पाक चुनाव आयोग ने खोली पोल- इमरान की पार्टी ने 351 विदेशी कंपनियों से लिया अवैध धन, नोटिस जारी

punjabkesari.in Wednesday, Aug 03, 2022 - 12:08 PM (IST)

 इस्लामाबाद: पाकिस्तान के निर्वाचन आयोग (ECP) ने अपदस्थ प्रधानमंत्री इमरान खान को झटका देते हुए मंगलवार को उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ ( PTI) को 34 विदेशी नागरिकों और 351 विदेशी कंपनियों से ‘प्रतिबंधित धन' प्राप्त करने के मामले में ‘कारण बताओ' नोटिस जारी किया। ECP की तीन सदस्यीय पीठ ने PTI के संस्थापक सदस्य अकबर एस बाबर द्वारा दायर एक मामले में सर्वसम्मत फैसले की घोषणा की, जो नवंबर 2014 से लंबित था। पीठ में मुख्य चुनाव आयुक्त सिकंदर सुल्तान राजा, निसार अहमद दुर्रानी और शाह मुहम्मद जटोई शामिल थे।

 

आयोग ने कहा कि PTI को 34 विदेशी नागरिकों और कारोबारी दिग्गज आरिफ नकवी से धन प्राप्त हुआ था। डॉन अखबार के अनुसार, ECP ने यह भी कहा कि पीटीआई को भारतीय मूल की एक अमेरिकी व्यवसायी महिला रोमिता शेट्टी से भी चंदा मिला, जो नियमों के खिलाफ था। दिलचस्प बात यह है कि ईसीपी का फैसला ‘द फाइनेंशियल टाइम्स' अखबार में हाल में प्रकाशित हुई एक खबर के बाद आया है, जिसका शीर्षक 'क्रिकेट मैच का अजीब मामला जिसने खान के राजनीतिक उत्थान में मदद की' था।

 

डॉन अखबार के अनुसार, लिखित फैसले में, ECP ने उल्लेख किया कि PTI ने "जानबूझकर" वूटन क्रिकेट लिमिटेड से 21,21,500 डॉलर की राशि प्राप्त की। इसमें कहा गया कि PTI पाकिस्तान को पीटीआई यूएसए एलएलसी -6160 और पीटीआई यूएसए एलएलसी-5975 के धन जुटाने के अभियानों के माध्यम से 34 विदेशी नागरिकों और विदेश-आधारित 351 कंपनियों से चंदा प्राप्त हुआ। ECP ने कहा कि पार्टी को पीटीआई कनाडा कॉर्पोरेशन और PTI यूके पब्लिक लिमिटेड कंपनी के माध्यम से भी चंदा मिला। इसने घोषणा की कि पार्टी ने 13 खातों को गुप्त रखा, जो कि पाकिस्तान के संविधान का एक और उल्लंघन है।

 

ECP ने खान की पार्टी को ‘कारण बताओ' नोटिस जारी करते हुए पूछा कि यह पैसा जब्त क्यों नहीं किया जाना चाहिए। याचिकाकर्ता बाबर ने कहा कि यह पीटीआई के "फासीवाद" को खत्म करने की दिशा में एक कदम है। वह अब इस पार्टी से नहीं जुड़े हैं।ईसीपी के फैसले पर पीटीआई प्रमुख खान की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। पीटीआई के नेता फवाद चौधरी ने कहा कि पार्टी के लिए ज्यादातर पैसा विदेशी पाकिस्तानियों से आया है, और ईसीपी के फैसले से साबित होता है कि यह "विदेशी फंडिंग" का मामला नहीं था। 


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Content Writer

Tanuja

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