चीन की पांच कंपनियों ने अमरीकी स्टॉक एक्सचेंज से डीलिस्ट होने का किया ऐलान

punjabkesari.in Monday, Aug 15, 2022 - 06:17 PM (IST)

इंटरनेशनल ड़ेस्क: ताइवान को लेकर अमरीका और चीन के बीच बढ़ते हुए तनाव के बाद अब कंपनियों के कामकाज को लेकर दोनो देश आमने सामने हैं। अमरीका में चीन की 5 सरकारी कंपनियों के खातों पर जांच के बीच इन कंपनियों ने अमरीकी शेयर बाजार से खुद को डीलिस्ट करने की घोषणा की है। दरअसल अमेरिका में इन कंपनियों के खातों की जांच चल रही है। दोनो ही देश ऑडिट से जुड़े मामलों पर बात कर रहे हैं लेकिन इसमें फिलहाल कोई समझौता होता नहीं दिख रहा है। दरअसल अमरीकी सरकार ने कहा है कि यूएस में लिस्टेड कंपनियों को अपने सभी रिकॉर्ड सरकार के साथ साझा करने होंगे। इस खींचतान के बाद अब संभावना जताई जा रही है कि पांचों कंपनियां न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज से किनारा कर सकती हैं।

रॉयटर्स की खबर के अनुसार तेल सेक्टर की दिग्गज कंपनी सिनोपेक, चाइना लाइफ इंश्योरेंस, एल्यूमीनियम कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया , पेट्रो चाइना और सिनोपेक शंघाई पेट्रोकैमिकल कंपनी ने कहा है कि वे इसी महीने अमरीकन डिपॉजिटरी शेयर के डीलिस्टिंग के लिए आवेदन करेंगी। कंपनियां हांगकांग और चीन के बाजारों में लिस्ट रहेंगी। इन कंपनियों के खातों की जांच अमरीकी रेग्युलेटर कर रहा है। मई के महीने में ही यूएस सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज कमीशन पर अमरीकी ऑडिट नियमों का पालन न करने का आरोप लगाया था। हालांकि कंपनियों ने डीलिस्टिंग के ऐलान में इस बात का उल्लेख नहीं किया है। चीन राष्ट्रीय सुरक्षा की बात कहते हुए अपनी कंपनियों के ऑडिट डॉक्यूमेंट्स को विदेशी संस्थाओं को जांच के लिए नहीं देता है। हालांकि अमरीकी नियामक ने चीन की कंपनियों से सभी डॉक्यूमेंट्स मांगे हैं। जिन कंपनियों से डॉक्यूमेंट्स मांगे गए हैं उसमें 5 सरकारी कंपनियों के अलावा अलीबाबा ग्रुप और बाएडू आईएनसी शामिल हैं।

चीन और अमरीका के बीच काफी लंबे समय तनाव बना हुआ है। हाल ही में अमरीकी हाउस की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद से दोनो देशों में तनाव अपने चरण पर पहुंच गया है। इस दौरान चीन ने ताइवान के करीब 4 दिनों कर जमकर युद्धाभ्यास किया। वहीं अमरीका ने भी अपने जहाज इलाके में तैनात किए हुए हैं। इसी तनाव के बीच चीन की सरकारी कंपनियों ने ऑडिट के लिए डॉक्यूमेंट्स को जमा करने की जगह अमरीकी बाजार से डीलिस्टिंग को चुना है। यूरोप में भी चीन की टेलीकॉम सेक्टर की कंपनियों पर कार्रवाई की गई है। वहीं भारत में भी चीन की मोबाइल कंपनियों पर एक्शन हुआ है।


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Content Writer

Anil dev

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