जर्मनी में चांसलर एंजेला मर्केल की विदाई पर लगी मोहर, चुनाव में जीती सोशल डेमोक्रेट पार्टी

punjabkesari.in Monday, Sep 27, 2021 - 10:35 AM (IST)

बर्लिन: जर्मनी के आम चुनाव में मध्यमार्गी वामपंथी सोशल डेमोक्रेट पार्टी ने सर्वाधिक मत हासिल किए हैं और बेहद करीबी मुकाबले में निर्वतमान चांसलर एंजेला मर्केल की मध्यमार्गी दक्षिणपंथी पार्टी यूनियन ब्लॉक को हरा दिया। निर्वाचन अधिकारियों ने बताया कि सोमवार सुबह सभी 299 सीटों की मतगणना में सोशल डेमोक्रेट ने 25.9 प्रतिशत वोट प्राप्त किए जबकि यूनियन ब्लॉक को 24.1 प्रतिशत वोट मिले। पर्यावरणविदों की ग्रीन्स पार्टी 14.8 प्रतिशत वोट के साथ तीसरी बड़ी पार्टी बनकर उभरी। इसके बाद कारोबार सुगमता की पक्षधर फ्री डेमोक्रेट्स को 11.5 प्रतिशत वोट मिले।

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दोनों दल पहले ही इस बात के संकेत दे चुके हैं कि वे नयी सरकार के गठन में सहयोग कर सकते हैं। रविवार को हुई मतगणना में धुर दक्षिणपंथी अल्टर्नेटिव फॉर जर्मनी 10.3 प्रतिशत वोट के साथ चौथे स्थान पर रही जबकि वाम दल को 4.9 प्रतिशत वोट मिले। अधिकारियों ने बताया कि वर्ष 1949 के बाद यह पहली बार है जब डैनिश अल्पसंख्यक पार्टी एसएसडब्ल्यू संसद में एक सीट जीत पाई है। नतीजों से ऐसा प्रतीत होता है कि यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को नयी सरकार के गठन में काफी जोड़ तोड़ करना होगा जबकि नए चांसलर के शपथ लेने तक मर्केल कार्यवाहक चांसलर की भूमिका में रहेंगी।

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जर्मनी के मतदाता एक चुनाव में नई संसद का चयन कर रहे हैं  । मर्केल की विदाई को लेकर लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली है। यूनियन ब्लॉक की ओर से आर्मिन लास्केट चांसलर पद की दौड़ में हैं, वहीं दूसरे दल की ओर से निवर्तमान वित्त मंत्री एवं वाइस चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ उम्मीदवार हैं। हाल के सर्वेक्षणों में सोशल डेमोक्रेट्स को मामूली रूप से आगे दिखाया गया है। करीब 8.3 करोड़ लोगों की आबादी वाले देश में लगभग 6.04 करोड़ लोग संसद के निचले सदन के सदस्यों को चुनने की पात्रता रखते हैं। ये सदस्य बाद में सरकार के प्रमुख को चुनते हैं।  कई बड़े संकटों के बीच जर्मनी को चलाने के लिए मर्केल ने प्रशंसा हासिल की है।

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उनके उत्तराधिकारी को कोरोनो वायरस महामारी से पार पाना होगा, जिसका अब तक जर्मनी ने बड़े बचाव कार्यक्रमों के जरिये अपेक्षाकृत अच्छे तरीके से सामना किया है। बर्लिन में सामाजिक कार्यकर्ता वीबके बर्गमैन (48) ने कहा कि मर्केल की विदाई ने इस चुनाव को बेहद खास बना दिया है। वामपंथ का गढ़ माने जाने वाले राजधानी के क्रेउजबर्ग जिले में, जैन केम्पर (41) एक ऑनलाइन बैंक में मैनेजर हैं। वह कहते हैं कि उनके लिये जलवायु परिवर्तन और जर्मनी के डिजिटलीकरण की धीमी गति मुख्य चिंताएं हैं। उन्होंने मर्केल की प्रबंधन शैली की तारीफ की, लेकिन कहा कि कई प्रमुख मुद्दे अभी बाकी हैं।

 


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Content Writer

Tanuja

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