शिनजियांग में उइगरों-मुस्लिमों का अस्तित्व मिटा रहा चीन, सबसे बड़ी मस्जिद का इमाम बंदी बना कर रखा

punjabkesari.in Monday, May 24, 2021 - 06:07 PM (IST)

बीजिंगः चीन में उइगर ही नहीं  बल्कि अन्य  मुस्लिम समाज के लोगों के जीवन पर संकट मडरा रहा है। चीन सरकार शिनजियांग प्रांत में नियोजित तरीके से उइगरों व अन्य मुस्लिम समाज  का अस्तित्व  मिटाने की योजना पर काम  कर रही  है। शिनजियांग प्रांत में उइगर मुसलमानों पर जिनपिंग सरकार के अत्याचारों की लिस्ट में एक और करतूत शामिल हो गई है। चीन ने शिनजियांग की सबसे बड़ी मस्जिद के पूर्व मुस्लिम नेता को बंदी बना कर रखा हुआ है । उन्‍हें उग्रवाद फैलाने के आरोप में 2017 में बंदी बनाया गया था। क्‍योडो न्‍यूज के अनुसार मस्जिद के पूर्व इमाम को 15 वर्ष की सजा सुनाई गई है। इस प्रांत के दूसरे धार्मिक नेताओं को भी बंदी बनाया गया है। वहीं मस्जिद के मौजूदा इमाम ने उन आरोपों का खंडन किया है जिसमें कहा जा रहा है कि चीन की कम्‍यूनिस्‍ट पार्टी मुल्सिमों का धार्मिक उत्‍पीड़न कर रही है।

 

यह जानकारी ऐसे समय में आई है जब अमेरिका व पश्चिमी देशों ने शिनजियांग में उइगर मुस्लिमों के अत्याचार को नरसंहार की संज्ञा दी है। यहां पर अब मुस्लिमों की ऐसी जमात तैयार की जा रही है जिनकी विचारधारा पूरी तरह कम्युनिस्ट पार्टी की हो। उन्हीं के माध्यम से चीन अपनी छवि साफ करने का प्रयास कर रहा है। क्योडो न्यूज के अनुसार शिनजियांग प्रांत के काश्गर शहर में ईदगाह मस्जिद देश की सबसे बड़ी मस्जिद है। इसमें बीस हजार तक नमाजी एक साथ नमाज कर सकते हैं। यहीं के इमाम को चीन ने पहले अपने तरीके से चलाने का प्रयास किया, जब वह नहीं माने तो उन्हें कट्टरपंथ फैलाने के आरोप में 2017 में गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया। मस्जिद के इमाम को 15 साल कैद की सजा सुनाई गई है।

 

गौरतलब है कि चीन उइगरों मुस्लिमों पर बरती जा रही सख्‍ती को लेकर कई देशों के निशाने पर है।क्‍योडो न्‍यूज ने ये खबर ऐसे में दी है जब पश्चिमी देश लगातार चीन पर शिनजियांग प्रांत में रहने वाले उइगर मुस्लिमों के खिलाफ बल प्रयोग करने करने के खिलाफ अपनी नाराजगी जता रहे हैं। पश्चिम देश चीन पर उइगरों के खिलाफ नरसंहार तक का आरोप लगा चुके हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार चीन  सरकार ने शिनजियांग में रहने वाले लाखों उइगर मुस्लिमों को हिरासत में ले रखा है और दूसरे अल्‍पसंख्‍यकों समुदाय के लोगों पर भी कड़ी नजर रखी जा रही है। यही नहीं सरकार यहां के लिए री-एजूकेशन कैंपेन भी चला रही है।

 

हालांकि चीन खुद पर लगे सभी आरोपों को लगातार खारिज कर रहा है। राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग का कहना है कि मीडिया में आए आरोपों के तहत जिन कैंपों को नजरबंदी कैंप बताया जा रहा है वो दरअसल वे वोकेशनल ट्रेनिंग सेंटर हैं जहां पर लोगों को विभिन्‍न काम की ट्रेनिंग दी जा रही है। इन केंद्रों को इस प्रांत में फैले चरमपंथ को लड़ने के लिए शुरू किया गया है। राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग का ये भी कहना है कि ये चीन का अंदरुनी मामला है जिसमें अमेरिका को बोलने का कोई हक नहीं है।

 

मीडिया के मुताबिक चीन ने इस प्रांत में उइगरों पर लगाम लगाने के लिए कई नजरबंदी कैंप खोले हैं। सरकार ने इस प्रांत में उइगर मुस्लिमों की धार्मिक गतिविधियों को भी रोक दिया है। लोगों को जबरन दूसरी शिक्षा तक दी जा रही है।  बता दें कि अमेरिका ऐसा पहला देश है जिसने उइगरों के खिलाफ किए जा रहे दुर्व्‍यवहार को लेकर चीन के खिलाफ कार्रवाई की है और उसके नेताओं पर प्रतिबंध लगाया है। बदले में चीन ने भी अमेरिका के नेताओं पर प्रतिबंध लगाया है। इस वर्ष फरवरी में यूरोपीय संघ और कनाडा की संसद में भी चीन के खिलाफ इस मुद्दे पर एक प्रस्‍ताव लाया गया था। यूरोप ने पहली बार उइगरों के खिलाफ चीन की कार्रवाई को देखते हुए उसके लिए प्रस्‍ताव पास किया था। ब्रिटेन ने भी इसको लेकर चीन की निंदा की थी।

 


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Content Writer

Tanuja

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