पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की हालत बेहद खराब, चीन को जबरन बेची जा रहीं हिंदू-ईसाई लड़कियां

punjabkesari.in Thursday, Dec 10, 2020 - 10:29 AM (IST)

 इंटरनेशनल डेस्कः चीन के उईगर मुस्लिमों के साथ बर्बरतापूर्ण व्यवहार  के बारे में  पूरी दुनिया  जान चुकी है।  वैश्विक मंचों पर अल्पसंख्यकों के हितों और मानवाधिकारों का रोना रोने वाले पाकिस्तान ने  इस मामले में अभी तक  कोई आवाज नहीं उठाई है। पाकिस्तान पर इस मुद्दे को लेकर सवाल भी उठते रहे हैं  लेकिन उसकी चुप्पी को लेकर अमेरिका की एक रिपोर्ट ने पोल खोल दी है।  अमेरिका के एक शीर्ष राजनयिक ने  पाकिस्तान और चीन को लेकर एक बड़ा खुलासा किया है। 
 

शीर्ष राजनयिक सैमुअल ब्राउनबैक ने दावा किया है  कि पाकिस्तान अपने देश की हिंदू और ईसाई महिलाओं को रखैल और दुल्हन के रूप में चीन को बेच रहा है। शीर्ष राजनयिक ने इसे पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ धार्मिक भेदभाव का खुला उदाहरण बताया। अमेरिकी राजनयिक सैमुअल ब्राउनबैक ने कहा पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की हालत बेहद खराब है और इसमें चीन भी भागीदार है। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान अपने देश की हिंदू और ईसाई लड़कियों को चीन में दासी बताकर उनकी मार्केटिंग करता है। यह मार्केटिंग चीनी पुरुषों के लिए मजबूर दुल्हनों के एक स्रोत के रूप में काम करती है।

 

अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के तहत पाकिस्तान को विशेष चिंता वाले देश (सीपीसी) के रूप में नामित करने के ठीक बाद ब्राउनबैक ने कहा कि चीन द्वारा दशकों से लागू की गई ‘एक बच्चा नीति’ के कारण महिलाओं की संख्या बहुत कम है। इस कारण चीनी पुरुषों के लिए दुल्हन या दासी (नौकरानी) के रूप में महिलाओं का आयात एक बड़ी प्राथमिकता बनी हुई है और पाकिस्तान इसी मजबूरी का फायदा देश की हिंदू व ईसाई महिलाओं को यहां बेचकर उठा रहा है।सैमुअल ब्राउनबैक  के अनुसार  पाकिस्तान अपने देश की हिंदू और ईसाई महिलाओं को चीनी पुरुषों के साथ शादी के लिए मजबूर करता है। साथ ही उन्हें नौकरानी के तौर पर पेश भी करता है।

 

यह सब इसलिए भी होता है क्योंकि इन अल्पसंख्यक महिलाओं के पास न तो कोई समर्थन होता है और न आर्थिक हालात उन्हें ऐसा करने की इजाजत देते हैं। पाक में अल्पसंख्यकों से घिनौने स्तर पर भेदभाव किया जाता है। इस्लामाबाद को विशेष चिंता वाले देश के बतौर नामित करने के बाद ब्राउनबैक ने कहा कि पाकिस्तान में धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन सरकार द्वारा कराया जाता है जबकि भारत में ऐसा नहीं होता। उन्होंने कहा कि भारत में सांप्रदायिक हिंसा जरूर होती है। इसीलिए अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को देश के धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (यूएससीआईआरएफ) की वे सिफारिशें खारिज कर दीं जिनमें भारत को विशेष चिंता वाला देश नामित करने के लिए कहा गया था। सांप्रदायिक हिंसा के आधार पर न तो भारत को सीपीसी सूची में रखा जा सकता है और न ही उसे निगरानी सूची में रखा जा सकता है।
 


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Tanuja

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