जो बाइडेन बाेले- भारत के साथ मिल कर कोविड का खात्मा करेंगे, हिन्द प्रशांत को सुरक्षित बनाएंगे
punjabkesari.in Friday, Sep 24, 2021 - 10:55 PM (IST)
वाशिंगटनः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति जोसेफ आर बिडेन ने भारत एवं अमेरिका को विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश होने के नाते एक दूसरे के सबसे करीबी साझीदार बताते हुए आज इस बात पर बल दिया कि कोविड एवं जलवायु परिवर्तन सहित तमाम वैश्विक चुनौतियों का मुकाबला करें। व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति के ओवल ऑफिस में बिडेन ने मोदी का खूब गर्मजोशी से स्वागत किया। दोनों नेताओं ने आरंभिक वक्तव्य के बाद प्रतिनिधिमंडल स्तर की बैठक हुई जो करीब डेढ़ घंटे चली।
भारतीय प्रतिनिधिमंडल में विदेश मंत्री एस जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला, अमेरिका में भारत के राजदूत तरणजीत सिंह संधू और विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (अमेरिका) वाणी राव शामिल थे। अमेरिकी राष्ट्रपति बिडेन ने ओवल ऑफिस में भारतीय प्रधानमंत्री का स्वागत करते हुए कहा कि भारत एवं अमेरिका के संबंध, दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र होने के नाते एक दूसरे के और करीब आने और मजबूत होने वाले हैं। इस समय इन संबंधों में एक नया अध्याय भी शुरू होगा।
बिडेन ने कहा, ‘‘मेरा बहुत पहले से विश्वास रहा है कि भारत अमेरिका के संबंध बहुत सारी वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने में मददगार हो सकते हैं। वर्ष 2006 उपराष्ट्रपति बनने के बाद मैंने कहा था कि 2020 तक भारत एवं अमेरिका विश्व के सबसे करीबी देशों में से होंगे।'' उन्होंने कहा कि भारत एवं अमेरिका मिल कर कोविड महामारी का खात्मा कर सकते हैं। जलवायु परिवर्तन और हिन्द प्रशांत क्षेत्र को सुरक्षित बनाने के बारे में भी वह प्रधानमंत्री के साथ चर्चा करेंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति ने देश में रहने वाले करीब 40 लाख भारतवंशी अमेरिकियों के अमेरिका की प्रगति और उसे मजबूत बनाने में योगदान की उल्लेख किया और कहा कि अगले सप्ताह महात्मा गांधी की जयंती है और उनके अहिंसा एवं सहिष्णुता एवं परस्पर आदर की शिक्षाओं की आज के विश्व को पहले से अधिक आवश्यकता है।
मोदी ने अपने वक्तव्य में बिडेन के भारत अमेरिका रिश्तों के विज़न की सराहना करते हुए कहा कि बिडेन का विज़न प्रेरक रहा है जिसे वह अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में आज आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बिडेन के नेतृत्व में आज हमारे द्विपक्षीय संबंधों में 21वीं सदी के तीसरे दशक के पहले वर्ष में जो बीजारोपण हो रहा है, उससे इन रिश्तों को विस्तार मिलेगा और ये दुनिया के लोकतांत्रिक देशों के लिए भी परावर्तन कारी सिद्ध होंगे। उन्होंने कहा कि जिन लोकतांत्रिक मूल्यों एवं परंपराओं को लेकर हम दोनों देश जी रहे हैं, आने वाले समय में उनका महत्व और बढ़ेगा।
प्रधानमंत्री ने भारत एवं अमेरिका के रिश्तों में प्रतिभा, प्रौद्योगिकी, कारोबार एवं ट्रस्टीशिप को प्रमुख तत्व बताया। उन्होंने अमेरिका की विकास यात्रा में 40 लाख भारतवंशी समुदाय के योगदान को रेखांकित करते हुए कहा कि इसके पीछे जनता के बीच प्रतिभाओं का पोषण प्रमुख कारक है। अमेरिका की विकास यात्रा में इसका महत्व रहा है। भारत की प्रतिभा अमेरिका की विकास यात्रा में भारतीय प्रतिभा की सहभागी बने इसमें बिडेन की भूमिका महत्वपूर्ण है। मोदी ने कहा कि इस दशक में पूरी दुनिया में प्रौद्योगिकी एक ड्राइविंग फोर्स होने वाली है।
भारत एवं अमेरिका भी तकनीक के माध्यम से मानवता की सेवा कर सकते हैं। व्यापार भी दोनों देशों के संबंधों में महत्वपूर्ण है। अमेरिका एवं भारत में ऐसी चीजें हैं जो एक दूसरे के लिए काम आने वाली हैं। इसलिए द्विपक्षीय संबंधों में व्यापार भी बहुत अहम मुद्दा होगा। उन्होंने बिडेन के द्वारा महात्मा गांधी का उल्लेख किए जाने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि गांधी जी पृथ्वी को ट्रस्टीशिप की द्दष्टि से देखते थे। वह मानते थे कि हमें इस धरती को अगली पीढ़ी को उसकी धरोहर के रूप में सौंपनी होगी। यह विश्व के हर नागरिक की जिम्मेदारी है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि चाहे कोविड हो या जलवायु परिवर्तन या क्वॉड हो, बिडेन की पहल आने वाले दिनों में विश्व पर बड़ा प्रभाव डालेंगी। भारत एवं अमेरिका एक दूसरे के लिए और दोनों मिलकर विश्व के लिए किस प्रकार से उपयोगी हो सकते हैं। इसपर विचार करना होगा। बिडेन ने इससे पहले एक ट्वीट करके कहा कि आज सुबह वह भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की व्हाइट हाउस में द्विपक्षीय बैठक के लिए मेज़बानी करेंगे। वह दोनों देशों के बीच गहरे संबंधों को और मजबूत बनाने, एक स्वतंत्र एवं मुक्त हिन्द प्रशांत क्षेत्र स्थापित करने के लिए और कोविड महामारी एवं जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए मिल कर काम करने के इच्छुक हैं।
दोनों नेताओं के बीच वक्तव्य में कुछ हल्के फुल्के पल भी दिखे। बिडेन ने कहा कि उन्हें 1972 में किसी ने मुंबई से पत्र लिख कर बताया था कि भारत में कोई बिडेन उपनाम वाले रहते थे। उन्हें बताया गया कि भारत में पांच लोग बिडेन उपनाम वाले हैं। इस पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वह भारत से इस बारे में दस्तावेज लाये हैं और वह देख सकते हैं कि ये उनके किस प्रकार से काम आ सकते हैं। यह सुनते ही बिडेन ठहाका लगा कर हंस पड़े। मोदी के चेहरे पर भी मुस्कराहट खिल गई। रात करीब दस बजे बैठक समाप्त होने के बाद मोदी वहां से निकल गए।
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