पाकिस्तान के बड़े शहरों में नहीं मिल रहा स्वच्छ जल, Pok में सीवेज का पानी पीने को मजबूर लोग

punjabkesari.in Wednesday, Aug 11, 2021 - 12:28 PM (IST)

पेशावरः पाकिस्तान में नागरिकों को पीने का स्वच्छ पानी नहीं  मिल रहा है । पाकिस्तान के अधिकांश प्रमुख शहरों  जिनमें मेगासिटी भी शामिल हैं भी यही हाल है ।सोमवार को नेशनल असेंबली में घृणित स्थिति के बारे में पाकिस्तान सरकार ने  यह खुलासा  संघीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री शिबली फराज  ने सदन पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के मुसरत रफीक महेसर द्वारा सुरक्षित पीने पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में जवाब किया।  डॉन की रिपोर्ट के अनुसार फराज  द्वारा प्रस्तुत किए गए आंकड़ों से पता चला है कि पाकिस्तान जल संसाधन अनुसंधान परिषद (PCRWR) द्वारा जिन 29 शहरों में भूमिगत जल का परीक्षण किया गया था, उनमें से 20 शहर ऐसे हैं जहां विभिन्न स्रोतों से प्राप्त 50 प्रतिशत से अधिक पानी असुरक्षित पाया गया।

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डॉन की रिपोर्ट  के अनुसार PCRWR ने सिंध और गिलगित में तीन शहरों- मीरपुरखास और शहीद बेनजीराबाद (नवाबशाह) में 100 प्रतिशत भूमिगत जल को पीने के लिए असुरक्षित घोषित किया। PCRWR के अनुसार, जिन अन्य शहरों में भूमिगत जल का 50 प्रतिशत से अधिक दूषित है, वे मुल्तान (94 प्रतिशत) हैं, कराची (93 प्रतिशत), बदिन (92 प्रतिशत),  सरगोधा (83 प्रतिशत),  हैदराबाद (80 प्रतिशत), बहावलपुर (76 प्रतिशत,  सुक्कुर (67 प्रतिशत),  फैसलाबाद (59 फीसदी), पेशावर (58 प्रतिशत), टंडो अल्लाह यार (57 प्रतिशत), शेखूपुरा, एबटाबाद और खुजदार (55 प्रतिशत),  लोरलाई (54 प्रतिशत), क्वेटा (53 फीसदी) और गुजरांवाला (50 फीसदी) शामिल हैं।

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पाकिस्तान  के गुलाम कश्मीर (PoK)  गिलगित-बाल्टिस्तान में तो सरकार की गलत नीतियों के कारण लोगों का जीना मुहाल हो चुका है।   हालात इतने खराब हो चुके  हैं कि वहां  मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे लोग हर रोज सड़कों पर उतर रहे हैं।  बदतर हालात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां लोग सीवरेज का पानी के को मजबूर है और लचर शिक्षा व्यवस्था के चलते  परेशान छात्र धरने दे रहे हैं।   प्रशासनिक उदासीनता के खिलाफ  हाईवे पर धरना दे रहे छात्रों में शामिल  एक शख्स ने बताया कि वे सीवेज का पानी पीन को मजबूर हैं। वहीं, गिलगित-बाल्टिस्तान के एक छात्र ने कहा, 'फीस देने के बाद भी शिक्षक नहीं आते हैं। हम प्रशासन से आग्रह करते हैं कि हमारे लिए शिक्षकों की व्यवस्था करें और ऐसे टीचरों के खिलाफ कार्रवाई करें जो वेतन तो लेते हैं लेकिन स्कूल नहीं आते हैं।'

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बता दें हाल ही में गुलाम कश्मीर (गिलगिट-बाल्टिस्तान) में हुए मतदान के दौरान कई क्षेत्रों में जबर्दस्त हिंसा हुई थी। विपक्ष ने निर्वाचन आयोग को कटघरे में खड़ा करते हुए यह धमकी दी थी कि धांधली की जांच नहीं हुई तो वह भारत की मदद लेने से भी गुरेज नहीं करेंगे। PTI द्वारा पहली बार गुलाम कश्मीर में सरकार बनाई गई। प्रधानमंत्री इमरान खान ने राजनेता अब्दुल कयूम नियाजी को गुलाम कश्मीर के अगले पीएम के रूप में चुना।

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गौरतलब है कि भारत ने पाकिस्तान के कब्जे वाले गुलाम कश्मीर में हुए चुनावों को खारिज कर दिया है। भारत का कहना है कि यह सब दिखावा है। पाकिस्तान अवैध तरीके से कब्जा की हुई जमीन पर चुनाव नहीं करा सकता है। भारत ने इस मुद्दे पर अपना कड़ा विरोध दर्ज कराया है। गुलाम कश्मीर में हुए चुनावों पर कड़ा विरोध जताते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था कि भारतीय क्षेत्रों पर पाकिस्तान का कोई आधार और अधिकार नहीं है और उसे जल्द से जल्द भारत की कब्जाई सभी जमीनों और क्षेत्रों को खाली कर देना चाहिए।
 


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Content Writer

Tanuja

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