गर्त में डूबी पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था, 11 माह में 15.3 फीसदी बढ़ा सरकार का कर्ज

punjabkesari.in Saturday, Jul 09, 2022 - 06:30 PM (IST)

इस्लामाबादः पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था लगातार गर्त में डूबती जा रही है। शहबाज सरकार भी देश की बिगड़ती अर्थव्यवस्था  को सुधारने में विफल साबित हो रही है और जनता पर महंगाई का बोझ बढ़ता जा रहा है।  इस बीच बीते 11 महीनों में पाकिस्तान सरकार का कुल कर्ज 15.3 फीसदी बढ़ गया है। डॉन की रिपोर्ट के अनुसार  सरकारी कर्ज के बारे में यह खबर तब आई है जब 30 जून को समाप्त सप्ताह के दौरान एसबीपी के विदेशी मुद्रा भंडार में 493 मिलियन अमेरिकी डॉलर की गिरावट आई है। 

 

डॉन अखबार ने स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (SBP) के हवाले से बताया कि जून 2021 में सरकार का कुल कर्ज 38.704 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपये था, जो मई 2022 में बढ़कर 44.638 ट्रिलियन हो गया है। पाकिस्तान सरकार का घरेलू कर्ज और देनदारियां जून 2021 में जहां 26.968 ट्रिलियन रुपये थी, वहीं मई 2022 में यह बढ़कर 29.850 ट्रिलियन रुपये हो गई। वित्त वर्ष 22 के 11 महीनों में पीकेआर 2.892 ट्रिलियन और 10.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई। पाकिस्तान मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, घरेलू लोन अर्थव्यवस्था के विकास के लिए एक गंभीर समस्या का कारण बनता है क्योंकि अधिकांश राजस्व का उपयोग ऋणों की अदायगी के लिए किया जाता है। 
घरेलू ऋणों का आकार हर साल बढ़ रहा है जो सीधे वार्षिक विकास बजट के आकार में कटौती करता है।

 

पाकिस्तान में सरकारें विकास योजनाओं के लिए अधिक राशि आवंटित करती हैं लेकिन घरेलू कर्ज बढ़ने के कारण वित्तीय वर्ष के अंत तक इनका आकार कम हो जाता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक ने विदेशी कर्जों का भुगतान किया, जिसने एक बार फिर से समाप्त वित्तीय वर्ष में अपने भंडार को 9.816 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक कम कर दिया। पाकिस्तान की कुल विदेशी मुद्रा होल्डिंग भी गिरकर 15.742 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गई, जबकि वाणिज्यिक बैंकों का भंडार 5.926 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।

 

विदेश संबंधों की परिषद Council on Foreign Relations (CFR) जो देशों के डिफाल्ट होने के जोखिम को ट्रैक करता है उसने हाल ही में पाकिस्तान की स्कोरिंग को 10 पर रखा है। यह स्‍कोरिंग किसी मुल्‍क के डिफाल्ट होने की उच्च संभावना का संकेत है। यह रेटिंग श्रीलंका, घाना, ट्यूनीशिया, यूक्रेन, रूस, वेनेजुएला, अर्जेंटीना जैसे देशों के बराबर है। इनमें से कुछ देश तो पहले ही दिवालिया हो चुके हैं। सीएफआर इंडेक्स में भारत और बांग्लादेश का स्‍कोर बेहतर है। पाक जैसे मुल्‍कों की स्‍कोरिंग का तात्पर्य है कि सरकार अपनी बाध्यकारी देनदारियों को अदा नहीं कर पाएगी।


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Content Writer

Tanuja

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