विशेषज्ञों ने पाकिस्तान में अहमदिया मुसलमानों की बदतर स्थिति पर जताई गहरी चिंता

punjabkesari.in Wednesday, Jun 23, 2021 - 05:38 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क: पाकिस्तान में रहने वाले अहमदिया मुसलमानों की स्थिति बद से बदतर हो चुकी है और अमेरिकी एक्सपर्ट्स ने उनकी हालात पर गहरी चिंता जताई है। अमेरिकन एक्सपर्ट्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पाकिस्तान में अहमदिया समुदाय को चुन- चुनकर निशाना बनाया जा रहा है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि पाकिस्तान में अहमदिया मुसलमानों को राजनीतिक और सामाजिक, दोनों तरह से प्रताड़ित किया गया है। जब पाकिस्तान में जुल्फीकार अली भुट्टो की सरकार थी, तो उन्होंने पाकिस्तान में दंगाई विचारधारा को काफी हवा दी और उन्होंने पाकिस्तान की संविधान में परिवर्तन करते हुए लिखवाया कि अहमदिया को इस्लाम से बाहर किया जाता है और अहमदिया को पाकिस्तान में मुसलमान नहीं माना जाएगा।

 

नॉक्स थेम्स ने पॉडकास्ट के दौरान नोबेल पुरस्कार विजेता अब्दुस सलम का हवाला देते हुए कहा कि 'अब्दुस सलम पहले पाकिस्तानी थी, जिन्हें प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार दिया गया था, लेकिन उन्होंने अपने घर के अंदर ही अपनी खुशी मनाई। ऐसा इसलिए, क्योंकि वो अहमदिया मुस्लिम थे।' उन्होंने कहा कि 'पाकिस्तान में रहने वाला हर अहमदिया मुसलमान काफी ज्यादा देशभक्त होते हैं, वो अपने संविधान और समाज को मानते हैं, लेकिन पाकिस्तान में उनकी ना इज्जत है और ना ही उन्हें सम्मान दिया जाता है। उन्हें हर जगह दुत्कार दिया जाता है।'


 
अमेरिका के पूर्व सलाहकार और एशिया में धार्मिक अल्पसंख्यक मामलों पर नजर रखने वाले अधिकारी नॉक्स थेम्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पाकिस्तान के अहमदिया मुसलमानों को बुरी तरह से टार्गेट किया जाता है। उन्हें ईशनिंदा कानून में झूठा फंसाया जाता है और फिर सालों तक जेल में बंद रखा जाता है। नॉक्स थेम्स ने अपनी   कहा कि बतौर अहमदिया मुसलमान पाकिस्तान में रहना खतरनाक है। लंदन में एक पॉडकास्ट में थेम्स ने कहा कि 'पाकिस्तान में रहने वाले अहमदिया समुदाय के लोग खुद को मुसलमान तो मानते हैं, लेकिन बतौर मुस्लिम होकर उनका पाकिस्तान में रहना बेहद खतरनाक है। उनकी आबादी लगातार कम हो रही है।'

 

उन्होंने कहा कि 'इस्लामिक विचारधारा में अहमदियाओं को मुस्लिम नहीं माना जाता है। अहमदिया विचारधारा को इस्लाम से बाहर का हिस्सा माना जाता है, लेकिन पाकिस्तान के अंदर तो उनके अस्तित्व को ही खत्म किया जा रहा है। उनके साथ बेहद खराब सलूक किया जाता है और उन्हें ईशनिंदा के झूठ आरोपों में फंसाना बेहद आसान है।' अमेरिका के एशिया मामलों के पूर्व राजनयिक नॉक्स थेम्स ने पाकिस्तान के लाहौर में 1953 में हुए दंगे का हवाला देते हुए कहा कि उस दंगे में हजारों अहमदिया मुस्लिमों को मारा गया था और हजारों अहमदियाओं को पूरी तरह से उजाड़ दिया गया था।

 

उन्होंने कहा कि '1953 में अहमदियाओं के साथ हुए नरसंहाग के बाद हम लगातार देख रहे हैं कि उनके साथ भयानक भेदभाव किया जाता है, उन्हें झूठे मामलों में फंसाया जाता है और उन्हें खत्म करने की कोशिश हो रही है। वहीं, पाकिस्तान के कपड़ा उद्योग में एक तरह से अहमदिया मुस्लिमों का बहिष्कार कर दिया गया है'। उन्होंने कहा कि 'पाकिस्तान में अहमदिया मुस्लिमों को ना बोलने का अधिकार है और ना ही अपनी आवाज उठाने का। उन्हें समाज से अलग रखा जाता है, उनके साथ बेहद बुरी सलूक किया जाता है और सबसे खतरनाक बात ये है कि पाकिस्तान की संसद ने ही अहमदियाओं को मुस्लिम होंने का दर्जा छीना है और उनके पास कई संवैधानिक अधिकार नहीं हैं'
 

 


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Content Writer

Tanuja

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