इटली 2020 से डिजिटल कंपनियों पर लगाएगा वेब टैक्स

punjabkesari.in Friday, Oct 18, 2019 - 02:04 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः इटली ने 16 अक्टूबर को पेश किए अपने 2020 के ड्राफ्ट बजट में अमेरिका की बड़ी-बड़ी तकनीकी कंपनियों सहित डिजिटल कंपनियों पर नया टैक्स लगाने का फैसला किया है। यह टैक्स अगले साल से शुरू किया होगा जिसके अंतर्गत फेसबुक, गूगल और अमेज़न जैसी कंपनियों को इंटरनेट ट्रांजेक्शन करने पर 3% टैक्स देना होगा। इस इतालवी योजना से प्रति वर्ष लगभग 600 मिलियन यूरो ($662 मिलियन) का राजस्व लाभ होने की उम्मीद है।

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सूत्रों के अनुसार इस योजना के तहत बहुराष्ट्रीय वेब आधारित दिग्गजों को इंटरनेट लेन-देन पर 3% का भुगतान करने के लिए बाध्य किया जाएगा। यह योजना मोटे तौर पर पेरिस स्थित ऑर्गनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक कोऑपरेशन (OECD) के प्रस्तावों के अनुरूप है, जिसने पिछले सप्ताह सरकारों से वैश्विक दिग्गजों पर कर लगाने के लिए नियमों को फिर से शुरू करने का आग्रह किया था। दरअसल आर्थिक मंदी के कारण इटली लगभग 23 बिलियन यूरो (26 बिलियन डॉलर) की बिक्री कर में वृद्धि से बचने के लिए संसाधनों को खोजने के लिए संघर्ष कर रहा है, जिससे घरेलू मांग पहले से ही कमजोर हो सकती है।

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यूरोपीय संघ को थी शिकायत
इटली और साथी यूरोपीय संघ के सदस्यों को लंबे समय से शिकायत थी कि  फेसबुक, Google और अन्य वेब दिग्गज अपने देशों में भारी मुनाफा तो  कमाते हैं, लेकिन उस हिसाब से प्रति वर्ष सिर्फ कुछ मिलियन यूरो करों का भुगतान करते हैं। बता दें कि इटली ने मूल रूप से 5-स्टार और दक्षिणपंथी लीग के पिछले गठबंधन के तहत 2018 में एक वेब टैक्स की योजना बनाई थी, लेकिन इस साल अगस्त में सरकार गिर गई और टैक्स को लागू नहीं किया जा सका। अब यह नई योजना जनवरी 2020 से प्रभावी होगी । यूरोपियन यूनियन (EU) 3 फीसदी की दर से टैक्स पर विचार कर रहा है।  फ्रांस ने अपना अलग नियम बना लिया है। अगर नियम पक्का हो जाता है तो विदेशी डिजिटल कंपनियों को भी घरेलू कंपनियों की तरह 30 फीसदी की दर से टैक्स भरना होगा। न्यूजीलैंड सरकार भी  दिग्गज ऑनलाइन कंपनियों पर नया टैक्स लगाने की योजना की घोषणा कर चुकी है

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भारत भी तैयारी में 
उधर भारत  सरकार  भी गूगल , फेसबुक , ट्विटर जैसी डिजिटल कंपनियों पर टैक्स लगाने की तैयारी कर रही है। सरकार इसके लिए 20 करोड़ रुपए की सालाना आमदनी और 5 लाख से ऊपर तक के सब्सक्राइबर को टैक्स वसूली का पैमाना बना सकती है। सरकार  बीते साल जुलाई में SEP (सिग्निफिकेंट इकोनॉमिक प्रजेंस) का कॉन्सेप्ट लाई थी लेकिन इस पर अंतिम फैसला नहीं हुआ है।  सिग्निफिकेंट इकोनॉमिक प्रजेंस के तहत तय पैमानों के आधार पर अगर कोई कंपनी भारत में मुनाफा कमाती है तो उसे टैक्स भरना होगा।  

 


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Tanuja

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