पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में 7 साल की बच्ची से रेप
punjabkesari.in Tuesday, Jun 21, 2022 - 04:27 PM (IST)
मुजफ्फराबाद: पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) के अब्बास इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल के मुजफ्फराबाद के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में एक वार्ड बॉय द्वारा 7 साल की बच्ची के साथ बलात्कार का मामले ने सनसनी मचा दी है। 18 जून को हुई घटना का खुलासा तब हुआ जब लड़की के पिता ने स्थानीय थाने में शिकायत दर्ज कराई। स्थानीय मीडिया डेली कंट्री न्यूज, नीलम टीवी, वाईजेएफ न्यूज, वाडी टीवी एजेके की रिपोर्ट के अनुसार आरोपी का नाम गुलाम अब्बास मीर (40) है, जो पहले ड्रग एडिक्ट और असामाजिक तत्व था 2013 से अस्पताल में काम कर रहे है।
अस्पताल के करीबी सूत्रों के हवाले से मीडिया ने बताया कि भले ही मरीजों के प्रति उसके अनियंत्रित व्यवहार के लिए अस्पताल प्रशासन ने आरोपी को कई बार फटकार लगाई हो, लेकिन पीओके सरकार के शीर्ष नेताओं के साथ उसके करीबी राजनीतिक संबंधों ने उसे आरोपित होने से बचा लिया है। आरोपी नशे का आदी बताया जा रहा है और अस्पताल परिसर और मोहल्ले में प्रतिबंधित गांजा बेचने में भी शामिल है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अस्पताल के अधिकारियों के अनुसार, आरोपी को उसके मजबूत राजनीतिक संबंधों के कारण 2013 में एम्स में नियुक्त किया गया था। उन्हें पीओके विधानसभा के पिछले अध्यक्ष के साथ निकटता से जोड़ा जाता है, जिन्होंने कई मौकों पर उनकी मदद की है। सूत्र ने कहा कि ऐसे कई असामाजिक व्यक्तियों को राजनीतिक आकाओं के इशारे पर AIMS में नियुक्त किया गया है। इस घटना ने सोशल मीडिया कोहराम मचा दिया है।
कई लोग बच्ची के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं और ऐसे घटिया लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांंग की जा रही है। लड़की और उसके परिवार की सुरक्षा और गोपनीयता के लिए घटना के अधिक विवरण को छुपाया जा रहा है। पूरी घटना मुजफ्फराबाद में बढ़ते नशीली दवाओं के खतरे पर भी प्रकाश डालती है, जहां सैकड़ों युवक नशीले पदार्थों के आदी हैं और जघन्य अपराधों को अंजाम देते हैं। बता दें कि मुजफ्फराबाद में पिछले कुछ सालों से महिलाओं के खिलाफ हिंसा बढ़ती जा रही है। हाल के महीनों में ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं, जो ऐसे मामलों से निपटने में सरकार की अक्षमता को उजागर करती हैं।
ऐसी ही एक घटना थी मारिया ताहिर की, जिनकी मुजफ्फराबाद में राजनेताओं सहित कुछ प्रभावशाली लोगों के हाथों लगातार गाली-गलौज और बलात्कार की गुहार प्रशासन के बहरे कानों पर नहीं पड़ी थी। अंतत: उन्हें खुलकर सामने आना पड़ा और इन धारावाहिक दुर्व्यवहारियों के खिलाफ लड़ने के लिए मानवाधिकार संगठनों से मदद की गुहार लगानी पड़ी।
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