चीन ने कहा, ताइवान के साथ अपने संबंध को समाप्त करे लिथुआनिया
punjabkesari.in Tuesday, Nov 23, 2021 - 08:53 AM (IST)

बीजिंग, 22 नवंबर (एपी) चीन ने सोमवार को लिथुआनिया से कहा कि वह ताइवान के साथ अपने नए बढ़े हुए संबंधों को समाप्त करे। इस संबंध की वजह से चीन को यूरोपीय संघ के इस सदस्य राष्ट्र के साथ राजदूत स्तर से राजनयिक संबंधों में कटौती करने के लिए प्रेरित किया है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा कि लिथुआनिया को ताइवान के प्रतिनिधि कार्यालय के नाम से बाल्टिक राष्ट्र में एक वास्तविक दूतावास खोलने की अनुमति देने की अपनी गलती तुरंत सुधारनी चाहिए। ताइवान पर चीन अपना आधिपत्य होने का दावा करता है।
झाओ ने एक दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यूरोपीय संघ के सदस्य-राष्ट्र (लिथुआनिया) को राष्ट्रीय संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए चीनी लोगों के मजबूत संकल्प, इच्छाशक्ति और क्षमता को कम करके नहीं आंकना चाहिए।
वर्ष 1949 में गृहयुद्ध के बीच चीन और ताइवान अलग हो गए थे और बीजिंग ने इस द्वीप को अपने नियंत्रण में लेने के लिए बल प्रयोग की धमकी देता है।
चीनी विदेश मंत्रालय ने रविवार को लिथुआनिया के साथ संबंधों को कमतर करके उप राजदूत (दूतावास के दूसरे नंबर के अधिकारी) स्तर का करने की घोषणाा की थी। चीन ने इससे पहले लिथुआनियाई राजदूत को निष्कासित कर दिया था और वहां से अपने राजदूत को वापस बुला लिया था।
झाओ ने कहा,‘‘यह स्पष्ट है कि लिथुआनिया को कुछ बड़ी शक्तियों द्वारा उकसाया गया था, लेकिन निर्णय लिथुआनिया के अपने हितों की कीमत पर किया गया था।’’ उनका इशारा अमेरिका या प्रमुख यूरोपीय देशों की ओर था, जिनके साथ चीन के संबंध हाल के वर्षों में खराब हुए हैं।
चीन ने ताइवान को एक संप्रभु देश के रूप में मान्यता देने वाली सरकारों के साथ आधिकारिक संबंध रखने से इनकार कर दिया है और इस द्वीप के राजनयिक सहयोगियों की संख्या को केवल 15 तक सीमित कर दिया है।
हालांकि, ताइवान के साथ व्यापक अनौपचारिक संबंध बनाए रखते हुए, अमेरिका और जापान सहित कई देशों के चीन के साथ आधिकारिक राजनयिक संबंध जारी हैं। लिथुआनिया का कहना है कि उसकी ताइवान में अपना प्रतिनिधि कार्यालय खोलने की योजना है।
एपी सुरेश दिलीप दिलीप 2211 2044 बीजिंग
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा कि लिथुआनिया को ताइवान के प्रतिनिधि कार्यालय के नाम से बाल्टिक राष्ट्र में एक वास्तविक दूतावास खोलने की अनुमति देने की अपनी गलती तुरंत सुधारनी चाहिए। ताइवान पर चीन अपना आधिपत्य होने का दावा करता है।
झाओ ने एक दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यूरोपीय संघ के सदस्य-राष्ट्र (लिथुआनिया) को राष्ट्रीय संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए चीनी लोगों के मजबूत संकल्प, इच्छाशक्ति और क्षमता को कम करके नहीं आंकना चाहिए।
वर्ष 1949 में गृहयुद्ध के बीच चीन और ताइवान अलग हो गए थे और बीजिंग ने इस द्वीप को अपने नियंत्रण में लेने के लिए बल प्रयोग की धमकी देता है।
चीनी विदेश मंत्रालय ने रविवार को लिथुआनिया के साथ संबंधों को कमतर करके उप राजदूत (दूतावास के दूसरे नंबर के अधिकारी) स्तर का करने की घोषणाा की थी। चीन ने इससे पहले लिथुआनियाई राजदूत को निष्कासित कर दिया था और वहां से अपने राजदूत को वापस बुला लिया था।
झाओ ने कहा,‘‘यह स्पष्ट है कि लिथुआनिया को कुछ बड़ी शक्तियों द्वारा उकसाया गया था, लेकिन निर्णय लिथुआनिया के अपने हितों की कीमत पर किया गया था।’’ उनका इशारा अमेरिका या प्रमुख यूरोपीय देशों की ओर था, जिनके साथ चीन के संबंध हाल के वर्षों में खराब हुए हैं।
चीन ने ताइवान को एक संप्रभु देश के रूप में मान्यता देने वाली सरकारों के साथ आधिकारिक संबंध रखने से इनकार कर दिया है और इस द्वीप के राजनयिक सहयोगियों की संख्या को केवल 15 तक सीमित कर दिया है।
हालांकि, ताइवान के साथ व्यापक अनौपचारिक संबंध बनाए रखते हुए, अमेरिका और जापान सहित कई देशों के चीन के साथ आधिकारिक राजनयिक संबंध जारी हैं। लिथुआनिया का कहना है कि उसकी ताइवान में अपना प्रतिनिधि कार्यालय खोलने की योजना है।
एपी सुरेश दिलीप दिलीप 2211 2044 बीजिंग
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