वर्ष 2020 में 5 फीसदी बढ़ी पाकिस्‍तान की गरीबी, 2 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे पहुंचे

punjabkesari.in Tuesday, Jun 22, 2021 - 12:30 PM (IST)

इस्‍लामाबाद: कंगाली से जूझ रहे पाकिस्‍तान में इमरान खान सरकार के राज में जनता और गरीब हो गई है। पाकिस्‍तान की अर्थव्‍यवस्‍था ने बीते दो दशक के दौरान काफी धीमी तरक्‍की की है। यहां की औसत प्रति व्‍यक्ति आय में केवल दो फीसद की दर से तेजी आई है। विश्‍व बैंक के मुताबिक इसकी वजह कई सारी हैं। देश में इस दौरान कृषि क्षेत्र में भी काम करने वालों पर इसकी मार देखी गई है। यहां पर गरीबी की दर काफी अधिक रही है।

 

देश का चालू खाता घाटा इस बात की तस्‍दीक कर रहा है। इसके मुताबिक मौजूदा वर्ष में इसमें एक फीसदी से भी कम की दर से तेजी का अनुमान लगाया गया है। वर्ल्‍ड बैंक के अनुमान के मुताबिक बीते वर्ष  गरीबी में 4.4  से 5.4 फीसदी तक का वृद्धि हुई है। वर्ल्‍ड बैंक के मुताबिक देश में करीब 2 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे पहुंच गए हैं।  पाकिस्‍तान में निम्‍न मध्‍यम के बीच गरीबी दर वर्ष 2020-21 में 39.3 फीसदी रहा है जबकि इसके वर्ष 2021-22 में 39.2 रहने का अनुमान लगाया गया है।  


विश्‍व बैंक का अनुमान है कि पाकिस्‍तान में करीब 40 फीसद परिवार मध्यम से गंभीर खाद्य असुरक्षा से पीड़ित हैं। जब विश्‍व बैंक ने अपने आंकड़े सामने रखे हैं तो पाकिस्‍तान सरकार ने भी वर्ष 2018-19 का आंकड़ा सामने रखा है। इसके मुताबिक वर्ष 2015-16 और 2018-19 के दौरान देश में गरीबी में गिरावट आई थी और ये 21.9 फीसदी से 24.3 फीसद के बीच थी।

 

हालांकि वर्ष 2022-23 में इसके 39.9 फीसदी होने की आशंका जताई गई है। लोबल फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशन के अनुमान के मुताबिक उच्‍च मध्‍यम आय के बीच गरीबी की दर जहां वर्ष 2020-21 में 78.4 फीसदी थी वहीं वर्ष 2021-22 में इसके 78.3 फीसदी होने का अनुमान है। इसी तरह से वर्ष 2022-23 के लिए इसके 77.5 फीसदी होने का अनुमान लगाया गया है।

 

न्‍यूज इंटरनेशनल के अनुसार ये देश में कोरोना महामारी की दस्‍तक से पहले के आंकड़े हैं। विश्‍व बैंक के मुताबिक कोरोना महामारी की वजह से देश में वर्ष 2020 की पहली तिमाही में आर्थिक गतिविधियां पूरी ठप्प हो गई। इस दौरान देश में कामर करने वाली आधी आबादी को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा और वो बेरोजगार हो गई। इसका सबसे अधिक असर अकुशल श्रमिकों पर पड़ा है।


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Content Writer

Tanuja

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