तुर्की की धमकी के बावजूद फ्रांस ने कट्टरपंथी मुस्लिमों की मस्जिद पर लिया एक्शन
punjabkesari.in Tuesday, Oct 27, 2020 - 05:32 PM (IST)
इंटरनेशनल डेस्कः फ्रांस में टीचर सैमुअल पैटी की गला काटकर हत्या किए जाने के बाद राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने देश में इस्लामिक कट्टरपंथियों के खिलाफ जोरदार अभियान चला रखा है। इसी कड़ी में फ्रांस ने तुर्की के बॉयकॉट के आह्वान के बाद भी राजधानी पेरिस के उत्तर-पूर्वी इलाके में स्थित कट्टरपंथियों को निशाना बनाया । फ्रांसीसी अधिकारियों ने 'इस्लामिक आंदोलन में शामिल होने' के आरोप में यहां एक मस्जिद को बंद कर दिया है।
अधिकारियों ने मस्जिद से जुड़े लोगों पर टीचर सैमुअल पैटी को निशाना बनाकर वीडियो सोशल मीडिया में शेयर करने का भी आरोप लगाया है। फ्रांसीसी अधिकारियों ने सैमुअल की हत्या के बाद बड़ी संख्या में लोगों से पूछताछ की जा रही है और भविष्य की कार्रवाई के लिए प्लान बनाया जा रहा है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने कहा कि दोषियों के खिलाफ सख्त ऐक्शन लिया जाएगा।फ्रांसीसी सरकार ने ऐलान किया है कि अब तक 120 स्थानों और संगठनों की तलाशी ली गई है जिन पर कट्टरपंथी विचारधारा को फैलाने का आरोप है।
इसके अलावा आतंकवादियों को मिलने वाले पैसे पर रोक के लिए व्यापक योजना बनाई गई है। साथ शिक्षकों को सहायता दी जाएगी और सोशल मीडिया कंपनियों पर दबाव डाला जाएगा ताकि वे भड़काऊ सामग्री पर रोक लगाएं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक फ्रांस में अब तक इस तरह की कठोर कार्रवाई मैक्रों के कार्यकाल के दौरान हुए किसी भी आतंकी हमले के बाद नहीं हुई थी। राजनीतिक विश्लेषक जेरोम का कहना है कि टीचर पर हमला अपनी आप में अलग था। इसमें एक शिक्षक को निशाना बनाया गया और वह भी बहुत ही क्रूर तरीके से।
इसके बाद सरकार के रवैये में यह बदलाव आया है। जेरोम ने कहा कि हम संगठित जेहादी नेटवर्क का सामना नहीं कर रहे हैं, बल्कि एक आतंकवादी का सामना कर रहे हैं जो हमारे देश में आया है और अलग थलग रहते हैं लेकिन कट्टरपंथी विचारधारा में रच बस गए हैं। इस बीच एक सर्वेक्षण में कहा गया है कि फ्रांस के एक तिहाई शिक्षकों ने खुद को सेंसर कर लिया है ताकि धर्मनिरपेक्षता पर विवाद से बचा जा सके।
क्या है मामला ?
दरअसल, 16 अक्टूबर को पेरिस के उपनगरीय इलाके में एक शिक्षक की मोहम्मद साहब का कार्टून दिखाने के कारण गला काटकर हत्या कर दी गई थी। जिसके बाद फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने इसे इस्लामिक आतंकवाद करार दिया था। उन्होंने कहा था कि इस्लाम एक ऐसा धर्म है जिससे आज पूरी दुनिया में संकट में है। उन्होंने यह भी कहा था कि उन्हें डर है कि फ्रांस की करीब 60 लाख मुसलमानों की आबादी समाज की मुख्यधारा से अलग-थलग पड़ सकती है। इसी के बाद से फ्रांसीसी राष्ट्रपति के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं।
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