अब पाकिस्तानी तालिबान से दोस्ती गांठ रही इमरान सरकार, TTP के 100 आंतकी किए रिहा

punjabkesari.in Wednesday, Nov 24, 2021 - 03:47 PM (IST)

इस्लामाबादः पाकिस्तान सरकार का अफगान तालिबान और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के प्रति अलग  नजरिया रहा है। अफगान तालिबान को उसका संरक्षण रहा जबकि टीटीपी को वह दुश्मन समझती रही है। बीते वर्षों में  टीटीपी  पाकिस्तान में कई भयानक हमले कर चुका है इसके बावजूद पाकिस्तान सरकार ने इस महीने की शुरुआत में  संघर्ष विराम के बदले में 100 से अधिक तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) कैदियों को रिहा कर दिया।   इस रिहाई को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं कि आखिर  इमरान सरकार ने टीटीपी के 100 बंदियों को रिहा करने का फैसला कियो किया? इमरान सरकार का कहना है कि ऐसा उसने सद्भावना दिखाने के लिए किया है।

 

पाकिस्तान के अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया गया है कि रिहा किए गए ज्यादातर दहशतगर्द वे हैं, जो सरकार की डिरैडिकलाइजेशन (उग्रवाद से दूर करने की) प्रक्रिया का हिस्सा थे। लेकिन उनके मामले में छह महीनों की ये प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई थी। एक सरकारी अधिकारी ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया- जिन्हें रिहा किया गया है, उनमें से ज्यादातर का डि-रैडिकलाइजेशन का कोर्स पूरा नहीं हुआ था। कैदियों की रिहाई को इस खबर की पुष्टि के तौर पर देखा गया है कि इमरान खान सरकार और टीपीपी के बीच किसी स्थायी समझौते को लेकर बातचीत चल रही है। हालांकि सरकार की तरफ से ये सफाई दी गई है कि ये रिहाई टीटीपी की किसी मांग को पूरा करने के लिए नहीं हुई है।

 

इसके पहले इस महीने की आठ तारीख को टीटीपी ने ऐलान किया था कि उसकी एक महीने के युद्धविराम के लिए सरकार के साथ सहमति बन गई है। तब टीटीपी ने कहा था कि अगर दोनों पक्ष सहमत हुए तो युद्धविराम की अवधि और बढ़ाई जाएगी। साथ ही उसने जोर दिया था कि एक दूसरे पर हमला ना करने की बनी सहमति दोनों पक्षों पर समान रूप से लागू होगी। TTP  के इस बयान के बाद पाकिस्तान के सूचना मंत्री चौधरी फव्वाद हुसैन ने पुष्टि की थी कि सरकार ने टीटीपी प्रतिनिधियों से बातचीत की है। लेकिन उन्होंने कहा था कि ये बातचीत पूरी तरह देश के संविधान और कानून के दायरे में हुई है। हुसैन ने इस बात की भी पुष्टि की थी कि TTP और पाकिस्तान सरकार के बीच संपर्क बनाने में अफगान तालिबान ने भूमिका निभाई है।

 

अब खबर है कि सरकारी और TTP के प्रतिनिधियों के बीच अफगानिस्तान में तीसरे दौर की बातचीत हुई। उनमें एक दौर की वार्ता काबुल में हुई, जबकि दो दौर की बातचीत खोश्त में हुई। एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने बताया है कि दोनों पक्षों ने ऐसी कई साझा समितियां बनाई हैं। विपक्षी दलों ने टीटीपी के साथ   समझौता करने के लिए इमरान खान के नेतृत्व वाली पीटीआई सरकार की आलोचना की है। इससे पहले, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो-जरदारी ने कहा था कि प्रतिबंधित टीटीपी के साथ बातचीत के मुद्दे पर किसी को भी विश्वास में नहीं लिया गया और इस संबंध में कोई सहमति नहीं बन पाई।

 


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Content Writer

Tanuja

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