चरमपंथियों के आगे झुकी पाकिस्तान सरकार, प्रतिबंधित इस्लामी समूह के 350 सदस्य किए रिहा

punjabkesari.in Tuesday, Oct 26, 2021 - 11:08 AM (IST)

पेशावरः पाकिस्तान सरकार  को आखिर चरमपंथी इस्लामी ग्रुप के आगे झुकना पड़ा  और  प्रतिबंधित संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) के 350 कार्यकर्ताओं को सोमवार को रिहा कर दिया। गृह मंत्री शेख रशीद ने यह घोषणा की। इसके साथ ही चरमपंथी इस्लामी पार्टी ने अपने अध्यक्ष साद रिजवी को रिहा करने और फ्रांस के राजदूत को वापस भेजने की मांग को लेकर दो दिन का अल्टीमेटम दिया है। विपक्षी दलों ने सरकार के फैसले को, टीएलपी की मांगों पर ‘पूरी तरह से झुकना' करार दिया है।

 

रशीद ने ट्वीट किया, “हमने अब तक 350 टीएलपी सदस्यों को रिहा कर दिया है और हम टीएलपी के साथ वार्ता में लिए गए फैसले के अनुसार मुरीदके सड़क को दोनों ओर से खोले जाने का अभी इंतजार कर रहे हैं।'' पंजाब पुलिस के एक अधिकारी ने पीटीआई-भाषा से सोमवार को कहा, “सोमवार को लाहौर के विभिन्न पुलिस थानों से टीएलपी के लगभग 350 कार्यकर्ता रिहा कर दिए गए। उन्हें पिछले हफ्ते हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान हिरासत में लिया गया था। हमने अभी तक उन पर कोई मामला दर्ज नहीं किया और न ही अदालत में पेश किया।”  TLP के अध्यक्ष रिजवी और फ्रांस के राजदूत को वापस भेजने की मांग को लेकर 10 हजार से अधिक इस्लामवादी लाहौर से 35 से 80 किलोमीटर दूरी के बीच जीटी रोड पर मुरीदके और गुंजरावाला के बीच प्रदर्शन कर रहे हैं।

 

प्रदर्शनकारियों ने रिजवी की रिहाई और फ्रांस के राजदूत को वापस भेजने की मांग को लेकर पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ सरकार को दो दिन का अल्टीमेटम दिया है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि तय समय में मांग पूरी न होने पर वे इस्लामाबाद में धरना प्रदर्शन करेंगे। टीएलपी के संस्थापक दिवंगत खादिम रिजवी के बेटे साद हुसैन रिजवी को पंजाब सरकार ने पिछले साल अप्रैल से हिरासत में ले रखा है। पैंगबर मोहम्मद का कार्टून बनाने को लेकर फ्रांस के खिलाफ पार्टी के प्रदर्शनों, फ्रांस के राजदूत को वापस भेजे जाने एवं उस देश से आयातित वस्तुओं पर प्रतिबंध लगाए जाने की पार्टी की मांग के बाद ‘सार्वजनिक व्यवस्था' बरकरार रखने के लिए पंजाब सरकार ने रिजवी को पिछली अप्रैल से हिरासत में ले रखा है।

 

इसके बाद, टीएलपी ने नेशनल असेंबली में फ्रांसीसी राजदूत के निष्कासन पर एक प्रस्ताव पेश करने के पाकिस्तान सरकार के आश्वासन के बाद देश भर में विरोध प्रदर्शन बंद करने पर सहमति व्यक्त की थी। सरकार ने फ्रांसीसी दूत के निष्कासन पर बहस के लिए नेशनल असेंबली का सत्र बुलाया था और प्रस्ताव पर मतदान से पहले सदन के अध्यक्ष ने इस मामले पर चर्चा करने के लिए एक विशेष समिति के गठन की घोषणा की थी और इस मामले पर आम सहमति बनाने के लिए सरकार एवं विपक्ष से वार्ता करने को कहा था। इस विशेष समिति की अप्रैल के बाद से कोई बैठक नहीं हुई है। 


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Content Writer

Tanuja

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