कोरोना से निपटने में फेल इमरान खान, छिन सकती है पीएम की कुर्सी

punjabkesari.in Saturday, Jul 11, 2020 - 10:41 AM (IST)

इस्लामाबाद: कोरोना संकट से जूझने में नाकाम रहे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की जल्द विदाई हो सकती है और उनकी जगह पाकिस्तान में कोई नया चेहरा प्रधानमंत्री के तौर पर सामने आ सकता है। इसका कारण इमरान खान की इस गंभीर संकट से निपटने को लेकर अप्रोच है और इस मामले में फेल होने के कारण सेना को पाकिस्तान के सिविल प्रशासन में दखल देने का मौका मिला है और अब प्रशासन के अधिकतर कामों में सेना के मौजूदा और रिटायर्ड अधिकारियों का दखल बढ़ गया  है जो आने वाले समय में पाकिस्तान में होने वाले बड़े राजनीतिक बदलाव की तरफ इशारा कर रहा है।

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कोरोना टैस्ट के लिए पैसे नहीं, रक्षा बजट में भारी वृद्धि
पाकिस्तान इस साल गंभीर चुनौतियों के दौर से गुजर रहा है। देश की फसलों पर टिड्डी दल के हमले से 40 फीसदी तक फसलें प्रभावित हुई हैं और पाकिस्तान के सामने कृषि का संकट खड़ा हो गया है और इसी बीच कोरोना संकट के कारण लोगों की आय बुरी तरह से प्रभावित हुई है। कोरोना संकट ने पाकिस्तान के स्वास्थ्य क्षेत्र के आधारभूत ढांचे की भी पोल खोली है लेकिन इसके बावजूद प्रधानमंत्री इमरान खान ने जब इस साल बजट पेश किया तो रक्षा क्षेत्र के लिए 7.7 बिलियन डालर का बजट रखा  और यह बजट पिछले साल के रक्षा बजट के मुकाबले करीब 12 फीसदी ज्यादा है और पाकिस्तान के कुल बजट का करीब 18 फीसदी खर्च रक्षा क्षेत्र के लिए रखा गया है जबकि दूसरी तरफ स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए इमरान सरकार ने महज 148.6 मिलियन डालर का बजट रखा, हालांकि राज्य सरकारों ने भी स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए अतिरिक्त 2.7 बिलियन डालर का बजट प्रस्तावित किया है लेकिन इसके बावजूद राज्य सरकारों और इमरान सरकार द्वारा स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए रखा गया कुल बजट देश के रक्षा बजट का एक तिहाई ही बनता है यानि पाकिस्तान में सरकार के पास कोरोना टैस्ट तक के पैसे नहीं हैं लेकिन उसके लिए हथियार खरीदना ज्यादा जरूरी है। इमरान के बजट के बाद विपक्ष के नेता शेरी रेहमान ने ट्वीट कर कहा कि संकट के दौर से गुजर रहे देश के लिए यह राष्ट्रीय बजट नहीं है।

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‘फेल इमरान’ के प्रति बढ़ा गुस्सा
कोरोना के चलते पैदा हुई स्थिति के कारण पाकिस्तान की आबादी के एक बड़े हिस्से के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है और करीब 4 करोड़ लोग इस संकट से जूझ रहे हैं। इस बीच कोरोना की महामारी के चलते देश के अधिकतर शहरों के अस्पताल कोरोना के मरीजों से भरे पड़े हैं और महामारी के ज्यादा फैलने की स्थिति में पाकिस्तान के पास अस्पतालों में प्रबंध नहीं है लेकिन इसके बावजूद रक्षा क्षेत्र को बजट में इतनी बड़ी अहमियत देना पाकिस्तान में सेना के बढ़ते प्रभाव की तरफ इशारा करता है। पाकिस्तान में कोरोना के टैस्ट की संख्या काफी कम होने के बावजूद कोरोना के 2.43 लाख मामले सामने आ चुके हैं और करीब 5 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। हालांकि वैज्ञानिकों और मैडिकल प्रोफैशनल्स के आकलन के मुताबिक पाकिस्तान में कोरोना रोगियों  और मृतकों का आंकड़ा इससे कहीं ज्यादा है। देश में करीब 5 हजार हैल्थ वर्कर कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं और 65 मैडिकल प्रोफैशनल्स की मौत हो चुकी है। कोरोना संकट के चलते सरकार के प्रति लोगों में गुस्सा और अविश्वास बढ़ता जा रहा है, क्योंकि लोगों को लगता है कि सरकार कोरोना के संकट की असलियत छुपा रही है। इसी गुस्से के चलते लोग अब मैडिकल स्टाफ पर हिंसक हमले करने लगे हैं। इमरान खान की पार्टी के पास पाकिस्तान की संसद में कुल 46 फीसदी सीटें हैं लेकिन जिस तरीके से कोरोना संकट के दौरान पाकिस्तान की सरकार ने नालायकी के साथ काम किया उसे देखते हुए सेना को सरकार के काम में दखलअंदाजी करने का अवसर मिला है।

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सेना ने भुनाया कोरोना संकट
एक तरफ कोरोना संकट में इटली, स्पेन ,दक्षिण अफ्रीका सहित दुनियाभर के कई देशों में सेना ने सकारात्मक भूमिका निभाई वहीं पाकिस्तान में सेना ने इसे मौके के तौर पर देखा और हर उस सिविल क्षेत्र में दखल दिया जहां इमरान सरकार का प्रशासन फेल रहा। पाकिस्तान की खुफिया एजैंसी आई.एस.आई. सहित तमाम प्रभावशाली पदों पर सेना के रिटायर्ड अथवा मौजूदा अधिकारियों का कब्जा है। इमरान खान ने जब कोरोना संकट को हल्के में लिया और देश में लॉकडाऊन करने का विरोध किया तो वहां सेना ने 23 मार्च को देश में लॉकडाऊन की घोषणा की। पाकिस्तान के सिविल प्रशासन में  सेना का दखल इस हद तक है कि प्रधानमंत्री इमरान खान का कम्युनिकेशन एडवाइजर सेना का रिटायर्ड अफसर जनरल असीम सलीम है जबकि कोरोना संकट से  निपटने के लिए बनाए गए नैशनल कमांड एन्ड आप्रेशन सैंटर की कमांड भी सेना के लैफ्टिनैंट जनरल हमूद उज्जमान खान के हाथ में है। इसी तरह से जिस नैशनल डिजास्टर मैनेजमैंट अथॉरिटी के साथ मिल कर स्वास्थ्य मंत्रालय काम कर रहा है उसकी कमान भी सेना के एक अफसर के हवाले है।
 


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vasudha

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