कहानी उस महिला की जिसने घरवालों से छुपकर की परीक्षा की तैयारी...बनीं पाकिस्तान की पहली हिंदू महिला DSP

punjabkesari.in Friday, Jul 29, 2022 - 06:35 PM (IST)

इंटनेशनल डेस्क: तमाम विपरीत हालात पर जीत हासिल करते हुए पाकिस्तान की पहली हिंदू महिला पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) बनी मनीषा रूपेता अपने रिश्तेदारों की तमाम आशंकाओं को गलत साबित करके रोमांचित महसूस कर रही हैं। नारीवादी अभियान की कमान संभाल कर ‘महिलाओं की संरक्षक' बनना और पितृ सतात्मक समाज में लैंगिक समानता को प्रोत्साहित करना है। सुदूरवर्ती सिंध प्रांत के जैकोबाबाद की रहने वाली 26 वर्षीय रूपेता का मानना है कि कई अपराधों का निशाना महिलाएं होती हैं और वे पुरुष प्रधान पाकिस्तान में ‘‘सबसे अधिक उत्पीड़ित'' समाज हैं। 

रूपेता ने पिछले साल सिंध लोक सेवा आयोग की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। वह 152 सफल अभ्यर्थियों की मेरिट सूची में 16वें स्थान पर रहीं। वह प्रशिक्षण ले रही हैं और उन्हें ल्यारी के अपराध प्रभावित क्षेत्र में पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) के रूप में तैनात किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने और मेरी बहनों ने बचपन से ही पितृसत्ता की पुरानी व्यवस्था देखी है जहां लड़कियों से कहा जाता है कि अगर वे शिक्षित होकर काम करना चाहती हैं तो वह केवल शिक्षक या चिकित्सक ही बन सकती हैं।'' एक मध्यवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाली रूपेता ने कहा कि वह इस धारणा को खत्म करना चाहती हैं कि अच्छे परिवारों की लड़कियों को पुलिस सेवा में शामिल होने या जिला अदालतों में काम करने से बचना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘महिलाएं सबसे अधिक उत्पीड़ित हैं और हमारे समाज में वे कई अपराधों का शिकार होती हैं। मैं पुलिस में इसलिए शामिल हुई क्योंकि मुझे लगता है कि हमें अपने समाज में एक महिला रक्षक की जरूरत है।'' 

महिलाओं के खिलाफ शारीरिक और यौन हिंसा, ऑनर किलिंग और जबरन विवाह के मामलों के चलते पाकिस्तान को महिलाओं के लिए दुनिया के सबसे खराब देशों में से एक माना जाता है। विश्व आर्थिक मंच के ‘ग्लोबल जेंडर इंडेक्स' ने कुछ साल पहले पाकिस्तान को नीचे से तीसरे स्थान पर रखा था। पाकिस्तान 153 देशों 151वें स्थान पर था। महिला अधिकारों के लिए काम करने वाले एक पाकिस्तानी गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘औरत फाउंडेशन' की एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक, देश में लगभग 70 प्रतिशत महिलाएं अपने जीवन में कम से कम एक बार घरेलू हिंसा की शिकार हुई हैं। यह हिंसा आमतौर उनके पतियों द्वारा की जाती है। रूपेता का मानना है कि एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के रूप में उनका काम महिलाओं को सशक्त बनायेगा और उन्हें अधिकार देगा। 

उन्होंने कहा, ‘‘मैं एक नारीवादी अभियान का नेतृत्व करना चाहती हूं और पुलिस बल में लैंगिग समानता को प्रोत्साहित करना चाहती हूं। मैं खुद हमेशा पुलिस बल की भूमिका से बहुत प्रेरित रही हूं।'' रूपेता की सभी तीन बहन चिकित्सक हैं और उनका छोटा बाई मेडिसिन की पढ़ाई कर रहा है। उनके पिता जैकोबाबाद में एक व्यवसायी थे। रूपेता जब 13 साल की थीं तब उनकी मृत्यु हो गई थी। उनका पालन-पोषण उनकी मां ने किया, जो अपने पति की मृत्यु के बाद अपने बच्चों के साथ कराची चली गई थीं। 

अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए मनीषा कहती हैं कि जकूबाबाद में लड़कियों को अपने अनुसार पढ़ने-लिखने की अनुमति नहीं थी। अगर किसी को पढ़ना ही था तो उसे सिर्फ मेडिसिन की पढ़ाई करने की इजाजत थी, लेकिन मनीषा का दिल हमेशा पुलिस की नौकरी करने का था। मनीषा की तीन बहनें एमबीबीएस डॉक्टर हैं, जबकि उनका इकलौता और छोटा भाई भी मेडिकल मैनेजमेंट की पढ़ाई कर रहा है। बहनों की तरह मनीषा ने भी एमबीबीएस की परीक्षा दी, लेकिन नंबर कम आए और वो पास नहीं हुईं। इसके बाद उन्होंने डॉक्टर ऑफ फिजिकल थैरेपी की डिग्री ली, लेकिन पुलिस की वर्दी से अधिक लगाव होने के कारण उन्होंने चुपचाप सिंध लोक सेवा आयोग की परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी. अपनी मेहनत के दम पर उन्होंने लोक सेवा आयोग की परीक्षा में सफलता हासिल कर 16वीं रैंक प्राप्त की। 

रूपेता ने कहा, ‘‘मेरे गृहनगर में लड़कियों के लिए उच्च शिक्षा हासिल करना सामान्य बात नहीं थी और जब उनके रिश्तेदारों को पता चला कि वह पुलिस बल में शामिल हो रही हैं तो उन्होंने सोचा कि वह इतने कठिन पेशे में लंबे समय नहीं रह पाएगी। लेकिन मैंने उन्हें गलत साबित किया है।'' उन्होंने कहा कि सिंध पुलिस में एक वरिष्ठ पद पर होना और ल्यारी जैसी जगह पर ‘ऑन-फील्ड' प्रशिक्षण प्राप्त करना आसान नहीं है। रूपेता से पहले उमरकोट जिले की पुष्पा कुमारी ने भी इसी तरह की परीक्षा उत्तीर्ण की थी और सिंध पुलिस में पहली हिंदू सहायक उप-निरीक्षक के रूप में शामिल हुई थीं। 


 


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Content Writer

Anil dev

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