IMF को पसंद नहीं आया पाकिस्तान का बजट ! डिफॉल्ट होने का खतरा और गहराया
punjabkesari.in Saturday, Jun 10, 2023 - 12:34 PM (IST)
इस्लामाबाद: आर्थिक मंदहाली में डूबे पाकिस्तान ने साल 2023-2024 का बजट आखिर शुक्रवार को 50.45 बिलियन डॉलर का बजट पेश किया। साउथ एशिया में सबसे ज्यादा महंगाई पाकिस्तान में है। पाकिस्तान की सरकार का बजट उस समय पेश किया जा रहा है जब उनका विदेशी मुद्रा भंडार घटकर केवल 32 हजार करोड़ रुपए रह गया है। वित्त मंत्री इशाक डार के अनुसार बजट में 51 हजार करोड़ रुपए सेना को दिए गए हैं। ये बजट पाकिस्तानी रुपए में 14.46 लाख करोड़ का है जो पिछले साल की तुलना में 51% ज्यादा है।
पाकिस्तानी सरकार ने वित्त वर्ष 2024 के लिए कुल एक्सपेंडीचर (खर्च) 13.32 लाख करोड़ रुपए रखा है। इसका 55% हिस्सा कर्ज और उसकी ब्याज चुकाने में खर्च होगा। यानी करीब 7.3 लाख करोड़ रुपए कर्ज चुकाने में ही चले जाएंगे। सरकार ने अगले साल महंगाई दर 21% से कम रखने का टारगेट रखा है।पाकिस्तान सरकार अपने पिछले साल के बजट का कोई टारगेट पूरा नहीं कर पाई। पिछले साल 2023 के लिए ग्रोथ का टारगेट 5% रखा गया था। जिसे बाद में और भी घटाकर 2% कर दिया था। अब 2023 के लिए पाकिस्तान की ग्रोथ रेट 0.29% रखी गई है। पाकिस्तान का बजट आने के बाद यह जरूरी हो गया है कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) उससे संतुष्ट हो ताकि राहत पैकेज रिलीज किया जा सके। लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो बजट IMF को प्रभावित करने में असफल रहा है।
कराची स्थित इनवेस्टमेंट कंपनी वेंचर्स के चीफ इनवेस्टमेंट ऑफिसर शाहबाज अशरफ ने कहा कि यह एक सादा बजट है जिसमें ढांचागत सुधार के लिए कोई रास्ता नहीं है। IMF ने गुरुवार को कहा था कि वह पाकिस्तान के साथ बजट पर चर्चा कर रहा है, जिसमें सामाजिक खर्च बढ़ाने के लिए जगह बनाते हुए ऋण स्थिरता को संतुलित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया हो।एक और कंपनी लक्सॉन इन्वेस्टमेंट्स के मुख्य निवेश अधिकारी मुस्तफा पाशा की मानें तो बजट आने के बाद अब IMF, रेवेन्यू कलेक्शन के लिए और उपायों की मांग कर सकता है। उनका कहना था कि बजट से IMF के साथ कर्मचारी स्तर का कोई समझौता होगा, इस बात की जरा भी संभावना नहीं है।
वर्ल्ड बैंक के पूर्व सलाहकार आबिद हसन ने चेतावनी दी कि इस बात की संभावना 50 फीसदी से भी कम है कि IMF इस बजट से संतुष्ट होगा। उन्होंने कहा कि अभी पाकिस्तान दिवालिया नहीं होगा लेकिन अगर तीन-चार महीनों में कोई नया IMF कार्यक्रम शुरू नहीं हुआ तो फिर 100 फीसदी आशंकाएं हैं कि यह देश कंगाल हो जाएगा। उनका कहना था कि IMF का कार्यक्रम की वजह से निजी क्षेत्र में और रकम आएगी और इससे थोड़ी राहत मिल सकती है।