शरिया से ही चलेगा शासन, अफगानिस्तान में नहीं होगा ''लोकतंत्र'', पहले की तरह ही चलाएंगे सरकार
punjabkesari.in Thursday, Aug 19, 2021 - 04:39 PM (IST)
इंटरनेशनल डेस्क: अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा होने के बाद पूरी दुनिया की निगाह इसी बात पर टिकी है कि आखिर यहां किस तरह की सरकार बनेगी। कई लोगों का कहना है कि यहां लोकतंत्र का शासन होगा तो कइयों का कहना है कि यहां तालिबानी शासन चलेगा। इन सब के बीच तालिबान के एक वरिष्ठ नेता वहीदुल्लाह हाशिमी ने इस सभी सवालों का जवाब देते हुए कहा है कि वे शरिया कानून के मुताबिक ही चलेंगे।
तालिबान ने 1996 से 2001 तक अफगानिस्तान पर किया था शासन
उन्होंने लोकतंत्र को यह कहकर खारिज कर दिया है कि अफगानिस्तान में इसके लिए कोई जगह नहीं है। तालिबानी नेता ने यह भी बताया कि अफगानिस्तान में 'सत्तारूढ़ परिषद' के जरिए शासन चलाया जा सकता है, जबकि हैबतुल्ला अखुंदजादा इसके सर्वोच्च नेता बने रहेंगे। समूह के नीति निर्माण से जुड़े रहने वाले नेता वाहीदुल्लाह हाशिमी ने कहा कि तालिबान अफगान सेना के पूर्व पायलट्स और सैनिकों को भी अपने समूह में जोड़ेगा। हाशिमी ने बताया कि एक परिषद देश पर दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों की देखरेख करेगी, जबकि तालिबान के सर्वोच्च नेता, हैबतुल्लाह अखुंदजादा के समग्र प्रभारी बने रहने की संभावना है। हाशिमी ने कहा कि जिस तरह से तालिबान ने 1996 से 2001 तक अफगानिस्तान पर शासन किया था, वर्तमान में भी वैसी ही शासन प्रणाली रहेगी। हाशिमी ने यह भी कहा कि अखुंदजादा के डेप्युटी राष्ट्रपति की भूमिका निभा सकते हैं। तालिबान के सर्वोच्च नेता के तीन डेप्यूटी मुल्ला उमर का बेटा मौलवी याकूब, सिराजुद्दीन हक्कानी और अब्दुल गनी बरादर हैं।
बढ़ती चुनौतियों के बीच तालिबान ने मनाया देश का स्वतंत्रता दिवस
वहीं तालिबान ने ‘‘दुनिया की अहंकारी ताकत'' अमेरिका को हराने की घोषणा करके बृहस्पतिवार को अफगानिस्तान का स्वतंत्रता दिवस मनाया, लेकिन अब उसके सामने देश की सरकार को चलाने से लेकर सशस्त्र विरोध झेलने की संभावना जैसी कई चुनौतियां खड़ी हो रही हैं। अफगानिस्तान के एटीएम में नकदी समाप्त हो गई है और आयात पर निर्भर इस देश के तीन करोड़ 80 लाख लोगों के सामने खाद्य संकट पैदा हो गया है। ऐसे में तालिबान के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग के बिना सरकार चलाना बड़ी चुनौती होगी। इस बीच, अफगानिस्तान के पंजशीर घाटी में पहुंचे विपक्षी नेता ‘नदर्न अलायंस' के बैनर तले सशस्त्र विरोध करने को लेकर चर्चा कर रहे हैं। यह स्थान ‘नदर्न अलाइंस' लड़ाकों का गढ़ है, जिन्होंने 2001 में तालिबान के खिलाफ अमेरिका का साथ दिया था। यह एकमात्र प्रांत है जो तालिबान के हाथ नहीं आया है।
शरिया या इस्लामी कानून के आधार पर चलेगी सरकार
तालिबान ने अभी तक उस सरकार के लिए कोई योजना पेश नहीं की है, जिसे चलाने की वह इच्छा रखता है। उसने केवल इतना कहा है कि वह शरिया या इस्लामी कानून के आधार पर सरकार चलाएगा। अफगानिस्तान में विश्व खाद्य कार्यक्रम प्रमुख मेरी एलन मैक्ग्रोर्थी ने कहा, ‘‘हमारी आंखों के सामने एक बहुत बड़ा मानवीय संकट खड़ा हो रहा है।'' अफगानिस्तान में बृहस्पतिवार को स्वतंत्रता दिवस मनाया गया। यह दिसय मध्य एशियाई देश में ब्रितानी शासन का अंत करने वाली 1919 की संधि की याद में मनाया जाता है। तालिबान ने कहा, ‘‘यह सौभाग्य की बात है कि हम ब्रिटेन से आजादी की आज वर्षगांठ मना रहे हैं। इसके साथ ही हमारे जिहादी प्रतिरोध के परिणाम स्वरूप दुनिया की एक और अहंकारी ताकत अमेरिका असफल हुआ और उसे अफगानिस्तान की पवित्र भूमि से बाहर जाने पर मजबूर होना पड़ा।'' इससे पहले पूर्वी शहर जलालाबाद में विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों पर तालिबान की हिंसक कार्रवाई में कम से कम एक व्यक्ति की मौत हो गई। प्रदर्शनकारियों ने अफगानिस्तान के स्वतंत्रता दिवस से एक दिन पहले राष्ट्रीय ध्वज फहराया और तालिबान का झंडा उतार दिया।