नोटों से कोविड वायरस फैलने का खतरा नहीं : अध्ययन
punjabkesari.in Friday, May 13, 2022 - 05:47 PM (IST)
वाशिंगटन, 13 मई (भाषा) हाल ही में किए गए एक अध्ययन से स्पष्ट हुआ है कि कोविड-19 बीमारी फैलाने वाला वायरस सार्स-कोव-2 नकद नोट पर लगभग तुरंत ही अक्षम हो जाता है।
प्लस वन नामक पत्रिका में प्रकाशित एक शोध में कहा गया है कि कोविड की रोकथाम के उपाय के रूप में नकदी के बदले क्रेडिट या डेबिट कार्ड के उपयोग की सलाह देना उचित नहीं है। शोधकर्ताओं ने पाया कि वायरस ‘प्लास्टिक मनी’ कार्ड पर अधिक स्थिरता दिखाता है और 48 घंटे बाद भी वायरस बना रहता है ।
शोधकर्ताओं ने कहा कि अध्ययन में नमूने के तौर पर शामिल किए गए नोट पर किसी भी वायरस का पता नहीं चला।
अमेरिका के ब्रिघम यंग विश्वविद्यालय (बीवाईयू) के प्रोफेसर व अध्ययन के लेखक रिचर्ड रॉबिसन ने कहा कि महामारी की शुरुआत में काफी जोर था कि व्यवसायों के दौरान नकदी का उपयोग बंद कर दिया जाए और सभी व्यवसायों में इस सलाह का पालन किया गया।
रॉबिसन ने कहा, "मैंने सोचा, एक मिनट प्रतीक्षा करें, इसका समर्थन करने के लिए आंकड़े कहां हैं? और कोई आंकड़ा नहीं था। हमने यह गौर करने का फैसला किया कि यह तर्कसंगत था या नहीं, और पता चला कि यह तर्कसंगत नहीं था।"
शोधकर्ताओं ने नोटों के साथ ही सिक्कों और कार्डों के भी नमूना लिए और चार बार वायरस का पता लगाने के लिए परीक्षण किए गए। 30 मिनट, चार घंटे, 24 घंटे और 48 घंटे के अंतराल पर वायरस की जांच की गई।
शोधकर्ताओं ने पाया कि डॉलर (नोट) पर 30 मिनट के बाद कोरोना वायरस का पता लगाना मुश्किल था।
अध्ययन में पाया गया कि 30 मिनट के बाद वायरस 99.9993 प्रतिशत तक कम हो गया। शोधकर्ताओं ने 24 और 48 घंटों के बाद फिर से परीक्षण किया और उन्हें (बैंक) नोटों पर कोई जीवित वायरस नहीं मिला। इसके विपरीत, कार्ड पर 30 मिनट के अंतराल के बाद वायरस में केवल 90 प्रतिशत की कमी आयी। समय के साथ इसमें वृद्धि होती गई लेकिन 48 घंटे बाद भी कार्ड पर जीवित वायरस का पता लगाया जा सकता था।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
प्लस वन नामक पत्रिका में प्रकाशित एक शोध में कहा गया है कि कोविड की रोकथाम के उपाय के रूप में नकदी के बदले क्रेडिट या डेबिट कार्ड के उपयोग की सलाह देना उचित नहीं है। शोधकर्ताओं ने पाया कि वायरस ‘प्लास्टिक मनी’ कार्ड पर अधिक स्थिरता दिखाता है और 48 घंटे बाद भी वायरस बना रहता है ।
शोधकर्ताओं ने कहा कि अध्ययन में नमूने के तौर पर शामिल किए गए नोट पर किसी भी वायरस का पता नहीं चला।
अमेरिका के ब्रिघम यंग विश्वविद्यालय (बीवाईयू) के प्रोफेसर व अध्ययन के लेखक रिचर्ड रॉबिसन ने कहा कि महामारी की शुरुआत में काफी जोर था कि व्यवसायों के दौरान नकदी का उपयोग बंद कर दिया जाए और सभी व्यवसायों में इस सलाह का पालन किया गया।
रॉबिसन ने कहा, "मैंने सोचा, एक मिनट प्रतीक्षा करें, इसका समर्थन करने के लिए आंकड़े कहां हैं? और कोई आंकड़ा नहीं था। हमने यह गौर करने का फैसला किया कि यह तर्कसंगत था या नहीं, और पता चला कि यह तर्कसंगत नहीं था।"
शोधकर्ताओं ने नोटों के साथ ही सिक्कों और कार्डों के भी नमूना लिए और चार बार वायरस का पता लगाने के लिए परीक्षण किए गए। 30 मिनट, चार घंटे, 24 घंटे और 48 घंटे के अंतराल पर वायरस की जांच की गई।
शोधकर्ताओं ने पाया कि डॉलर (नोट) पर 30 मिनट के बाद कोरोना वायरस का पता लगाना मुश्किल था।
अध्ययन में पाया गया कि 30 मिनट के बाद वायरस 99.9993 प्रतिशत तक कम हो गया। शोधकर्ताओं ने 24 और 48 घंटों के बाद फिर से परीक्षण किया और उन्हें (बैंक) नोटों पर कोई जीवित वायरस नहीं मिला। इसके विपरीत, कार्ड पर 30 मिनट के अंतराल के बाद वायरस में केवल 90 प्रतिशत की कमी आयी। समय के साथ इसमें वृद्धि होती गई लेकिन 48 घंटे बाद भी कार्ड पर जीवित वायरस का पता लगाया जा सकता था।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
सबसे ज्यादा पढ़े गए
Recommended News
Recommended News
Rang Panchami : रंग पंचमी पर कर लें यह उपाय, मां लक्ष्मी का घर में होगा वास
Rang Panchami: रंगपंचमी पर धरती पर आएंगे देवी-देवता, इस विधि से करें उन्हें प्रसन्न
मैड़ी मेले में आए अमृतसर के श्रद्धालु की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत, पुलिस जांच में जुटी
नाहन-हरिपुरधार मार्ग पर वैन दुर्घटनाग्रस्त, पेड़ ने बचाई 3 लोगों की जान