दूसरे विश्व युद्ध से कम नहीं रूस-यूक्रेन जंग... हर मिनट 55 बच्चे रिफ्यूजी बनने को मजबूर, भोजन-पानी तक नहीं मिल रहा

punjabkesari.in Thursday, Mar 17, 2022 - 01:31 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क: मध्य एवं पूर्वी यूरोप में आनन-फानन में आवासीय सुविधाओं में तब्दील किये गये भवनों में शरण पाये हजारों यूक्रेनी बच्चे अपने देश पर रूस के आक्रमण के बाद शरणार्थी के रूप में भागने की नयी हकीकत को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। यूनीसेफ द्वारा मंगलवार को जारी आंकड़े के अनुसार 24 फरवरी को रूस का आक्रमण शुरू होने के बाद यूक्रेन से पोलैंड, हंगरी, स्लोवाकिया, रोमानिया एवं मोल्दोवा भागे 30 लाख से अधिक लोगों में करीब आधे बच्चे हैं। यूक्रेन की सीमा से सटे देशों ने उनके यहां लगातार आ रहे शरणार्थियों को शरण तो दी है लेकिन इन देशों के प्रशासन खौफजदा यूक्रेनी बच्चों को दीर्घकालिक मानसिक देखभाल प्रदान करने के बहुत बड़े काम से जूझ रहे हैं। 

पिछले 20 दिनों से हर मिनट यूक्रेन से 55 बच्चे भाग कर इन देशों में पहुंच रहे हैं और इस रुख में किसी बदलाव की संभावना भी नहीं है क्योंकि रूसी सैन्यबल बढ़ते ही जा रहे हैं। न केवल मोल्दोवा में धनाभाव से जूझ रहे घटिया प्रबंधन वाले विद्यालयों में बल्कि अपेक्षाकृत धनी देश पोलैंड में लगातार लोगों के पहुंचने की संभावना है। मनोचिकित्सकों का कहना है कि ऐसा लगता है कि युवा यूक्रेनवासी अपने घरों से दूर और अपने अभिभावकों के पृथक्करण की दीर्घकालिक प्रकृति को समझ नहीं पा रहे हैं। 

मोल्दोवा की राजधानी में सबसे बड़े शरणार्थी केंद्र में यूक्रेनी बच्चों के साथ काम करने वाली चिसीनाउ की एक स्कूल मनोवैज्ञानिक इरिना पुरकारी ने कहा कि कुछ बच्चे जोर देकर कहते हैं कि वे एक छोटे अवकाश या स्कूल से अवकाश पर हैं। पुरकारी के अनुसार केंद्र पर पहुंचने वाले ज्यादातर बच्चे चिंतामग्न और संपर्क से कतराते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे बच्चों को लेकर हमारा पहला कदम उनके तनाव के स्तर को घटाना और इस स्थिति पर काबू पाने का प्रयास होता है।
 


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Content Writer

Anil dev

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