फिलीपींस: ज्वालामुखी विस्फोट होने की चेतावनी के बीच, 8000 लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया गया
punjabkesari.in Monday, Jan 13, 2020 - 08:32 PM (IST)
इंटरनेशनल डेस्कः फिलीपींस में सोमवार को "ताल" नामक सक्रिय ज्वालामुखी एक बार फिर भड़कने लगा है। जिसको देखते हुए स्थानिय प्रशासन ने करीब आठ हजार स्थानीय लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया है। वैज्ञानिकों के अनुसार अगले कुछ घंटों में ज्वालामुखी फट जाएगा। राजधानी मनीला के नजदीक इस ज्वालामुखी से राख और धुंआ निकलने के कारण मौसम खराब हो गया। इसका लावा करीब 10-15 किलोमीटर दूर तक फैला हुआ है।
माना जा रहा है कि अगर ज्वालामुखी फटा तो इसका लावा नजदीकि झील में गिरेगा। जिससे आसपास के इलाकों में सुनामी आने की संभावना है। ताल दुनिया के सबसे छोटे ज्वालामुखियों में से एक है। यह फिलीपींस का दूसरा सबसे सक्रिय ज्वालामुखी है। यह पिछले 450 सालों में 34 बार फट चुका है। आखिरी बार 1977 में इसमें विस्फोट हुआ था। इससे पहले 1974 में यह कई महीनों तक धधकता रहा था। ताल ज्वालामुखी के पास कई लोकप्रिय पर्यटक स्थल है। यहां पर न सिर्फ हजारों लोग बसे हुए है, बल्की विदेशों से भी काफी बड़ी संख्या में सैलानी घूमने के लिए आते हैं। ज्वालामुखी से राख निकलने, भूंकप के झटकों और तेज आवाजों के मद्देनजर इलाके को खाली कराया जा रहा है। फिलीपींस की भूकंप एजेंसी ने चेतावनी दी है कि, कुछ घंटों या आने वाले दिनों में ज्वालामुखी में बड़ा विस्फोट हो सकता है और इससे निकलने वाली राख से वहां से उड़ने वाले विमानों को भी खतरा हो सकता है।
विमानन अधिकारियों ने राख के बादल के 50,000 फीट की ऊंचाई पर पहुंचने के बाद मनीला स्थित नीनॉय एक्वीनो अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से सभी उड़ानों को स्थगित करने का आदेश दिया। सरकार के भूकंप विशेषज्ञों ने बताया है कि लावा ताल ज्वालामुखी के मुख की ओर आ रहा है। मनीला से 65 किलोमीटर दक्षिण स्थित यह देश का सबसे सक्रिय ज्वालामुखी है। ज्वालामुखी के पास करीब एक किलोमीटर ऊंची राख की दीवार दिखाई दे रही है। आसपास के ईलाकों में भी झटके महसूस किए जा रहे हैं। स्थानीय आपदा विभाग ने बताया कि ज्वालामुखी वाले द्वीप से करीब दो हजार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया है। अधिकारियों के मुताबिक स्थिति बिगड़ी तो नजदीकी द्वीप के लोगों को भी हटने का आदेश दिया जाएगा। उन्होंने बताया, ज्वालामुखी की राख मनीला पहुंच चुकी है। इस माहौल में सांस लेना लोगों के लिए खतरनाक हो सकता है। गौरतलब है कि जनवरी 2018 में माउंट मेयन से निकले लाखों टन राख और लावा की वजह से हजारों लोगों को विस्थापित होना पड़ा था।
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