बहुराष्ट्रीय कंपनियों को आकर्षित करने के लिए भारत को आक्रामक रुख अपनाने की जरूरत : मुकेश अघी
punjabkesari.in Friday, May 27, 2022 - 11:10 AM (IST)
वाशिंगटन, 27 मई (भाषा) भारत को बहुराष्ट्रीय कंपनियों को देश में अपना कारोबार स्थापित करने और उनका विस्तार करने के लिए आकर्षित करने की खातिर ‘आक्रामक रुख’ अपनाना चाहिए। भारत-अमेरिका सामरिक और भागीदारी मंच (यूएसआईएसपीएफ) के अध्यक्ष मुकेश अघी ने यह बात कही है।
अघी का कहना है कि रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध वैश्विक कारोबार को रचनात्मक बदलाव की ओर ले जा रहा है, इसलिए भारत को अपनी रणनीति बदलने की जरूरत है।
अघी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए एक विशेष साक्षात्कार में कहा, "मुझे लगता है कि भारत को बहुराष्ट्रीय कंपनियों को आकर्षित करने के लिए अधिक आक्रामक रुख अपनाना होगा। भारत को इन कंपनियों के साथ सीधा संवाद करना होगा और उनसे पूछना होगा कि ''आपको क्या चाहिए?, आपको भारत में निवेश के लिए प्रेरित करने के वास्ते क्या किया जा सकता है?" उन्होंने कहा, "हर कंपनी की अलग जरूरत होती है। हां, यह सही है कि आप कानून नहीं बदल सकते। लेकिन आप एक व्यापक नीति पेश कर सकते हैं, जो इन कंपनियों को भारत आने के लिए आकर्षित करेगी। भारत को इन कंपनियों तक पहुंचना होगा, उनकी आवश्यकताओं को समझते हुए नीतियां बनानी होंगी और फिर इन नीतियों में एकरूपता लानी होगी।" अघी ने कहा कि कभी न कभी भारत को रूस के साथ अपने संबंधों के बारे में सोचना होगा।
उन्होंने कहा कि जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन इस सप्ताह क्वाड शिखर सम्मेलन के दौरान तोक्यो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर रहे थे, उसी समय जापान के सागर के ऊपर रूस और चीन की सेना के लंबी दूरी के बमवर्षक विमान उड़ान भर रहे थे।
अघी ने कहा, "रूस की ओर से संदेश बहुत स्पष्ट था कि उसका लगाव व झुकाव भारत के बजाय चीन और हिंद-प्रशांत क्षेत्र के साथ है। मेरे लिए यह एक बहुत ही स्पष्ट संदेश है कि भारत को रूस को लेकर अपने रुख के बारे में सोचना शुरू करना होगा।"
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
अघी का कहना है कि रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध वैश्विक कारोबार को रचनात्मक बदलाव की ओर ले जा रहा है, इसलिए भारत को अपनी रणनीति बदलने की जरूरत है।
अघी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए एक विशेष साक्षात्कार में कहा, "मुझे लगता है कि भारत को बहुराष्ट्रीय कंपनियों को आकर्षित करने के लिए अधिक आक्रामक रुख अपनाना होगा। भारत को इन कंपनियों के साथ सीधा संवाद करना होगा और उनसे पूछना होगा कि ''आपको क्या चाहिए?, आपको भारत में निवेश के लिए प्रेरित करने के वास्ते क्या किया जा सकता है?" उन्होंने कहा, "हर कंपनी की अलग जरूरत होती है। हां, यह सही है कि आप कानून नहीं बदल सकते। लेकिन आप एक व्यापक नीति पेश कर सकते हैं, जो इन कंपनियों को भारत आने के लिए आकर्षित करेगी। भारत को इन कंपनियों तक पहुंचना होगा, उनकी आवश्यकताओं को समझते हुए नीतियां बनानी होंगी और फिर इन नीतियों में एकरूपता लानी होगी।" अघी ने कहा कि कभी न कभी भारत को रूस के साथ अपने संबंधों के बारे में सोचना होगा।
उन्होंने कहा कि जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन इस सप्ताह क्वाड शिखर सम्मेलन के दौरान तोक्यो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर रहे थे, उसी समय जापान के सागर के ऊपर रूस और चीन की सेना के लंबी दूरी के बमवर्षक विमान उड़ान भर रहे थे।
अघी ने कहा, "रूस की ओर से संदेश बहुत स्पष्ट था कि उसका लगाव व झुकाव भारत के बजाय चीन और हिंद-प्रशांत क्षेत्र के साथ है। मेरे लिए यह एक बहुत ही स्पष्ट संदेश है कि भारत को रूस को लेकर अपने रुख के बारे में सोचना शुरू करना होगा।"
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