अफगान शरणार्थियों को लेकर पाक NSA ने जताई चिंता,कहा- विश्व समुदाय करे व्यवस्था

punjabkesari.in Monday, Aug 02, 2021 - 01:09 PM (IST)

 इस्लामाबाद:  पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) मोईद युसूफ ने अफगान शरणार्थियों को लेकर चिंता जताते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से कहा है कि युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में ही विस्थापित लोगों को रखने के लिए सुरक्षित इलाके बनाने चाहिए न कि उन्हें पाकिस्तान में धकेला जाना चाहिए जो और शरणार्थियों को स्वीकार करने की स्थिति में नहीं है। वाशिंगटन स्थित पाकिस्तानी दूतावास में शनिवार को संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए पाकिस्तान के NSA  युसूफ ने कहा कि उनका देश यह सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है कि अफगानिस्तान में तनाव से और खून-खराबा नहीं हो। ‘डॉन' अखबार ने उन्हें उद्धृत करते हुए लिखा, ‘‘लेकिन अगर ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है तो यह अतंरराष्ट्रीय समुदाय की जिम्मेदारी है कि वह अफगानिस्तान के भीतर ही सुरक्षित इलाका बनाए।''

 

पाकिस्तान के एनएसए ने कहा, ‘‘क्यों उन्हें दर-बदर भटकने के लिए मजबूर किया जाए? उनके देश के भीतर ही उनके रहने की व्यवस्था की जाए। पाकिस्तान की और शरणार्थियों को लेने की क्षमता नहीं है।'' युसूफ ने अमेरिकी सरकार की नीति को ‘‘ व्यवहारिक और खेदहीन बताया लेकिन दंभयुक्त नहीं''। इसके साथ ही उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि ‘‘ वे बृहद तस्वीर और सभी को गले लगाने वाली सुर्खियों को नहीं देखें।'' उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान के एनएसए देश की खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) के महानिदेशक फैज हमीद के साथ 27 जुलाई को अफगानिस्तान और द्विपक्षीय संबंधों पर अपने अमेरिकी समकक्ष से चर्चा के लिए वाशिंगटन आए थे।

 

ISI  प्रमुख व्हाइट हाउस में अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन से बातचीत करने के बाद शुक्रवार को स्वदेश रवाना हो गए। इस बैठक में दोनों देशों के अन्य सुरक्षा अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया। युसूफ ने उन दावों से भी असहमति जताई कि पाकिस्तान का अफगान तालिबान पर प्रभाव है जिसके जरिये वे काम भी करा सकता है जो वे नहीं करना चाहते। उन्होंने कहा, ‘‘ हमारा उन पर मामूली प्रभाव है और हमारा प्रभाव इतना होता कि जो कहते तो वे करते तो हम वर्ष 1990 के दशक में बामियान की बुद्ध प्रतिमा को तोड़ने से रोक देते। हम कम से कम तहरीक-ए- तालिबान पाकिस्तान को बाहर करने के लिए राजी कर लेते।'' युसूफ ने कहा कि दोनों देशों के एनएसए के बीच हुई पहली बैठक में द्विपक्षीय संपर्क को कायम रखने पर सहमति बनी।

 

उन्होंने कहा, ‘‘ निश्चित तौर पर अफगानिस्तान का मुद्दा सबसे अहम और तात्कालिक है लेकिन यह बातचीत अन्य मुद्दों पर आगे बढ़ने को लेकर थी। इस सप्ताह की बैठक प्रक्रिया की समीक्षा की कड़ी थी।'' पाकिस्तान के NSA ने मीडिया से कहा कि वह एक रात में वाशिंगटन-इस्लामाबाद के रिश्तों में क्रांतिकारी बदलाव की उम्मीद नहीं करें क्योंकि ये बैठकें यह याद करने के लिए थी कि देशों का ध्यान तथ्यों पर केंद्रित है और कैसे आगे बढ़े, इसे लेकर समझौता है। उन्होंने कहा कि जब अफगानिस्तान का मुद्दा आता है तो पाकिस्तान के पास ‘अगर-मगर' में शामिल होने की सुविधा नहीं है क्योंकि काबुल में होने वाली किसी भी घटना का सीधा असर इस्लामाबाद पर पड़ेगा।

 

जब उनसे पूछा गया कि क्या पाकिस्तान और अमेरिका साझेदार के तौर पर काम करना जारी रखेंगे तो उन्होंने कहा कि दोनों तरफ से इच्छा व्यक्त की गई और ‘‘यह कैसे होगा इस पर बातचीत हुई।'' उन्होंने कहा कि अमेरिका समझता है कि पाकिस्तान अफगानिस्तान में राजनीतिक समझौता कराने में मदद कर सकता है और अब वे इसके तरीके पर चर्चा कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘सबसे बड़ी बात है राजनीतिक समझ, बाकी अपने आप उसके अनुकूल हो जाएंगे।'' युसूफ ने उन आरोपों को भी खारिज कर दिया कि पाकिस्तान तालिबान द्वारा जारी यात्रा दस्तावेजों को वैध दस्तावेज के तौर पर स्वीकार कर रहा है।


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Content Writer

Tanuja

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