हिमालय के शिलाजीत का दीवाना हुआ ये देश, मुंह मांगे दाम पर खरीद रहे हैं ताकत की गोली!

punjabkesari.in Thursday, Nov 13, 2025 - 10:46 PM (IST)

नेशनल डेस्कः आधुनिक विज्ञान और प्राचीन चिकित्सा के बीच की जंग अब एक दिलचस्प मोड़ पर है। जिस शिलाजीत को भारत में सदियों से “ताकत की जड़ी-बूटी” कहा जाता रहा है, अब वही अमेरिका जैसे विकसित देशों में सुपरहिट हेल्थ सप्लीमेंट बन गया है। आंकड़ों के मुताबिक, पिछले एक साल में शिलाजीत का वैश्विक बाजार 117% तक उछल गया है, और इसमें सबसे बड़ा खरीदार बनकर उभरा है संयुक्त राज्य अमेरिका (USA)।

भारत से सबसे ज्यादा निर्यात

वैश्विक व्यापार ट्रैकर Volza के ताज़ा डेटा के अनुसार, जून 2024 से मई 2025 के बीच कुल 1,518 शिपमेंट्स में शिलाजीत का आयात हुआ, जिसमें अमेरिका सबसे आगे रहा। भारत से अमेरिका को “BetterAlt Himalayan Shilajit Resin” और “Shilajit Capsules” के कई बड़े ऑर्डर भेजे गए। 9 जुलाई 2025 को ही भारत से हजारों डॉलर के कई शिपमेंट अमेरिका रवाना हुए थे।

भारत, नेपाल और पाकिस्तान के हिमालयी इलाकों से निकला यह काला गाढ़ा पदार्थ अब अमेरिकी फिटनेस इंडस्ट्री में “Natural Testosterone Booster” और “Energy Enhancer” के नाम पर धड़ल्ले से बिक रहा है।

क्यों दीवाने हैं अमेरिकी?

पश्चिमी समाज में “Holistic Health” यानी समग्र स्वास्थ्य की सोच तेजी से बढ़ रही है। आधुनिक दवाइयों के साइड इफेक्ट्स से थके अमेरिकी अब प्राकृतिक इलाज की ओर लौट रहे हैं।
डॉक्टरों और फिटनेस ट्रेनर्स के बीच भी शिलाजीत की लोकप्रियता बढ़ी है, क्योंकि इसमें पाए जाते हैं फुल्विक एसिड, आयरन, जिंक, मैग्नीशियम और 80 से अधिक मिनरल्स, जो शरीर की थकान मिटाने, इम्यूनिटी बढ़ाने और मानसिक एकाग्रता सुधारने में मदद करते हैं।

कई अमेरिकी फिटनेस इन्फ्लुएंसर्स और बायो-हैकिंग एक्सपर्ट्स इसे “Nature’s Viagra” और “Ancient Himalayan Secret” तक कह रहे हैं।

अमेरिका में कीमत सुनकर दंग रह जाएंगे!

भारत में जहां 10 ग्राम असली शिलाजीत ₹200 से ₹950 के बीच मिल जाता है, वहीं अमेरिका में यही चीज़ $5 से $150 (₹435 से ₹13,000) तक बिक रही है। महंगे ब्रांड्स “PureHimalaya”, “Upakarma Ayurveda”, और “Beast Mode Energy Resin” जैसी कंपनियां इसे गोल्ड-फॉइल पैकिंग में बेच रही हैं।

कैसे बनता है ‘पहाड़ों का पसीना’

शिलाजीत दरअसल हिमालय, गिलगित-बाल्टिस्तान, नेपाल और तिब्बत की ऊंची पहाड़ियों की चट्टानों से रिसने वाला प्राकृतिक पदार्थ है। यह हजारों सालों तक पौधों और जैविक तत्वों के दबाव में सड़ने-गलने से बनता है। इसे निकालना बहुत जोखिम भरा काम है। स्थानीय लोग ऊंची दरारों में रस्सियों के सहारे उतरकर इसे इकट्ठा करते हैं, फिर इसे उबालकर और छानकर शुद्ध किया जाता है।

नकली शिलाजीत का बढ़ा खतरा

बढ़ती मांग के बीच नकली शिलाजीत का बाजार भी फैल रहा है। भारत की AYUSH मंत्रालय और FSSAI ने हाल ही में चेतावनी दी थी कि कई कंपनियां कोलतार और रासायनिक रेज़िन को “Himalayan Shilajit” बताकर बेच रही हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, असली शिलाजीत कड़वा, गाढ़ा और पानी में पूरी तरह घुल जाता है, जबकि नकली पदार्थ तलछट छोड़ देते हैं।

भारत के लिए बड़ा अवसर

एक ओर जहां पश्चिमी दुनिया इस “प्राचीन जड़ी-बूटी” को अब अपनाने लगी है, वहीं विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर भारत ने अपने आयुर्वेदिक निर्यात को वैज्ञानिक मानकों के साथ प्रमोट किया, तो शिलाजीत भारत के लिए अगला “योग” या “नीम” जैसा वैश्विक ब्रांड बन सकता है।


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Content Writer

Pardeep