रूस-यूक्रेन युद्ध का फायदा उठाना चाहता है चीन, अमरीका भी होगा आर्थिक रूप से मजबूत

punjabkesari.in Tuesday, Mar 15, 2022 - 11:26 AM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क: यूक्रेन से जंग के बीच रूस का समर्थन करने वाले चीन को असली फायदा मिलता दिख रहा है। जानकारों का मानना है कि चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव के विरोध में ही वोटिंग करने की तैयारी में था, लेकिन अमेरिका की ओर से जब संपर्क साधा गया और फिर उसने विरोध में मतदान की बजाय गैरहाजिर रहने का फैसला किया। इस तरह उसने गैर-हाजिर रहकर एक तरफ रूस को साध लिया और दूसरी तरफ अमेरिका को भी हद से ज्यादा नाराज नहीं किया। यही नहीं रूस पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों का भी चीन को ही फायदा मिलता दिख रहा है। चीन ने एक तरफ रूस से गेहूं के आयात को मंजूरी दे दी है तो वहीं उसकी कोशिश रूस के तेल और गैस रिजर्व तक पहुंच बनाने की है। हालांकि की चीन के मीडिया ने दावा किया है यूक्रेन युद्ध से सबसे ज्यादा फायदा अमरीका को हो रहा है।

पश्चिमी देशों से चीन को कैसे मिलता है लाभ !
पश्चिमी देशों की ओर से किसी पर बैन लगाए जाने का फायदा कैसे चीन को मिलता है, इसका सबसे बड़ा उदाहरण ईरान है। बीते साल ही चीन ने ईरान के साथ 400 बिलियन डॉलर की डील की थी। इसके तहत चीन ने तय किया है कि वह उसके यहां जमकर निवेश करेगा और उसके बदले में तेल की निर्बाध सप्लाई जारी रहनी चाहिए। ईरान बीते कुछ सालों में चीन पर निर्भर होता दिखा है, लेकिन उसके पास कोई विकल्प भी नहीं है। यदि पश्चिमी देशों की ओर से रूस पर ऐसे ही कड़े प्रतिबंध जारी रहे तो उसके पास भी कोई विकल्प नहीं होगा और चीन को सस्ता तेल और गैस मिलता रहेगा। यही उसका इस जंग से सबसे बड़ा फायदा है। इसके अलावा पश्चिमी देशों के कदमों के चलते वैश्विक मंच पर रूस अलग-थलग पड़ सकता है। इससे चीन को इस इलाके में तमाम देशों से राजनीतिक और आर्थिक संबंध मजबूत करने का मौका मिल सकता है।

अमरीका का दावा रूस ने चीन से मांगे सैन्य उपकरण
यूक्रेन के खिलाफ रूस के 'स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन' को चीन में कुछ खास समर्थन मिलता नहीं दिख रहा। चीन सरकार तो रूस के इस कदम के साथ है, लेकिन वहां की सत्ता के गलियारों में काफी लोग ऐसे भी हैं, जो रूस के इरादों को शक की नजर से देख रहे हैं। इस साल 4 फरवरी को चीन और रूस ने एक संयुक्त बयान पर बीजिंग में दस्तखत किए थे। उस बयान के मद्देनजर बीजिंग के पावर कॉरिडोर में यह अंदाजा लगाया जा रहा था कि यूक्रेन से अपनी बातें मनवाने के लिए रूस कड़े तेवर तो दिखाएगा, लेकिन हमले जैसा कदम नहीं उठाएगा, लेकिन रूस ने आक्रमण कर दिया। अब अमरीका की फाइनेंशियल टाइम्स और वाशिंगटन पोस्ट ने रविवार को अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से बताया कि रूस ने यूक्रेन पर 24 फरवरी के आक्रमण के बाद से चीन से सैन्य उपकरण मांगे हैं। हालांकि, वॉशिंगटन में चीनी दूतावास के प्रवक्ता ने कहा कि रूस के मदद मांगने को लेकर उन्हें कोई जानकारी नहीं है।

रूस की कमजोरी से चीन को फायदा
यूक्रेन के कदम से चीन कितना असहज है, इसका पता एक और चीज से चल रहा है। चीन के सपोर्ट वाले एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक ने रूस और बेलारूस से जुड़ी अपनी सारी गतिविधियां रोक दी हैं। चीन इस बैंक का संस्थापक सदस्य है। इस बैंक में साढ़े 26 पर्सेंट वोटिंग पावर चीन का है। रूस के पास 6 परसेंट वोटिंग पावर है। चीन यूक्रेन में अपने नागरिकों की सुरक्षा के बारे में भी चिंतित है। वहां से उन्हें निकालने के अभियान पर उसकी नजर है। विशेषज्ञों का मानना है कि मध्य एशिया सहित पूर्व सोवियत संघ के भौगोलिक दायरे में रूस की कमजोरी से चीन को फायदा हो सकता है। पश्चिमी देशों ने जो प्रतिबंध लगाए हैं, उनके चलते रूस की इकॉनमी कमजोर हो सकती है। उसकी डिफेंस इंडस्ट्री पर भी इसकी आंच आ सकती है। ऐसा होने पर मध्य एशिया के जो देश हैं, वे चीन के करीब जा सकते हैं। उनके बीच सुरक्षा सहयोग भी बढ़ सकता है।

चीन का दावा प्राकृतिक गैस से होगा अमरीका का फायदा
चीनी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने साल 2021 में रूस यूरोप में 199.6 बिलियन क्यूबिक मीटर प्राकृतिक गैस का निर्यात करता था। ये रूस के कुल प्राकृतिक गैस निर्यात का 81 प्रतिशत था, लेकिन यूक्रेन संकट से यूरोप में रूस का ये निर्यात घटकर मात्र 72.6 बिलियन क्यूबिक मीटर प्रति वर्ष रह जाएगा। अमेरिका इसकी आपूर्ति करने के लिए तैयार है। अमेरिका ने साल 2022 में प्राकृतिक गैस के अपने उत्पादन लक्ष्य को एक ट्रिलियन क्यूबिक मीटर बढ़ा दिया है और अब उसे खरीदारों की तलाश है। यूरोप के देश रूस पर प्रतिबंधों के बाद प्राकृतिक गैस के लिए अमेरिका का रुख करेंगे। यूक्रेन संकट को देखते हुए रूस की मुद्रा रूबल में तो भारी गिरावट आई है वहीं, विश्व की अन्य मुद्राओं की तुलना में डॉलर को मजबूती मिली है। ग्लोबल टाइम्स का कहना है कि यूक्रेन में संकट को देखते हुए अमरीकी डॉलर को और मजबूती मिलेगी। साल 2014 में भी जब यूक्रेन में अस्थिरता आई थी तब फरवरी से दिसंबर के बीच अन्य देशों की मुद्रा की तुलना में डॉलर को 8.7 प्रतिशत की मजबूती मिली थी।


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Content Writer

Anil dev

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