न्यायिक मामलों में हस्तक्षेप को लेकर पाकिस्तानी न्यायपालिका व बार आमने-सामने

punjabkesari.in Sunday, Nov 21, 2021 - 10:50 AM (IST)

इस्लामाबादः पाकिस्तान की न्यायपालिका और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन शनिवार को देश के सुरक्षा संस्थानों द्वारा न्यायिक मामलों में हस्तक्षेप के आरोपों को लेकर आमने-सामने आ गए। हालांकि लाहौर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने स्पष्ट कहा कि देश की न्यायपालिका कभी भी अन्य संस्थानों से निर्देश नहीं लेती है।न्यायमूर्ति गुलजार अहमद ने लाहौर में अस्मा जहांगीर सम्मेलन में ‘मानवाधिकारों की रक्षा और लोकतंत्र को मजबूत बनाने में न्यायपालिका की भूमिका’ विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि न्यायपालिका स्वतंत्र तरीके से काम कर रही है और इसमें किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं है।

 

उन्होंने कहा, "मुझ पर कभी किसी संस्था से दबाव नहीं पड़ा और न ही मैंने किसी संस्था की बात सुनी है। कोई मुझे अपना फैसला लिखने के बारे में मार्गदर्शन नहीं करता है। मैंने कभी कोई फैसला किसी और के कहने पर नहीं किया है और न ही मुझे कुछ भी कहने की किसी को हिम्मत है।’’ इससे पहले पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अली अहमद कुर्द ने आरोप लगाया कि सुरक्षा संस्थान शीर्ष न्यायपालिका को प्रभावित कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "22 करोड़ लोगों के देश में एक जनरल हावी है।

 

इसी जनरल ने न्यायपालिका को मौलिक अधिकारों की सूची में 126वें नंबर पर भेज दिया है।" न्यायमूर्ति अहमद ने कहा कि उनके काम में किसी ने भी हस्तक्षेप नहीं किया और उन्होंने गुण-दोष के आधार पर मामलों का फैसला किया। उल्लेखनीय है कि मुख्य न्यायाधीश अहमद के पहले उसी मंच से इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अथर मिनाल्ला ने स्वीकार किया कि कुर्द की कुछ आलोचनाएं वैध हैं तथा नुसरत भुट्टो और जफर अली शाह जैसे मामलों में फैसले इतिहास का हिस्सा हैं।

 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Tanuja

Recommended News

Related News