‘पाकिस्तान तालिबान’ को लेकर मलाला ने जताई चिंता- कहा इस संगठन को बढ़ावा न दे इमरान सरकार

punjabkesari.in Thursday, Oct 28, 2021 - 03:10 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः पाकिस्तान के खिलाफ खुलकर बोलने वाली ब ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रान्त के स्वात जिले में स्थित मिंगोरा शहर की रहने वाली व नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई ने तालिबान-पाक को बड़ा बयान दिया है। मलाला ने कहा कि इमरान सरकार को पाकिस्तान तालिबान को बढ़ावा नहीं देना चाहिए। मलाला का ये बयान  प्रधानमंत्री इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के कुछ समूहों के साथ बातचीत के बाद आया है। उन्होंने कहा कि “मेरी राय में, आप समझौता तब करते हैं जब आप मानते हैं कि दूसरे पक्ष की चिंताओं को गंभीरता से लिया जाना चाहिए या वे एक शक्तिशाली प्राधिकारी हैं।”

 

मलाला यूसुफजई ने कहा कि तालिबान के पास सार्वजनिक स्तर का कोई समर्थन नहीं है। लोग किसी भी क्षेत्र से पाकिस्तान में यह नहीं कह रहे हैं कि वे तालिबान सरकार चाहते हैं।  इसलिए, मेरी राय में हमें पाकिस्तान तालिबान का उत्थान नहीं करना चाहिए।” इस महीने की शुरुआत में, इमरान खान ने कहा था कि उनकी सरकार प्रतिबंधित टीटीपी के कुछ समूहों के साथ बातचीत कर रही है, ताकि समूह अपने हथियार डाल सके और उन्हें देश के संविधान का पालन करने के लिए राजी कर सके। मलाला ने कहा कि अच्छे और बुरे तालिबान के बीच कोई अंतर नहीं होना चाहिए, क्योंकि उनकी सोच एक ही है दमन की और अपने खुद के कानूनों को लागू करने की। 

 

उन्होंने कहा कि तालिबान ने दमनकारी कदम उठाए, यह कहते हुए कि वे महिलाओं के अधिकारों, लड़कियों की शिक्षा के खिलाफ थे और उनके शासन में कोई न्याय नहीं था। लड़कियों की शिक्षा के बारे में पूछे जाने पर मलाला ने अफगानिस्तान की स्थिति पर चिंता व्यक्त की। हालांकि, उन्होंने कहा, तालिबान पर कार्यकर्ताओं और अफगान महिलाओं का दबाव एक सकारात्मक संकेत था।  डॉन की रिपोर्ट के अनुसार  उनके गैर-लाभकारी संगठन मलाला फंड की अफगानिस्तान में  भूमिका के बारे में  उन्होंने कहा कि फंड 2017 से वहां काम कर रहा था और अब तक डिजिटल और महिला शिक्षा में 2 मिलियन अमरीकी डालर का निवेश किया जा चुका है।


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Content Writer

Tanuja

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