कमला हैरिस ने कहा- चीन की ‘‘दादागीरी'''' से निपटने के लिए अमेरिका का साथ दे वियतनाम

punjabkesari.in Wednesday, Aug 25, 2021 - 01:52 PM (IST)

 इंटरनेशनल डेस्कः अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने दक्षिण-पूर्व एशिया की यात्रा के दौरान चीन के खिलाफ अपना तीखा रुख बरकरार रखते हुए, दक्षिण चीन सागर में चीन की ‘‘दादागीरी'' से निपटने के लिए वियतनाम से अमेरिका का साथ देने को कहा। वियतनाम के राष्ट्रपति गुयेन जुआन फुक के साथ द्विपक्षीय बैठक से पहले उन्होंने कहा, ‘‘ हमें बीजिंग पर संयुक्त राष्ट्र के समुद्री कानून का पालन करने, उसकी दादागीरी तथा उसके बढ़ा-चढ़ाकर किए जाने वाले नौवहन संबंधी दावों को चुनौती देने के लिए दबाव बनाने और दबाव बढ़ाने के तरीके तलाशने की जरूरत है।''

 

हैरिस ने मंगलवार को भी कहा था कि चीन दक्षिण चीन सागर के बड़े क्षेत्र में जबरदस्ती अपना दबदबा कायम करने, धमकाने और दावे करने का काम कर रहा है। हैरिस ने बुधवार को वियतनाम में कहा कि दक्षिण चीन सागर में अपने सुरक्षा हितों की रक्षा में मदद करने के लिए अमेरिका देश को अतिरिक्त ‘यूएस कोस्ट गार्ड कटर' भेजने का समर्थन करता है। उन्होंने वियतनाम को एक रणनीतिक साझेदार से एक व्यापक साझेदार बनाने के फैसले का भी स्वागत किया।

 

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने चीन के प्रभाव का मुकाबला करने के प्रयास में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपने गठजोड़ को मजबूत करने के लिए यह कदम उठाया। गौरतलब है कि वियतनाम दक्षिण चीन सागर में चीन के क्षेत्रीय दावों का मुखर विरोधी रहा है और वह अमेरिका के एक प्रमुख भागीदार के रूप में उभरा है।

अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने बीजिंग पर दक्षिण चीन सागर में गैरकानूनी दावों को लेकर जबरदस्ती करने और डराने-धमकाने का आरोप लगाया। दक्षिण पूर्व एशिया के दौरे पर निकलीं अमेरिकी हैरिस ने अपने पहले पड़ाव सिंगापुर में ही दक्षिण चीन सागर का मुद्दा उठाते हुए चीन को निशाने पर लिया और कहा, चीन यह क्षेत्र तत्काल खाली करे। उन्होंने कहा, अमेरिकी सुरक्षा के लिए दक्षिण सागर अहम है।


भारतीय-अमेरिकी उपराष्ट्रपति की सिंगापुर और वियतनाम की सात दिवसीय यात्रा विश्व स्तर पर उनकी दूसरी कोशिश है जिसका मकसद चीन की बढ़ती सुरक्षा व आर्थिक चुनौतियों के लिए छोटे देशों के साथ खड़ा होना है। उन्होंने चीन पर दक्षिण सागर में जबरदस्ती करने और बाकी देशों को धमकी देने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह मुद्दा कई सालों से क्षेत्र के कई देशों के बीच विवाद का विषय बना हुआ है।

 


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Content Writer

Tanuja

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