पाक संसद में यौन उत्पीड़न के दोषियों को सरेआम फांसी देने का बिल पास

punjabkesari.in Saturday, Feb 08, 2020 - 12:32 PM (IST)

पेशावर: पाकिस्तान की संसद ने शुक्रवार को बच्चों के खिलाफ यौन उत्पीड़न एवं हत्या से संबंधित अपराध के दोषियों को सरेआम फांसी देने का प्रस्ताव पास किया गया। प्रस्ताव में खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के नौशेरा इलाके में 2018 में 8 वर्षीय लड़की के यौन उत्पीड़न के बाद उसकी बर्बर हत्या का जिक्र किया गया है। प्रस्ताव को बहुमत से पारित कर दिया गया क्योंकि इसका पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) के सांसदों को छोड़कर सभी सांसदों ने समर्थन किया। पूर्व प्रधानमंत्री एवं पीपीपी नेता रजा परवेज अशरफ ने कहा कि सरेआम फांसी देना संयुक्त राष्ट्र के नियमों का उल्लंघन है और सजा से अपराध को कम नहीं किया जा सकता है।

PunjabKesari

उन्होंने कहा, 'सजा की गंभीरता को बढ़ाने से अपराध में कमी नहीं आती है।' संसदीय मामलों के राज्यमंत्री अली मोहम्मद खान ने सदन में यह प्रस्ताव पेश किया जिसमें बाल यौन उत्पीड़न की घटनाओं की कड़ी निंदा की गई है। इसमें कहा गया, 'यह सदन बच्चों की इन शर्मनाक और बर्बर हत्याओं पर रोक की मांग करता है और कातिलों तथा बलात्कारियों को कड़ा संदेश देने के लिए उन्हें न सिर्फ फांसी देकर मौत की सजा देनी चाहिए बल्कि उन्हें तो सरेआम फांसी पर लटकाना चाहिए।' हालांकि इस प्रस्ताव की दो मंत्रियों ने (विज्ञान मंत्री फवाद चौधरी और मानवाधिकार मंत्री शिरीन माजरी) ने निंदा की जो मतदान के दौरान सदन में मौजूद नहीं थे।

PunjabKesari

इसके जवाब में चौधरी ने ट्वीट किया, 'इस प्रस्ताव की कड़ी निंदा करता हूं क्योंकि यह बर्बर सभ्य चलनों, सामाजिक कृत्यों की तर्ज पर एक और भयानक कार्य है। संतुलित रूप में बर्बरता अपराध का जवाब नहीं है... यह अतिवाद की एक और अभिव्यक्ति है।' शिरीन माजरी ने ट्वीट किया, 'सरेआम फांसी को लेकर नैशनल असेंबली में आज पारित प्रस्ताव पार्टी लाइन से हटकर है और यह कोई सरकार प्रायोजित प्रस्ताव नहीं है बल्कि एक व्यक्तिगत कार्रवाई है।

PunjabKesari

हममें से कई लोग इसका विरोध करते हैं। हमारा एमओएचआर (मानवाधिकार मंत्रालय) इसका कड़ा विरोध करता है। बदकिस्मती से मैं एक बैठक में थी और नैशनल असेंबली नहीं जा सकी।' बाल अधिकार संगठन साहिल द्वारा पिछले साल सितंबर में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार देश में जनवरी से जून के बीच मीडिया में बच्चों के यौन उत्पीड़न से संबंधित 1,304 मामले खबरों में आए। इसका मतलब है कि हर दिन कम से कम सात बच्चों का यौन उत्पीड़न होता है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Tanuja

Recommended News

Related News