सोशल मीडिया कंपनियों के सीईओ ने पक्षपात के दावे का खंडन किया, कहा-चुनाव की शुचिता की रक्षा करेंगे

punjabkesari.in Thursday, Oct 29, 2020 - 01:05 PM (IST)

वाशिंगटन, 29 अक्टूबर (एपी) अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके सहयोगियों की आलोचना का सामना कर रहे ट्विटर, फेसबुक और गूगल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) ने सीनेट की सुनवाई में रूढ़िवादियों के खिलाफ पक्षपात पूर्ण रवैया रखने के आरोपों का खंडन किया और वादा किया कि अगले हफ्ते होने वाले मतदान से पहले कथित अराजक स्थिति पैदा होने में उनके मंच का इस्तेमाल नहीं हो यह सुनिश्चित करेंगें।

चुनाव की सुरक्षा को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच सीनेट की वाणिज्य मामलों की समिति ट्विटर के जैक डोर्सी, फेसबुक के मार्क जुकरबर्ग और गूगल के सुंदर पिचाई ने वादा किया कि चुनाव के नतीजों के आसपास हिंसा को भड़काने या विदेशी ताकतों द्वारा चुनाव में हेरफेर करने की कोशिशों से उनकी कंपनी रक्षा करेंगी।

वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये समिति के समक्ष पेश इन कंपनियों के सीईओ ने कहा कि चुनाव की शुचिता को बनाए रखने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं, जिनमें मतदान को लेकर सटीक सूचना देने के लिए समाचार संगठनों के साथ करार शामिल है।

डोर्सी ने कहा कि ट्विटर चुनाव अधिकारियों के साथ मिलकर काम कर रहा है।
उल्लेखनीय है कि ट्रंप नीत रिपब्लिकन पार्टी आरोप लगा रही है कि सोशल मीडिया मंच बिना सबूत, जानबूझकर रूढ़िवादी, धार्मिक और गर्भपात विरोधी विचारों को दबा रहे हैं और उनका यह व्यवहार ट्रंप और डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति पद उम्मीदवार जो बाइडेन के चुनाव में चरम पर पहुंच गया है।
वाणिज्य समिति के अध्यक्ष और रिपब्लिकन सीनेटर रोजर विकर ने सुनवाई शुरू करते हुए कहा कि ऑनलाइन अभिव्यक्ति के नियमन के लिए बने कानून को संशोधित करने की जरूरत है क्योंकि इंटरनेट के खुलेपन और स्वतंत्रता पर हमले हो रहे हैं।
वहीं, डेमोक्रेटिक पार्टी की सोशल मीडिया से शिकायत घृणा भाषण, भ्रमित करने वाली व अन्य सूचनाओं को लेकर है, जो उनके मुताबिक हिंसा भड़का सकते हैं, लोगों को मतदान से दूर कर सकते हैं और कोरोना वायरस को लेकर गलत सूचना फैला सकते हैं। उन्होंने सोशल मीडिया कंपनियों के सीईओ की आलोचना मंच पर उपलब्ध सामग्री की उचित निगरानी कर पाने में अक्षमता को लेकर की।

डेमोक्रेट का आरोप है कि सोशल मीडिया घृणा अपराध में और व्हाइट हाउस (ट्रंप)के राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने में भूमिका निभा रहा है।
बहस के बीच ट्रंप प्रशासन ने कांग्रेस से मांग की कि वह उन नियमों में बदलाव करे जिसके जरिये सोशल मीडिया पर लोगों द्वारा पोस्ट की गई सामग्री के संबंध में प्रौद्योगिकी कंपनियों को कानूनी सुरक्षा मिलती है।
प्रस्ताव 1996 में बने कानून में संशोधन का है जो इंटरनेट पर निर्बाध अभिव्यक्ति का आधार है।
दोनों पार्टियों के आलोचकों का कहना है कि इस कानून की धारा-230 सोशल मीडिया कंपनियों को निष्पक्ष सामग्री की जिम्मेदारी से मुक्त करती है।
डोर्सी और पिचाई ने कानून में किसी भी बदलाव को लेकर सतर्कता बरतने का आह्वान किया। इसके साथ ही उन्होंने पक्षपात करने के आरोपों को भी सिरे से खारिज कर दिया।
एपी
धीरज दिलीप दिलीप 2910 1249 वाशिंगटन

यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

सबसे ज्यादा पढ़े गए

Edited By

PTI News Agency

Recommended News

Related News