बाद दुनिया अधिक सुरक्षित हो गई है।
विदेश मंत्री ने साथ ही अफगानिस्तान की तालिबान सरकार पर ‘‘काबुल में अलकायदा प्रमुख को रखने और सुरक्षा देकर’’ अंतरराष्ट्रीय समुदाय से की गई प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन करने का आरोप लगाया।

ब्लिंकन ने कहा कि अमेरिका उनके खिलाफ कार्रवाई करना जारी रखेगा जो देश, उसके लोगों और उसके सहयोगियों के लिए खतरा हैं।

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘ हमने अफगानिस्तान से पैदा होने वाले आतंकवादी खतरों पर कार्रवाई करने की अपनी प्रतिबद्धता पर कदम उठाया है। अलकायदा के सरगना अल जवाहिरी के मारे जाने के बाद दुनिया अधिक सुरक्षित हो गई है। अमेरिका उनके खिलाफ कार्रवाई करना जारी रखेगा जो हमारे देश, हमारे लोगों और हमारे सहयोगियों के लिए खतरा हों।’’
गौरतलब है कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के करीब 11 महीने बाद एक महत्वपूर्ण आतंकवाद रोधी अभियान में अमेरिका ने यह सफलता हासिल की है। अफगानिस्तान में युद्ध के बाद करीब दो दशक तक अपने सैनिकों को देश में रखने के बाद अमेरिका ने 11 महीने पहले उन्हें वापस बुला लिया था।

‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ की खबर के अनुसार, ज़वाहिरी मिस्र के एक प्रतिष्ठित परिवार से नाता रखता था। उसके दादा रबिया अल-ज़वाहिरी काहिरा के प्रतिष्ठित अल-अजहर विश्वविद्यालय में इमाम थे। उसके एक रिश्तेदार अब्देल रहमान आजम अरब लीग के पहले सचिव थे।

ज़वाहिरी ने 1998 में केन्या और तंजानिया में अमेरिकी दूतावासों पर हुए हमलों को अंजाम देने में भी बड़ी भूमिका निभाई थी। सितंबर 2014 में, ज़वाहिरी ने अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश में पनाहगाहों का फायदा उठाते हुए भारतीय उपमहाद्वीप में अल-कायदा (एक्यूआईएस) के गठन की घोषणा की थी।

ज़वाहिरी ने तब कहा था, ‘‘ अलकायदा की एक नई शाखा भारतीय उपमहाद्वीप में कायदा अल-जिहाद का गठन, जिहाद का झंडा ऊंचा करने और भारतीय उपमहाद्वीप में इस्लामी शासन वापस लाने के लिए किया गया है।’’
अलकायदा के क्षेत्रीय संगठन का नेतृत्व असीम उमर- एक भारतीय और हरकत-उल-जिहाद अल-इस्लामी के पूर्व सदस्य ने किया था। उमर सितंबर 2019 में अफगानिस्तान के हेलमंद प्रांत में संयुक्त अमेरिकी-अफगान सैन्य कार्रवाई में मारा गया था।

अप्रैल में, जवाहिरी की 8.43 मिनट की एक वीडियो क्लिप आतंकवादी समूह द्वारा ऑनलाइन जारी की गई थी जिसमें उसने फरवरी की शुरुआत में हिजाब का विरोध करने वाले छात्रों के एक समूह का सामना करने के लिए कर्नाटक की एक कॉलेज छात्रा की प्रशंसा की थी।

हालांकि, लड़की के पिता ने जवाहिरी की टिप्पणियों से खुद को दूर करते हुए कहा था कि वह और उनका परिवार भारत में शांति से रह रहे हैं।

इस बीच, तालिबान के एक प्रवक्ता ने अमेरिकी अभियान को अंतरराष्ट्रीय सिद्धांतों का स्पष्ट उल्लंघन करार दिया।

‘बीबीसी’ ने प्रवक्ता के हवाले से कहा, ‘‘ इस तरह की कार्रवाइयां पिछले 20 साल के असफल अनुभवों को दोहराती हैं और अमेरिका, अफगानिस्तान तथा क्षेत्र के हितों के खिलाफ हैं।’’
तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा, ‘‘ काबुल शहर के शेरपुर इलाके में एक मकान पर 31 जुलाई को हवाई हमला किया गया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ घटना के बारे में पहले स्पष्ट जानकारी नहीं मिल पाई थी। बाद में इस्लामिक अमीरात के सुरक्षा एवं खुफिया विभागों ने घटना की जांच की और प्राथमिक जांच में पता चला है कि एक अमेरिकी ड्रोन ने यह हवाई हमला किया।’’
ज़वाहिरी की 1997 में मिस्र के शहर लक्सर में विदेशी पर्यटकों पर हुए हमलों में भी संलिप्तता थी, जिसमें 62 लोग मारे गए थे। मिस्र की एक सैन्य अदालत ने 1999 में उसे मौत की सजा सुनाई थी। सुनवाई के दौरान ज़वाहिरी मौजूद नहीं था।

अमेरिका पर 11 सितंबर, 2001 को हुए आतंकी हमले के बाद अफगानिस्तान पर वाशिंगटन के नेतृत्व में आक्रमण शुरू होने के बाद से जवाहिरी लगातार निशाने पर था। एक बार वह अफगानिस्तान के पहाड़ी तोरा बोरा क्षेत्र में एक अमेरिकी हमले से बाल-बाल बच गया था लेकिन उसकी पत्नी और बच्चों की मौत हो गई थी।

जवाहिरी वैसे तो एक सर्जन था लेकिन 1981 में मिस्र के राष्ट्रपति अनवर सदात की हत्या के मामले में जेल में रहने के दौरान पहली बार एक मुस्लिम आतंकवादी के रूप में सामने आया।

सदात की हत्या के बाद उसने तीन साल जेल में बिताए। अपनी रिहाई के बाद, वह पाकिस्तान पहुंचा, जहां उसने अफगानिस्तान में सोवियत कब्जे के खिलाफ लड़ने वाले घायल लड़ाकों का इलाज किया।

सीएनएन के अनुसार, यही वह समय था जब उसकी ओसामा बिन लादेन से मुलाकात हुई।

उसने मई 1998 में अलकायदा के साथ अपने आतंकी समूह मिस्र के इस्लामिक जिहाद के विलय की घोषणा करते हुए कहा था, ‘‘हम भाई बिन लादेन के साथ काम कर रहे हैं।’’
अमेरिकी मीडिया ने मंगलवार को कहा कि अमेरिकी खुफिया विभाग ने जवाहिरी का इस साल की शुरुआत में अफगानिस्तान में तब पता लगाया था जब वह पाकिस्तान से काबुल शहर के एक पॉश इलाके में एक सुरक्षित घर में पहुंचा था।

मीडिया ने कहा कि अमेरिकी अधिकारियों ने उसकी गतिविधियों पर महीनों तक लगातार नजर रखी और उसके घर का एक मॉडल बनाया। इसमें कहा गया कि अन्य किसी को कोई नुकसान न पहुंचे, इसलिए गहन योजना बनाई गई।



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PTI News Agency

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