एंटीबायोटिक्स के इस्तेमाल को लेकर वैज्ञानिकों की चेतावनी, 2050 तक प्रति वर्ष एक करोड़ मौतें होने का अनुमान

punjabkesari.in Tuesday, Jan 25, 2022 - 01:20 PM (IST)

नेशनल डेस्क: कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए पूरी दुनिया में एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल काफी बढ़ा है। मरीजों के इम्यून को मजबूत करने और दूसरी दवाईयों की डोज को सहने की ताकत देने के लिए एंटीबायोटिक दवाएं प्रयोग में लाई जा रही हैं। हालांकि, इतनी मात्रा में एंटीबायोटिक्स के इस्तेमाल को लेकर वैज्ञानिकों ने चेतावनी जारी की है। उनका दावा है कि अगर ऐसे ही एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल किया जाता रहा तो भविष्य में ये बेअसर हो सकती हैं। ऐसे में मामूली संक्रमण भी लाइजाल जो सकता है। यह अध्ययन एक बहुत ही स्पष्ट संदेश पर प्रकाश डालता है कि वैश्विक रोगाणुरोधी प्रतिरोध रोजमर्रा के जीवाणु संक्रमण को लाइलाज बना सकता है। कुछ अनुमानों के अनुसार, रोगाणुरोधी प्रतिरोध 2050 तक प्रति वर्ष एक करोड़ मौतों का कारण बन सकता है। यह दुनिया भर में मृत्यु के प्रमुख कारण के रूप में कैंसर से भी आगे निकल जाएगा।

एंटीमाइक्रोबॉयल रेसिस्टेंस से मर रहे लाखों लोग
बर्मिंघम के एस्टन विश्वविद्यालय के जोनाथन कॉक्स ने बताया है कि एंटीबायोटिक्स दुनियाभर में तेजी से इस्तेमाल किया जा रहा है। लेकिन इसके प्रयोग से कुछ ऐसा हो रहा है जिसके बारे में बहुत से लोग जानते भी नहीं हैं। लैंसेट में प्रकाशित एक हालिया पेपर से पता चला है कि रोगाणुरोधी प्रतिरोधी संक्रमणों के कारण 2019 में 12 लाख 70 हजार मौतें हुईं और यह 49 लाख 50 हजार लोगों की मौत से किसी न किसी तरह से जुड़ा था। यह उस वर्ष संयुक्त रूप से एचआईवी / एड्स और मलेरिया से मरने वालों की संख्या से अधिक है।

कब पैदा होता है एंटी माइक्रोबॉयल रेसिस्टेंस
रोगाणुरोधी प्रतिरोध तब होता है जब संक्रमण पैदा करने वाले रोगाणु (जैसे बैक्टीरिया, वायरस या कवक) उन्हें मारने के लिए तैयार की गई दवा का प्रतिरोध करने के लिए विकसित होते हैं। इसका मतलब यह हुआ कि एंटीबायोटिक अब उस संक्रमण के इलाज के लिए काम नहीं करेगा। नए निष्कर्ष यह स्पष्ट करते हैं कि रोगाणुरोधी प्रतिरोध पिछले सबसे खराब स्थिति के अनुमानों की तुलना में तेजी से आगे बढ़ रहा है - जो सभी के लिए चिंता का विषय है। साधारण तथ्य यह है कि हमारे पास काम करने वाली एंटीबायोटिक दवाएं खत्म हो रही हैं। इसका मतलब यह हो सकता है कि रोजमर्रा के जीवाणु संक्रमण फिर से जीवन के लिए खतरा बन जाए।

एक देश की नहीं बल्कि वैश्विक समस्या
अध्ययन में दुनिया भर के 204 देशों को शामिल किया गया, जिसमें 47 करोड़ 10 लाख रोगियों के व्यक्तिगत रिकॉर्ड के डेटा को देखा गया। रोगाणुरोधी प्रतिरोध के कारण और उससे जुड़ी मौतों को देखकर, टीम तब प्रत्येक देश में रोगाणुरोधी प्रतिरोध के प्रभाव का अनुमान लगाने में सक्षम थी। दुनिया भर में अनुमानत: 12 लाख 70 हजार मौतों के लिए रोगाणुरोधी प्रतिरोध सीधे तौर पर जिम्मेदार था और अनुमानत: 49 लाख 50 हजार मौतों से जुड़ा था। इसकी तुलना में, एचआईवी/एड्स और मलेरिया के कारण उसी वर्ष क्रमशः 860,000 और 640,000 लोगों की मृत्यु होने का अनुमान लगाया गया था।


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Content Writer

Anil dev

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