तालिबानी राज के लौटते ही अफगानिस्‍तान में महिलाओं पर टूट पड़ी मुसीबत, घर से बाहर निकलना हुआ मुश्किल

punjabkesari.in Wednesday, Aug 18, 2021 - 03:27 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क: तालिबान के डर से कई दिन तक घर के भीतर रही अफगानिस्तान की महिला अधिकारों की एक कार्यकर्ता ने मंगलवार को पहली बार इतने दिनों में बाहर कदम रखा। कार्यकता और उनकी बहन ने अपना सिर दुपट्टे से ढका हुआ था और वे बाजार में नजर आने वाली अकेली महिलाएं थीं जहां उन्हें कुछ शत्रुता से घूरती नजरों का सामना करना पड़ा। देश के तीसरे सबसे बड़े शहर, हेरात में लड़कों के साथ-साथ लड़कियां भी उम्मीद से उलट स्कूल लौटने लगीं लेकिन तालिबान लड़ाकों ने स्कूल के दरवाजे पर ही उन्हें हिजाब और सिर ढंकने का रुमाल देना शुरू कर दिया था। राजधानी काबुल में, एक महिला समाचार एंकर ने टीवी स्टूडियो में तालिबान के एक अधिकारी का साक्षात्कार लिया जो ऐसा दृश्य था जिसकी एक वक्त में कभी कल्पना करना भी मुश्किल था। 

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तेजी से हमले कर देश पर कब्जा करने के कुछ दिनों बाद तालिबान ने ज्यादा उदार रुख दिखाने का प्रयास किया जिसके तहत उसने महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करने और उन्हें सरकार में शामिल होने का आमंत्रण दिया है। तालिबान के आश्वासनों को लेकर संदेह से भरी कुछ अफगान महिलाएं उनके इन आश्वासनों को होशियार रहकर जांच रही हैं। देश के अधिकतर हिस्सों में, बहुत सी महिलाएं घर पर ही रह रही हैं। वे एक नई दुनिया में प्रवेश करने से बहुत डरी हुई हैं, जहां चरमपंथी समूह जो कभी महिलाओं के साथ असामान्य व्यवहार करता था और उनकी हर गतिविधि को प्रतिबंधित करता था, अब सत्ता में है। संगठन का संपर्क अभियान मैदान पर हो रही रिपोर्टिंग के उलट लग रहा है जिसमें पत्रकारों की तलाश में चरमपंथियों द्वारा घर-घर जाना, विपक्ष के लिए काम करने वाले लोग और अन्य लक्ष्य शामिल हैं। काबुल में एक पश्चिमी महिला लेक्चरर ने कहा कि राजधानी में भय का माहौल है। उसने कहा, “उन्होंने घर-घर जाकर लोगों को तलाश करना शुरू कर दिया है। वे कह रहे हैं कि उन्होंने जनता को अकेला छोड़ दिया है लेकिन यह सच नहीं है।” 

तालिबान की वापसी से दूर भागने के लिए बेताब काबुल के अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर सैकड़ों अफ़गानों की भीड़ के बीच एक अफ़ग़ान युवती दो दुनियाओं के बीच अधर में लटकी हुई थी। एक दुनिया में, 22 वर्षीय युवती ऐसी देश जाने के लिए विमान में सवार होती जिसे वह जानती नहीं है जहां उसे शरणार्थी के रूप में जाना जाता। वहीं दूसरी दुनिया में, वह तालिबान के शासन में अफगानिस्तान में रहती जहां उसे बीते 20 वर्षों में हासिल की गई हर चीज को भूलने पर मजबूर होना पड़ेगा। नींद से दूर, भूख से परेशान और डरी हुई वह महिला हवाईअड्डे पर घंटों तक ऐसी उड़ान का इंतजार करती रही जो उसके मन में उठ रहे सवालों के जवाब लिए कभी नहीं आएगी। अपने सपनों को एक छोटे से बैग में लेकर विमान का इंतजार कर रही लड़की ने सुरक्षा कारणों से नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा, “मेरे सारे सपने मेरी आंखों के सामने बिखर गए। मेरे साथ यह नहीं होना चाहिए। किसी के साथ यह नहीं होना चाहिए।”


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Content Writer

Anil dev

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